व्यापारियों का आंकलन भाजपा क्यों जीती और विपक्ष क्यों हारा

शब्दवाणी समाचार शनिवार 25 मई 2019 नई दिल्ली। कॉन्फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज चुनावी परिणामों का गहराई से अध्य्यन कर यह पाया की श्री गाँधी द्वारा किया गया नकारात्मक प्रचार और अन्य विपक्षी नेताओं द्वारा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी पर लगातार व्यक्तिगत लांछन लगाना विपक्ष की करारी हार के मुख्य कारण रहे जबकि दूसरी ओर श्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रवाद के मुद्दे को चुनाव के केंद्र में लाने में सफल हुए और अपनी सरकार द्वारा किये गए काम जिनमें मुख्य रूप से सबको शौचालय उपलब्ध कराना, आयुष्मान योजना के द्वारा स्वास्थय लाभ लोगों को मिलना,बड़ी संख्या में गैस कनेक्शन का देना तथा मुद्रा योजना द्वारा निचले वर्ग को क़र्ज उपलब्ध कराना जबकि स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया द्वारा युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने में श्री मोदी सफल रहे !



कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया की देश भर में व्यापारियों और अन्य लोगों से बातचीत करने पर यह सामने आया की श्री राहुल गाँधी का शुरू से नकारात्मक प्रचार लोगों को अच्छा नहीं लगा ! चौकीदार चोर है से शुरू होकर श्री गाँधी एवं अन्य विपक्षी नेताओं ने जिस तरह से श्री मोदी को गालियां दी और उन पर व्यक्तिगत प्रहार किया वो कांग्रेस एवं विपक्षी दलों के लिए ही भारी पड़ गया और लोगों को पसंद नहीं आया ! विपक्षी दल गत पांच वर्षों में सरकार को उसके काम काज को लेकर कटघरे में खड़ा करने में विफल रहे ! व्यक्तिगत आलोचना के अलावा कोई राष्ट्रीय मुद्दा विपक्षी दलों के पास नहीं था।


श्री गाँधी द्वारा केवल किसानों को रियायतें देने की घोषणा का अन्य वर्गों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है! जो करदाता वर्ग है वो श्री गाँधी की इस घोषणा से नाराज़ रहा ! उनका कहना था की कर हम दें और श्री गाँधी उसको मुफ्त में किसी अन्य वर्ग को बाँट दें, वो स्वीकार नहीं है। वहीं विपक्षी एकता में बिखराव भी एक बड़ा कारण रहा जिसका पूरा लाभ भाजपा और उसके सहयोगी दलों को मिला है! आम लोगों में एक धारणा पक्की थी की वर्तमान में श्री मोदी का कोई विकल्प नहीं है और हाल ही में पाकिस्तान के साथ हुए विवाद यदि भविष्य में और होते हैं तो श्री मोदी के अलावा कोई दूसरा नेता उसका जवाब नहीं दे पायेगा और उसका भी लाभ भाजपा एवं सहयोगी दलों को मिला है ! वहीं पश्चिम बंगाल में हो रही लगातार हिंसा से ममता बनर्जी के प्रति लोगों का मोह भंग हुआ है और वो बोट भाजपा को एक विकल्प के रूप में गया है।


वहीं दूसरी ओर श्री मोदी राष्ट्रवाद को चुनाव का बड़ा मुद्दा बनाने में सफल रहे जो सीधा लोगों के दिल से जुड़ा ! सरकार की आयुष्मान भारत योजना और मुद्रा स्कीम ने छोटे वर्ग के लोगों में भाजपा की पैठ बनाई वहीं स्टार्ट अप इंडिया और स्किल डेवलपमेंट जैसे कार्यक्रमों से युवा भाजपा की तरफ आकर्षित हुए !श्री गाँधी एवं अन्य विपक्षी नेताओं द्वारा श्री मोदी पर किये जाते रहे व्यक्तिगत हमलों से श्री मोदी को वोटरों की सहानुभूति भी मिली है !संगठनात्मक रूप से भाजपा बाकी सभी दलों से चुनाव में काफी आगे निकल गई ! भाजपा कैडर ने देश भर में पूरे समर्पण से काम किया वहीं दूसरे दलों ने वोटरों से व्यक्तिगत सम्पर्क नहीं साधा और केवल रैलियों पर ही उनका चुनाव अभियान केंद्रित रहा ! यह भी सही है की अनेक क्षेत्रों में लोगों की नाराजगी भाजपा उम्मीदवारों से रही किन्तु श्री मोदी के सघन अभियान के कारण उनका वोट भी भाजपा को पड़ा और वो कहते सुने गए की हमने तो वोट मोदी को दिया


जहाँ तक देश भर के व्यापारियों का सवाल है तो चुनावों के ठीक बीच 19 अप्रैल को कैट द्वारा राष्ट्रीय व्यापारी सम्मेलन में श्री मोदी द्वारा व्यापारियों को सम्बोधित करने से देश भर में व्यापारियों में उत्सा ह हुआ और सारे व्यापारी भाजपा के पक्ष में लामबंद हो गए ! इसके साथ ही भाजपा के संकल्प पत्र में एक राष्ट्रीय व्यापारी कल्याण बोर्ड, 60 वर्ष की आयु से अधिक के व्यापारियों को पेंशन, जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों को 10 लाख का दुर्घटना बीमा, राष्ट्रीय रिटेल ट्रेड पालिसी, व्यापारी क्रेडिट कार्ड आदि क़दमों ने भी व्यापारियों को भाजपा की तरफ झुकाया ! इसका परिणाम यह हुआ की पहली बार देश के करोड़ों व्यापारी अपने कर्मचारियों के साथ एक वोट बैंक के रूप में लामब और न केवल भाजपा को वोट दिया बल्कि अपनी दुकान पर आने वाले ग्राहकों से भी भाजपा के पक्ष में जोरदार अभियान चलाया।


जहाँ महागठबंधन में बेहद बिखराव था और गठबंधन के दल विभिन्न राज्यों में एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे वहीं एनडीए गठबंधन पूरी तरह से एकजुट था ! उत्तर प्रदेश में सपा -बसपा एक होकर चुनाव लड़ रहे थे लेकिन सपा कार्यकर्ताओं ने बसपा उमीदवार के लिए और बसपा कार्यकर्ताओं ने सपा उमीदवार के लिए कोई काम नहीं किया और कार्यकत्र्ता स्तर पर उनमें तालमेल का Lolo अभाव था।



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