फोर्टिस अस्पताल शालीमार बाग के डॉक्टरों ने एक अफ्रीकी मरीज़ के पेट से निकाला भारी-भरकम ट्यूमर

शब्दवाणी समाचार मंगलवार 18 जून 2019 नई दिल्ली। फोर्टिस अस्पताल, शालीमार बाग के डॉक्टरों ने हाल में 32 वर्षीय अफ्रीकी मरीज़ श्री एलॉयस जॉन जावे के शरीर से एक भारी-भरकम और बड़े आकार का ट्यूमर निकालने में सफलता हासिल की है। ट्यूमर का आकार 36X40 सेंटीमीटर और वज़न करीब 24 किलोग्राम था। पिछले कुछ वर्षों में जैसे-जैसे यह ट्यूमर मरीज़ के शरीर में पनप रहा था, इसने धीरे-धीरे उसके शरीर के प्रमुख अंगों पर दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया था जिससे काफी परेशानी होने लगी थी। मरीज़ को डॉ प्रदीप जैन के पास लाया गया जिन्होंने अपनी कुशल टीम की मदद से इस जटिल मामले का सफल इलाज किया। मरीज़ की सर्जरी के साथ कई जोखिम जुड़े थे और इसे काफी सटीकता तथा बारीकी के साथ अंजाम दिया जाना था।



जब मरीज़ श्री एलॉयस जॉन जावे को अस्पताल लाया गया तो वह काफी कमजोर थे। उनके पेट में काफी बड़ा उभार था और पिछली सर्जरी (जो कि उन्होंने तंजानिया में करवायी थी) का निशान भी था। उनकी एमआरआई रिपोर्ट से उनके पेट में एक बड़े और ठोस सिस्टिक ट्यूमर की पुष्टि हुई। फोर्टिस अस्पताल शालीमार बाग में उनकी दोबारा जांच की गई और एमआरआई, पीईटी तथा सीटी स्कैन से उनके पेट में एक बड़े आकार के ट्यूमर होने की पुष्टि हुई जो कि एक तरफ आंतों को दबा रहा था और मूत्रनलियों पर भी दबाव बना हुआ था।


श्री जावे की सर्जरी 31 मई, 2019 को की गई। ट्यूमर मरीज़ के पेट की भीतरी दीवार, मूत्राशय और छोटी आंतों के साथ काफी चिपका हुआ था और बड़ी रक्तवाहिकाएं इसे आसपास से घेरे हुई थीं। इसे निकालने के लिए जान-बूझकर धीमे-धीमे सर्जरी की गई। इसे छोटी आंत और मूत्राशय के एक हिस्से के साथ निकाला गया। इस पूरी प्रक्रिया में करीब छह घंटे लगे और इस दौरान मरीज़ के शरीर से लगभग 4 लीटर खून बह गया। इस नुकसान की भरपाई के लिए, टीम पहले से ब्लड, प्लाज्मा और प्लेटलेट्स के साथ तैयार थी। रक्तस्राव रोकने के लिए डॉक्टरों ने ट्यूमर के बेस को (जो कि पेल्विस में था) एब्डॉमिनल स्पॉन्जेस से भरा। सर्जरी के बाद मरीज़ को वेंटीलेटर पर रखा गया।


सर्जरी के 60 घंटे बाद एब्डॉमिनल पैक्स हटाए गए और सर्जरी के चौथे दिन मरीज को वेंटीलेटर से हटा लिया गया। जर्सरी के 2 हफ्ते बाद, मरीज़ स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं और उनकी हालत ठीक है। मरीज़ की हिस्टोपैथोलॉजी रिपोर्ट से पता चला है कि उनके शरीर में हाइ ग्रेड गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर (जीआईएसटी) था। अब उन्हें टारगेटेड ओरल कीमोथेरेपी दी जाएगी ताकि पूरी तरह से स्वास्थ्यलाभ सुनिश्चित हो और दोबारा ट्यूमर की आशंका से बचा जा सके।


डॉ प्रदीप जैन, डायरेक्टर, जीआई ओंकोलॉजी, फोर्टिस अस्पताल शालीमार बाग ने कहा, "मरीज हमारे पास काफी गंभीर अवस्था में पहुंचा था। उनके पेट में पिछले करीब 1.5 वर्षों से ट्यूमर पनप रहा था और यह बड़ी आंत को धकेलते हुए मूत्रनलियों पर भी दबाव बढ़ा रहा थायह ट्यूमर आसपास के अंगों से बहुत बुरी तरह से चिपका हुआ था और इसे काफी रक्तनलिकाएं सींच रही थीं, जिससे यह वास्क्युलर ट्यूमर बन रहा था। ट्यूमर के आकार की वजह से यह सर्जरी काफी मुश्किल थी। ऑपरेशन के दौरान, मरीज के शरीर से काफी खून बह जाने की आशंका थी जो जीवन के लिए जोखिम पैदा कर सकता था। साथ ही, इंटेस्टाइनल और यूरीनरी लीक का जोखिम भी था क्योंकि यह ट्यूमर आंतों और मूत्राशय के नज़दीक था। सर्जरी सफल रही और मरीज इलाज पर अच्छा रिस्पॉन्स दे रहा हैइस आकार का ट्यूमर काफी असाधारण होता हैइसका वजन 24 किलोग्राम था जो कि जीवन के लिए जोखिमकारक बन चुका थाश्री जावे काफी सौभाग्यशाली हैं कि वे इतने लंबे समय से इस ट्यूमर के बावजूद बिना किसी गंभीर चिकित्सकीय समस्या के जीवित रहेहालांकि कुछ मरीजों के पास उनके देशों में पर्याप्त इलाज की सुविधाएं नहीं होती, लेकिन ऐसे मामलों में स्थिति के गंभीर होने का इंतज़ार करने की बजाय जल्द से जल्द सर्वश्रेष्ठ उपचार लेना चाहिए।


मरीज़ श्री एलॉयस जॉन जावे का कहना है, "मुझे दिसंबर 2017 से पेट में दर्द की शिकायत शुरू हुई थी। यह दर्द पेट की बायीं तरफ से दायीं ओर और फिर मध्य भाग में रहने लगा था। मुझे पिशाब के वक्त भी काफी तेज दर्द हुआ करता थाइस दर्द को दबाने के लिए मैं दर्दनिवारक दवाएं लिया करता था। दर्द की शुरूआत होने के तीन महीने बाद फरवरी 2018 में, मैंने तंजानिया में एक डॉक्टर से परामर्श लियाएमआरआई जांच से पता चला कि मेरे पेट में ट्यूमर हैशुरू में मुझे इस ट्यूमर का आकार घटाने के लिए दवाएं दी गईमैंने सितंबर 2018 तक इंतजार किया और इसके बाद एक अल्ट्रासाउंड जांच करायी गईइससे पता चला कि ट्यूमर का आकार बढ़ चुका थामुझे तंजानिया के डॉक्टरों पर भरोसा नहीं थाइस बीच, ट्यूमर बढ़ने की वजह से मेरे पास ऑपरेशन के सिवाय कोई और विकल्प भी नहीं बचा थालेकिन डॉक्टर इसमें नाकाम रहे और इसे निकाल नहीं पाएउन्होंने मुझे बताया कि यह ट्यूमर बढ़ता रहेगा और इससे मेरी मौत भी हो सकती हैमैंने अपने देश में कई डॉक्टरों को दिखाया लेकिन कोई भी मेरा उपचार नहीं कर सका। मेरा वजन तेजी से गिर रहा था, लेकिन मेरे पेट का आकार बढ़ता जा रहा थालगभग एक साल बाद, मैंने इलाज के लिए भारत आने और यहां उपचार कराने का फैसला कियामैं डॉ प्रदीप और उनकी टीम का आभारी हूं। मैंने पिछले डेढ़ साल में काफी तकलीफ सही है और अब सामान्य जीवन बिताने को लेकर बेहद उत्साहित हूं।



श्री महिपाल सिंह भनोत, फैसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस अस्पताल, शालीमार बाग ने कहा, "हालांकि हमने पहले भी कई जटिल सर्जरी की हैं, लेकिन यह तो सही मायने में दुर्लभ थी। जब मरीज़ हमारे पास आया था तो हमें यह मालूम हो गया था कि इस मामले के साथ कितनी चुनौतियां आयी हैं। मरीज की हालत काफी चिंताजनक थी और उनकी जान को भी खतरा था, लेकिन इससे सफलतापवूक निपटा गया। सर्जरी के बाद भी काफी जटिलताएं बनी रही लेकिन डॉ प्रदीप जैन और उनकी टीम ने इन पर काबू पा लिया। निरंतर ध्यान देने, प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत के चलते श्री जवे का जीवन बचाया जा सका।


 


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