राष्ट्रपति का आईआईटी,एनआईटी और आईआईईएसटी के निदेशकों की बैठक में संबोधन

शब्दवाणी समाचार मंगलवार 19 नवंबर 2019 नई दिल्ली। मैं आप सभी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के 23,  राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) और भारतीय अभियांत्रिकी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के 31 निदेशकों का राष्ट्रपति भवन में स्वागत करता हूं।
    हर साल की तरह, इस बार भी मुझे आपके साथ बातचीत करके बहुत प्रसन्नता हो रही है, क्योंकि आप सबसे प्रतिष्ठित प्रौद्योगिकी संस्थानों के प्रमुख हैं, जिन्होंने राष्ट्र-निर्माण में बहुत योगदान दिया है। मैं उत्कृष्टता की तलाश में आप सभी के द्वारा की गई जद्दोजहद की सराहना करता हूं। राष्ट्र बेहतर, अधिक न्यायसंगत भविष्य की दिशा में अपनी प्रगति के लिए आप पर निर्भर है। यदि ज्ञान शक्ति है, तो भारत की यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए आपके पास दुनिया की सारी शक्ति मौजूद है।



    हमारे वार्षिक विमर्श के दौरान, मैं आप लोगों से आपके महान ज्ञान केन्द्रों के बारे में, भारत के प्रतिभाशाली नौजवानों के सपनों और महत्वाकांक्षाओं के बारे में तथा भावी चुनौतियों के बारे में जानने के लिए लालायित हूं। जब मुझे आपके नेतृत्व वाले संस्थानों की बेमिसाल उपलब्धियों, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग में आपके सुधार के बारे में पता चलता है, तो मुझे बेहद प्रसन्नता होती है।   
    आज हमने संस्थानों की प्रस्तुतियों को देखा, जिनमें रैंकिंग में सुधार लाने के लिए उठाए जा सकने वाले विभिन्न कदमों के बारे में चर्चा की गई थी। ये रैंकिंग भले ही संख्या प्रतीत होती हो, लेकिन ये महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये विभिन्न महत्वपूर्ण मानकों पर आपकी प्रगति का सूचक हैं। अच्छी रैंकिंग प्राप्त करने वाले सभी संस्थानों को मैं बधाई देता हूं। मुझे आशा है कि अन्य संस्थान उनके अनुभवों से सीख सकते हैं और उजागर की गई कुछ उत्कृष्ट पद्धतियों को अपना सकते हैं। मुझे उम्मीद है कि अगले वर्ष में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए आप लोगों के बीच में ज्यादा स्वस्थ प्रतियोगिता होगी।
    जब ज्यादा महिला वृत्तिक होती हैं तो विज्ञान और प्रौद्योगिकी ज्यादा मानवीय बन जाते हैं। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि आपके संस्थान लड़के-लड़कियों के अनुपात में सुधार लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। मैं आपकी विभिन्न समितियों में महिला आंगतुक नामितों (वूमन विजिटर नॉमिनी) की संख्या बढ़ाने का प्रयास कर रहा हूं। हालांकि आपके संस्थानों के संकाय में महिलाओं की संख्या अभी तक काफी कम बनी हुई है। मुझे यकीन है कि यह मामला अपेक्षा के अनुरूप आप सभी का ध्‍यान आकृष्‍ट करेगा।
    संकाय में ज्यादा महिला सदस्य होने के साथ-साथ, हमें अंतर्राष्ट्रीय अनुभव वाले शिक्षकों की भी आवश्यकता है। हालांकि आपके संस्थानों द्वारा इस दिशा में कुछ प्रगति की गई है, लेकिन अभी बहुत  कुछ किया जाना बाकी है। इस बारे में आप सभी को ज्यादा केन्द्रित प्रयास करने की जरूरत है।  
    पिछले महीने मुझे आज यहां मौजूद संस्थानों में से एक के लिए अक्षयनिधि कोष प्रारंभ करने का अवसर मिला। मैं आशा करता हूं कि अन्य संस्थान भी इसी तरह अपनी गतिविधियों में अपने पूर्व छात्रों को साथ जोड़ेंगे। आपके पूर्व छात्र आपके संस्थान के निर्माण के महत्वपूर्ण हितधारक हैं और उन्हें आपकी विकासगाथा का अंग होने का अहसास कराया जाना चाहिए। 
    आप अपने संस्थानों में अगली पीढ़ी के नेताओं की ओर भी ध्यान आकृष्ट करें। यह बहुत आवश्यक है कि आप सक्षम प्रशासकों को तैयार करें, जो आगे चलकर वही दृष्टि और नेतृत्व प्रदान कर सकें, जो आज आप प्रदान कर रहे हैं। यह काम आसान नहीं है, लेकिन मंत्रालय ने लीडरशिप फॉर अकैडमिशन अथवा एलईएपी कार्यक्रम के साथ इस दिशा में आवश्यक कदम उठाए हैं। मुझे यह देखकर खुशी हुई कि कुछ महीने पहले मानव संसाधन मंत्री द्वारा इस कार्यक्रम का दूसरा संस्करण आरंभ कर दिया गया।   
देवियों और सज्जनों,
    मैं देख रहा हूं कि आप सभी विक्रम साराभाई, होमी भाभा और सतीश धवन जैसे हमारे महान संस्थान निर्माताओं की धरोहर को कुशलता के साथ आगे ले जा रहे हैं। साराभाई ने केवल विशुद्ध विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के अनेक महान शिक्षण संस्थानों का ही सृजन नहीं किया, बल्कि उन्हें समाज का अंग भी बनाया। स्वयं उद्योगपति होने के नाते उन्होंने अनुसंधान और उद्योग के बीच, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बीच संबंध कायम किया। 
    आज, मैं आपके प्रमुख संस्थानों और समाज के बीच संबंधों के बारे में चर्चा करना चाहता हूं, जिसके वे अंग हैं। मुझे खुशी होगी कि अगर आप इस अभ्यास को संवाद की भावना से देखेंगे।
    साल का यह ऐसा समय है, जब राष्ट्रीय राजधानी, साथ ही साथ बहुत से अन्य शहरों में हवा की गुणवत्ता सभी मानकों से परे बहुत खराब हो चुकी है। हम एक अभूतपूर्व चुनौती का सामना कर रहे हैं। पिछली कुछ सदियों से हाइड्रोकार्बन ऊर्जा ने दुनिया का चेहरा बदल कर रख दिया है, लेकिन अब यह हमारे वजूद के लिए ही खतरा बन गई है। यह चुनौती उन देशों के लिए और भी जटिल है, जो अपनी  जनसंख्या के बड़े वर्गों को गरीबी से निजात दिलाने की दिशा में संघर्ष कर रहे हैं। हालांकि हमें और विकल्प तलाश करने होंगे।
    अनेक वैज्ञानिकों और भविष्यवादियों ने प्रलय का परिदृश्यों का अनुमान व्यक्त किया है। हमारे शहरों में धुंध और खराब दृश्यता के दिनों में हमें डर है कि वह भविष्य पहले ही दस्तक दे चुका है। मुझे यकीन है कि आपके संस्थान, आपकी विभिन्न विशिष्टताओं के साथ, हमारे साझा भविष्य के प्रति छात्रों और शोधकर्ताओं के बीच संवेदनशीलता और सजगता का सृजन करने का ध्यान रखेंगे।       
देवियों और सज्जनों,
    हमारी सरकार ने 'कारोबार में सुगमता' सूचकांक में भारत की रैंकिंग में सुधार लाने की दिशा में केन्द्रित प्रयास किए हैं और अब उसका लक्ष्य सभी नागरिकों के लिए 'जीने में सुगमता' में सुधार लाना है। हम उस दिशा में आगे कैसे बढ़ सकते हैं और सभी के लिए, विशेषकर समाज के हाशिये पर मौजूद लोगों के लिए, जीवन कैसे सुगम बना सकते हैं? इस सप्ताह के आखिर में राज्यों के राज्यपाल राष्ट्रपति भवन आएंगे और यह बिन्दु उनके सम्मेलन में होने वाले विचार-विमर्श के महत्वपूर्ण बिन्दुओं में शुमार होगा। मुझे यकीन है कि शासन के क्षेत्र में समाधान मौजूद हैं। प्रौद्योगिकी के परिदृश्य से, मुझे यकीन है कि आपके संस्थान इस उद्देश्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। शहरी बुनियादी ढांचे में सुधार लाना, जल आपूर्ति प्रणालियों को दक्ष बनाना, स्वास्थ्य सेवाएं ज्यादा कारगर बनाना-अनेक तरीके हैं जहां प्रौद्योगिकी एक औसत भारतीय के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है। सरकार ने नवाचार और प्रौद्योगिकी उद्भवन के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहन उपलब्ध कराए हैं ताकि सभी नागरिक बेहतर भविष्य की आशा कर सकें।
    यह बात बहुत पुरानी हो चुकी है कि हम प्रौद्योगिकी के युग में जीते हैं। दरअसल प्रौद्योगिकी बेतहाशा रफ्तार से आगे बढ़ रही है और जीवन के लिए शानदार विचार सामने ला रही है। दस साल पहले जिस बात की कल्पना तक नहीं की जा सकती है, वह आज विलासिता न रहकर आवश्यकता बन चुकी है। यह प्रक्रिया आर्थिक ताकतों द्वारा प्रेरित रही है और प्रेरित हो रही है। अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, मैं उत्कृष्ट आर्थिक संसाधन: मानव संसाधन को उद्धृत कर रहा हूं। मुझे पता चला है कि इस समय आपके संस्थानों में प्लेसमेंट सीजन बहुत अनुकूल रूप से शुरू हुआ है। आपके छात्र केवल नौकरी की इच्छा रखने वाले नहीं हैं, उनमें रोजगार का सृजन करने की क्षमता भी है। सरकार ने स्टार्ट-अप्स के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया है और मुझे आशा है कि संस्थान इस दिशा में उनका उचित अभिविन्यास कर सकते हैं।         
देवियों और सज्जनों,
    मैं शिक्षा और सशक्तिकरण में उसकी भूमिका के प्रति उत्साही रहा हूं। इसलिए आप लोगों के साथ संवाद करके मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। भारत की उत्कृष्ट प्रतिभाओं को निखारने के आपके कार्य के लिए मैं आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद,
जय हिन्द!



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