आरोपी युवक की रखैल उन्नाव की लड़की,बलात्कार का झूठा आरोप: दारा सेना
शब्दवाणी समाचारवार 08 दिसम्बर 2019 नई दिल्ली। धर्मरक्षक श्री दारा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुकेश जैन की अध्यक्षता में हुई हिन्दू संगठनों की बैठक में बलात्कार का आरोप लगाकर कर अपने पति समान पूजनीय युवक को जेल भिजवाने वाली उन्नाव की लड़की की जल कर हुई मृत्यु को न केवल दुःखद बताया बल्कि इस मामले की निष्पक्ष जांच करके सही फैसला लेने की मांग सरकार से की । हिन्दू संगठनों ने सरकार को आगाह किया है कि वो सी आई ए की खूंखार नक्सल आतंकवादी स्वाति मालीवाल के आमरण अनशन और उस पर हो रहे देशद्रोही मीडिया के ट्रायल को नजर अंदाज करके ठंडे दिमाग से काम लेकर वो रास्ता तलाशे जिससे बलात्कार के मामले न केवल कम हो बल्कि महिलाओं की अस्मिता की हर प्रकार से रक्षा हो।
बैठक में दारा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुकेश जैन ने कहा कि सरकार को सबसे पहले दिल्ली में हर चैkरोहों और गली मौहल्लों में अपनी अस्मिता को बेच रही उन हजारों लड़कियों की अस्मिता और पवित्रता की रक्षा करने को प्राथमिकता देनी चाहिये जो अपने परिवार और बच्चों का पेट पालने के लिये अपने साथ दिन में 5 -7 बार बलात्कार करा रही है। उसके बाद ही बलात्कार के मामलों में अपवित्र हुई गिनी-चुनी लड़कियों के मुकदमें दर्ज करने की प्राथमिकता पर सरकार को गौर करना चाहिये। सरकार के इस कदम से एक बलात्कार के मुकदमें पर जितना खर्च कर रही है उतने खर्चे में जिस्म बेचने को मजबूर एक हजार लड़कियों की पवित्रता और अस्मिता की रक्षा हो जायेगी।
बैठक में दारा सेना के महामंत्री स्वामी ओम जी ने कहा कि बलात्कार के मुकदमों में दिये गये फैसलों से यह साफ है कि 100 में 10 मामले ही सच होते हैं। किन्तु सरकार के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा इन झूठे मुकदमों में खर्च हो रहा है। स्वामी ओम जी ने उन्नाव की लड़की जिसको वैमनैस्य की आग में उसके पति समान युवक ने जला कर मार दिया] की दुःखद मृत्यु को पीड़ा दायक बताते हुए कहा कि यदि पुलिस प्रशासन और न्यायपालिका तनिक भी समझदारी से काम लेती तो उन्नाव की लड़की को वैमनैस्य की आग में जलाकर मारने से बचाया जा सकता था।
स्वामी ओम जी ने कहा कि यह साफ है कि उन्नाव में जलाकर मारी गयी लड़़की उस युवक के साथ पत्नी की तरह रखैल बनकर सालों से रह रही थी। अचानक ही ऐसा क्या हुआ कि हर दिन सहवास की आनन्द ले रही यह लड़की कहने लगी कि मेरे साथ बलात्कार हो रहा है। जबकि शास्त्र कहते है कि यदि लड़की ने एक क्षण का भी सहवास का सुख लिया है तो वह बलात्कार नहीं माना जायेगा। इसी के साथ भारतीय दण्ड विधान की धारा 375 के तहत बलात्कार वो ही माना जाता है जिसमें लिग प्रवेशन जबरदस्ती किया गया हो। सर्वोच्च न्यायालय भी एक साथ रहने और सहवास करने को अपराध नहीं मानता। उसके बाद भी पुलिस प्रशासन और न्यायालय ने आरोपी नवयुवक के साथ सहवास का लगातार आनन्द उठा रही उन्नाव की इस लड़की की झूठी शिकायत पर मुकदमा दर्ज करके उसके पति समान निर्दोष युवक और उसके निर्दोष भाई बन्धुओं को बिना किसी साक्ष्य सबूत और बिना लड़की का मैडिकल परीक्षण किये जेल भेज दिया। जिसके कारण बदले की भावना और वैमनैस्य की अग्नि धधक उठी जिसमें न केवल घर गृहस्थी बसाने का ख्वाब संजोये एक निर्दोष लड़की जलकर मर गयी बल्कि उसके पति समान युवक और उसके भाई बंधq भी फांसी के फंदे में लटकने जा रहे हैं। हिन्दू संगठनों ने चिन्ता जतायी कि यदि कानून की अवहेलना करके झूठा मुकदमा दर्ज न होता तो यह अपराध रोका जा सकता था।
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