सब कुछ तुम्हारा है,पर हाथ मत लगाना

शब्दवाणी समाचार रविवार 17 नवंबर 2019 (परवेज़ अख़्तर) नई दिल्ली। आज देश के हालात क्या हैं किसी से छुपा नहीं है सभी लोग अपने अपने हिसाब से आंकलन कर रहे हैं और अपने दिमाग और सोच से लगभग सभी लोग सही कह भी रहे हैं, कोई कह रहा है भ्रष्टाचार कम हुआ है, ये कहने वाले भी सही कह रहे हैं, कोई कह रहा है पहले से ज़्यादा बढ़ गया, तो लगता है ये भी सही कह रहे हैं, कोई बोल रहा है देश में खुशहाली आ गयी, कोई बोल रहा है इस वक्त हर आदमी परेशान है, कोई बता रहा है मंहगाई बहुत बढ़ गयी है, लोगों का घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया है, कोई बता रहा मंहगाई बढी होती तो इतने किलो सोना ना बिकता अरबो रुपये के लोग मोबाइल व गाड़ी ना खरीदते, कुल मिलाकर देश की जनता मौजूदा हालात पर अपने अपने ख्यालात ज़ाहिर कर रही है और जिसकी बात सुनो तो सच में लगता है कि वो सच बोल रहा है, बिल्कुल इस तरह से के एक शख्स बोल रहा है, आधा गिलास खाली है, दूसरा शख्स बोल रहा है, आधा गिलास भरा है गोया कि दोनों ही सच बोल रहे हैं, अब ऐसे में आधे गिलास भरे में तो सुकून दिख रहा है पर आधे गिलास खाली में स्तिथि बड़ी डरावनी दिख रही है, हाँ डरावनी कहने में कोई गुरेज़ न होगा कि जब एक टाईम पर नोट बन्दी हुयी थी तो एक भयावाह स्थिति पैदा हो गयी थी कुछ लोगों को नोट बन्दी ने जीवन भर का गम दे दिया था तो कुछ लोग हालिया वक्त के लिए बरबाद हो गये थे !



कुछ लोग आज भी अवसाद में हैं, पर कोई बात नहीं सबकुछ ठीक हो जायेगा ये सोच कर बहुत लोगों ने दिमाग को झटक दिया,कैश लेस ट्राँजेक्शन की पुरज़ोर वकालत की गयी जिन लोगों ने कभी e ट्राँजेक्शन किया ही नहीं था उन लोगों के लिए ये सब किसी टास्क से कम न था बहर हाल किसी तरह से सब सेट होता गया पर इस दौरान लोगों को सुकून कम उलझने ज़्यादा रही,अब इसके बाद ये  बैंको का नया मामला एक नयी बात नया डर और नयी उलझन लोगों को झकझोरने के लिये तैय्यार है, ज़ाहिर सी बात है कि कैशलेस व्यवस्था के लिए आदमी बैंको पर ही आश्रित रहेगा उसी के ही माध्यम से ही वो ट्राँजक्शन करेगा, अब जबकि बैंक में जमा पैसा पूरी तरह से एक नम्बर का ही होता है, पूरी जवाब देही के साथ, तो फ़िर अगर बैंक में घपला होता है, तो उसमे कन्ज्युमर की क्या गलती अगर PMC  पी एम सी बैंक में चार हज़ार तीन सौ पचपन करोड़ 4355 करोड़ रुपये का घपला हुआ है, तो इसमें कस्टमर की क्या गलती है वक्त ज़रुरत के लिए ही आदमी बैंक में पैसा जमा करता है और अगर उसको उसके वक्त पर या बुरे वक्त पर अपना ही पैसा न मिले तो वो बहुत ही घुटन भरे माहौल से गुज़रता है, बैंक को जनता सुरक्षित समझती है वहाँ पर वो अपनी दौलत तो रखती ही है, लाकरों में कीमती जेवर, वगैरा भी रखती है अगर बैंक ही सुरक्षित न रहे तो जनता कैसे भरोसा करेगी, और ऐसा ही इस वक्त उन *पीएमसी* बैंक खाताधारकों के साथ हो रहा है महाराष्ट्र में काफ़ी लोगों के परेशान होने की खबर के साथ तीन व्यक्तियों के  *हार्ट अटैक की* वजह से मौत हो जाने की खबर किसी भी मायनो में ठीक नहीं है ।
इसी तरह से पन्नी बंद होने में भी जनता कन्फ़्यूज़्ज़ है, के सिर्फ़ छोटे दुकानदार या गरीब ठेले वाले जिस पन्नी में सामान देते हैं, वो ही खतरनाक है, या फ़िर ये दूध की पन्नी,कुकुरकुरे की पन्नी,
शैंपू पाऊच, सर्फ़ की पन्नी, और ऐसे ही हज़ारों सामान जो पन्नियों में आते हैं, वो क्या पन्नियों की श्रेणी में नहीं आती हैं, ऐसे ही एक उलझन की बात और के अभी तक नयी नौकरियों की घोषणा तो खूब हुयी हैं इसके उलट काफ़ी नौकरियों से लोगों को हाथ धोना पड़ गया बज़ट ना होने के कारण लगभग 42  हज़ार होमगार्ड्स  की नौकरी खतरे में पड़ गयी, इस सब के बीच सबसे ज़्यादा चौंकाने वाली बातें ये हैं कि तमाम विभागों का निजीकरण होता जा रहा है, ज़ाहिर सी बात है निजीकरण का मतलब सरकारी नहीं जब विभाग सरकारी नहीं तो  नौकरी भी सरकारी नहीं, वैसे सरकारी विभागो में *आराम तल्बी* व कर्मचारियों का रवैय्या भी काफ़ी हद तक *निजीकरण* का जिम्मेदार है।
तेजस ट्रेन उसी ट्रैक उसी सरकारी मशीनरी पर राईट टाईम चल रही है, बाकी ट्रेन उसी मशीनरी पर लेट चल रही हैं, कौन करवा रहा है ये सब सही मायनो में सब कुछ अजीब लग रहा है, बहरहाल *गिलास आधा खाली है, ये कहने वालो की संख्या ज़्यादा है,ज़रुरत है बहुत जल्द सरकार कोई कारगर कदम उठाये ताकि जनता को कुछ सुकून मिल सके।



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