हिलेमन लैबोरेटरीज़ ने भारत बायोटेक को दिया ओरल कोलेरा वैक्सीन हिलकोल का लाइसेंस

शब्दवाणी समाचार वीरवार 27 जून 2019 नई दिल्ली। उच्च-प्रभावी एवं किफ़ायती वैक्सीनों पर काम करने वाले विश्वस्तरीय अनुसंधान एवं विकास संगठन हिलेमन लैबोरेटरीज़ ने अपनी अगली पीढ़ी की कोलेरा वैक्सीन (हैजे का टीका) हिलकोल® (Hillchol®) के विकास, निर्माण एवं वाणिज्यीकरण के लिए भारत की अग्रणी वैक्सीन एवं बायोटेक्नोलॉजी कंपनी भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड के साथ साझेदारी का ऐलान किया है। यह साझेदारी निम्न एवं मध्यम आय वर्ग वाले देशों में लागत प्रभावी वैक्सीनों के माध्यम से हैजा की रोकथाम के लिए दोनों संगठनों की क्षमता बढ़ाएगी।



कोलेरा यानि हैजा एक एक्यूट डायरिया संक्रमण है जो विब्रियो कोलेरा नामक बैक्टीरिया के कारण होता है और इसे अब तक सात महामारियों के लिए ज़िम्मेदार पाया गया है। हैजा गरीबी से जुड़ी बीमारी है, जो दक्षिण एशिया एवं अफ्रीका में स्थानिक महामारी के रूप में व्याप्त है तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्राथमिकता सूची पर है। दुनिया भर में हैजा के हर साल ~2.8 मिलियन मामले दर्ज किए जाते हैं और अनुमानतः 95,000 लोगों की मृत्यु इस बीमारी के कारण हो जाती है। भारत में, 30 फीसदी आबादी यानि 375 मिलियन लोग इस बीमारी के जोखिम पर हैं। ऐसे में ओरल कोलेरा वैक्सीन (ओसीवी) रोग की रोकथाम और नियन्त्रण के लिए व्यापक समाधान हो सकती है, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 'एंड-कोलेरा' पहल के तहत इसकी अनुशंसा दी गई है।
हिलकोल® (Hillchol®) को स्वीडन की गोथेनबर्ग युनिवर्सिटी में डिज़ाइन किया गया और इसके बाद आईसीडीडीआर, बी और इन्सेप्टा वैक्सीन्स लिमिटेड के सहयोग से बांग्लादेश में किए गए डी-एस्केलेटिंग फेज़ I/II क्लिनिकल ट्रायल में सुरक्षा एवं इम्युनोजेनिसिटी सहित हिलेमन लैब्स के द्वारा इसका विकास किया गया। हिलकोल® (Hillchol®) के आगे विकास के लिए हिलमन लैब्स ने बीबीआईएल के साथ एक लाइसेंसिंग एवं मैनुफैक्चरिंग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो निर्माण प्रक्रिया का पैमाना वाणिज्यिक स्तर तक बढ़ाएगी और विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुरूप उत्पाद के विनिर्देश स्थापित करेगी।
प्रोफेसर जैन होल्मग्रेन, युनिवर्सिटी ऑफ गोथेनबर्ग जिन्होंने अपने सहकर्मी डॉ माइकल लेबेन्स और टीम के साथ मिलकर वैक्सीन का विकास किया है, उन्होंने बताया कि हिलकोल® (Hillchol®) में सिंगल रीकॉम्बिनेन्ट हीकोजीमा स्ट्रेन है, जो इनाबा और ओगावा एंटीजन्स से युक्त है, परिणामस्वरूप लाइसेंसी ओसीवी की तुलना में इसके निर्माण की प्रक्रिया सरल और संक्षिप्त हो जाती है। ऐसे में हिलकोल® (Hillchol®) हैजा प्रभावी देशों के आवश्यकता को पूरा करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगी, जहां हैजा के नियन्त्रण और रोकथाम केे लिए कोलेरा वैक्सीन के निर्माण एवं आपूर्ति को विस्तारित करने की आवश्यकता है।
साझेदारी पर अपने विचार अभिव्यक्त करते हुए डॉ देविंदर गिल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, हिलेमन लैबोरेटरीज़ ने कहा, ''वैक्सीन यानि टीके दुनिया भर में स्वास्थ्यसेवाओं के स्तर में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और हिलेमन लैबोरेटरीज़ को भारत बायोटेक के साथ काम करने का सम्मान प्राप्त हुआ है, जो भारत में वैक्सीनों के निर्माण एवं विकास में अग्रणी है और लाइसेंस मिलने पर हमारी आधुनिक ओरल कोलेरा वैक्सीन हिलकोल® (Hillchol®) के निर्माण एवं वाणिज्यीकरण के लिए उत्तरदायी होगी। एक किफा़यती कोलेरा वैक्सीन की उपलब्धता और भी ज़रूरी हो जाती है क्योंकि 50 से अधिक GAVI योग्य देशों को हैजा-महामारी की श्रेणी में रखा गया है। हमें उम्मीद है कि यह साझेदारी किफ़ायती, सुलभ एवं आधुनिक वैक्सीन समाधान पेश करेगी।
डॉ कृष्णा इला, चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर, भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड ने कहा''हमें खुशी है कि हमने हिलकोल® (Hillchol®) के विकास, निर्माण एवं वाणिज्यीकरण के लिए यह साझेदारी की है। 50 मिलियन खुराकें सालाना डिलिवर करने की क्षमता तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पूर्व-मान्यता, आने वाले समय में न केवल वैक्सीन की मांग पूरी करने में मदद करेगी बल्कि वैक्सीन को किफ़ायती बनाकर दुनिया भर में हैजा की रोकथाम में मददगार भी साबित होगी।
डॉ गर्ड ज़ेटलमेस्सल, चेयरमैन, हिलेमन लैबोरेटरीज़ ने इस अवसर पर दोनों साझेदारों को बधाई देते हुए कहा ''एक साथ मिलकर हम 2030 तक हैजा के बोझ को 90 फीसदी तक कम करने के सार्वजनिक स्वास्थ्य के लक्ष्यों में योगदान दे सकते हैं, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की हैजा उन्मूलन पहल के तहत एक मुख्य उद्देश्य है।



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