कस्बे सहित क्षेत्र में मिलावटी तेल की बिक्री चरम पर

शब्दवाणी समाचार मंगलवार 05 नवंबर 2019 (आशीष निगम) मौदहा हमीरपुर। बुन्देलखण्ड मे बोई जाने वाली तिलहन की प्रमुख फसल लाही (सरसों ) कर भरपूर उत्पादन होने के बावजूद कस्बे मे बडे बडे एक्सपेलर लगाकर आयल मिल की तरह चल रहे है किन्तु नाम है मजदूरी मे तेल पिराई व आटा चक्की का। जबकि यह मिलावटखोर इसके अतिरिक्त अन्य सस्ते तेल मिला कर बेच रहे है। जिससे आम कस्बाईयों सहित छोटे तबके के गरीब मजदूरो पर भी उनकी सेहत का खतरा भी पनप चुका है। यहां खादय तेल विक्रेता सीधा किसानो से ही लाही खरीदकर जहां जीएसटी और मण्डी शुल्क की चोरी कर रहे है। वहीं सरकारी राजस्व को चूना लगाने के साथ बिजली की चोरी भी कर रहे है।


इसके  बावजूद र्निधारित दरों से भी महंगा तेल बेचकर जेबे भरते हुये लोगो की सेहत के साथ खिलवाड कर रहे है। जबकि कानपुर से भी विभिन्न ब्रान्डो के नाम के साथ बोतल बन्द सरसो का तेल बाजारो मे खूब बिक रहा है। इन ब्राण्डो मे चिपके लेबिलों पर कही भी एस0एस0आई0 अथवा आई0एस0आइ0र् का उल्लेख भी बहुत कम दिखाई देता है । यदि मण्डी समिति मे आयी कुल लाही की आमद से फसली रकबो की दिखाई जाने वाली फसल का मिलान कर दिया जाये तो गल्ला मण्डी मे तिलहन की आमद और खपत मे लम्बा अन्तर और राजस्व मे हो रही चोरी का खुलास भी हो सकता है। इस समस्या से न तो खादय एवं औषधी प्रशासन से कोई मतलब है और न ही जीएसटी एवं मण्डी शुल्क विभाग द्वारा ही ध्यान जा रहा है।  क्योंकि भ्रष्टाचार की बहती गंगा मे सबको हाथ धोने का अवसर जो मिलता है। इसके अतिरिक्त नई लाही की आमद के समय यही तिलहन के कथित व्यापारी सैकडो कुन्टल लाही का भण्डारण कर लेते है और जब कभी माल की किल्लत हो य भाव बढ जाये तभी निकालकर महंगी दरो पर बिक्री शुरू करते है और यह सब खुलेआम हो रहा है।




 


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