साइंस स्ट्रीम के छात्र भी अब चुन रहे अपरंपरागत कोर्स

शब्दवाणी समाचार शुक्रवार 01 नवंबर 2019 कानपुर।  अबतक ऐसा देखा गया है कि अधिकर छात्र मेडिकल या इंजीनियरिंग का कोर्स चुनना पसंद करते हैं लेकिन अब इन दोनों की लोकप्रियता धीरे-धीरे कम हो रही है। अब छात्र इन दो स्ट्रीम से अलग कोर्सेस को भी पसंद करने लगे हैं, जो उनके टैलेंट को उभारने के साथ भविष्य में अच्छे करियर विकल्प बनते हैं। इंजीनियरिंग और मेडिकल के कोर्स तब अधिक लोकप्रिय थे जब इनके अलावा किसी दूसरे स्ट्रीम में कुछ खास विकल्प उपलब्ध नहीं थे। जब कोई छात्र इंजीनियरिंग या मेडिकल का प्रवेश क्लियर कर लेता था, तो उसके लिए वह गर्व का पल होता था। छात्रों को एक बड़ी पहचान मिल जाती थी, क्योंकि ये उन्हें करियर के बेहतरीन विकल्प प्रदान करते थे।



आज के छात्र अपरंपरागत कोर्सेस की तरफ भी बढ़ने लगे हैं। इस प्रकार के कोर्स का चयन किसी भी स्ट्रीम का छात्र कर सकता है। इन कोर्सेस में मैनेजमेंट, लॉ, मास कम्यूनिकेशन, होटल मैनेजमेंट और फैशन डिजाइनिंग आदि शामिल हैं।
लखनऊ स्थित प्रथम एजुकेशन के क्लैट मेंटर और रीजनल मैनेजर, श्री अभय ओझा ने बताया कि, “छात्रों को अपने करियर का चयन उचित रिसर्च के साथ सोच समझकर करना चाहिए। करियर छात्र की पसंद और उसके टैलेंट के अनुसार होना चाहिए। जब छात्र ऐसी परिस्थिति में फस जाते हैं और कोई फैसला नहीं ले पाते हैं, तो ऐसे मामलों में प्रथम एजुकेशन छात्रों को सही फैसला करने में मदद करता है। प्रथम न सिर्फ हर प्रकार की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराता है बल्कि हर विषय के लिए स्टडी मटीरियल के साथ मॉक टेस्ट भी उपलब्ध कराता है। यदि किसी छात्र को लिखने में समस्या आती है तो प्रथम ऐसे छात्रों को अलग से समय देता है और उन्हें लिखने का अभ्यास कराता है। यहां के सभी शिक्षक छात्रों के हर संदेह व समस्या को दूर करने में विश्वास रखते हैं इसलिए छात्रों को अलग से क्लासेस दी जाती हैं, जहां वे अपने सभी संदेह व समस्याओं को दूर कर पाते हैं।
मैनेजमेंट एक ऐसा करियर विकल्प है जो छात्रों के भविष्य को सवांर देता है। आंकड़ों के अनुसार, साइंस स्ट्रीम के कई छात्रों ने करियर के लिए इस कोर्स का चुनाव किया है। ऐसे छात्रों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। इस प्रकार के कोर्स को पूरा करने के बाद करियर के विभिन्न विकल्प उपलब्ध होते हैं, जैसे फाइनेंस, ह्यूमन रिसोर्स (एचआर) और मार्केटिंग आदि।
वैश्विक मंदी के दौरान जब कंपनियां डूबने लगती थी तो वे कर्मचारियों की छटनी करने लगती थीं, जिसके कारण छात्रों के लिए नौकरी ढूंढना मुश्किल हो जाता था। इस स्थिति में कई सुरक्षा बंदरगाह मौजूद होते थे और लॉ इसमें से एक था क्योंकि इस परिस्थिति में मार्केट के मुद्दों को सुलझाने के लिए कानूनी सलाहकारों (लीगल एडवाज़र) की जरूरत पड़ती थी।
हॉस्पिटैलिटी के क्षेत्र में आने वाले 5 सालों में 43,300 करोड़ निवेश के साथ 3.5 मिलियन कुशल कर्मचारियों की जरूरत होगी। इसके लिए भारी संख्या में नौकरियों के लिए विभिन्न स्थानों की नियुक्ति की जाएगी और यह छात्रों के लिए किसी बड़े अवसर से कम नहीं है।



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