पूर्ति विभाग और कोटेदारों की मिली भगत से चल रहा राशन कार्ड निरस्त करने का खेल

शब्दवाणी समाचार समाचार शुक्रवार 29 नवंबर 2019 (मुकेश कुमार),हमीरपुर। अभी बिहार में राशन न मिलने के कारण भूख से मरी बच्ची को लोग भूलें भी नहीं है।और इस बात का संज्ञान लेते हुए माननीय उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि सरकारी लाभ की योजनाओं में आधार कार्ड की भिन्नता से लाभार्थियों को वंचित न किया जाये।और जहां एक ओर सरकार समाज के अंतिम व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए प्रयत्नशील है।वहीं सरकारी कर्मचारियों की मिली भगत से कोटेदार खाद्यान्न का खेल खेल रहे हैं।कस्बे सहित क्षेत्र मे हर माह कोटेदारों द्वारा सैकड़ों राशन कार्ड कटवा दिए जाते हैं।और उपभोक्ता अपने राशन कार्ड को बनवाने के लिए महीनों विभाग के चक्कर लगाते रहते हैं।और यदि कोई व्यक्ति पूर्ति विभाग जाकर यह जानने का प्रयास करता है कि उसका राशन कार्ड क्यों निरस्त किया गया है।तो कार्यालय के बाबुओं के पास एक रटा रटाया जवाब होता है कि आधार कार्ड में भिन्नता है।लेकिन शायद यह कुर्सी पर विराजमान बाबू भूल गए हैं कि अगर आधार कार्ड में अग्रेजी मे भिन्नता है।कार्ड धारक का नाम हिंदी में भी दर्ज होता है।चाहे वह आधार कार्ड हो या राशन कार्ड।इन्हें हिन्दी में भी मिलान करना चाहिए।लेकिन हिंदी में मिलान क्यों करेंगे।सिस्टम तो मात्र राशन कार्ड निरस्त करने के लिए ही चलाया जा रहा है।ताजा मामले में इसी माह पंकज ओमर का कोटा निरस्त होने के बाद शांति देवी के कोटे में कुछ राशन कार्ड अटैच कर दिये हैं।लेकिन जब कार्ड धारक खाद्यान्न लेने गए।तो उन्हें बीस तारीख के बाद आने के लिए कहा गया।लेकिन मजेदार बात यह हुई कि बीस तारीख से पहले ही कुछ राशन कार्ड निरस्त कर दिये।अब कार्ड धारक खाने के लिए परेशान हैं।लेकिन पूर्ति विभाग तो कोटेदारों के हिसाब से चलता है।




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