चुनाव में पूर्व सैनिकों की अनदेखी पड़ सकती है भारी : शहीद परिवार कल्याण फाउंडेशन

शब्दवाणी समाचार शनिवार 28 दिसम्बर 2019 नई दिल्ली। शहीद परिवार कल्याण फाउंडेशन ने गुरुवार को प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इस प्रेस वार्ता में संस्था के संयोजक मेजर डॉ टीसी राव, मेजर जनरल रंजीत सिंह, मेजर जनरल रविंद्र यादव, कर्नल रवि टोकस, मेजर एसएन यादव, अध्यक्ष कर्नल महावीर सिंह समेत कई सेवानिवृत्त सेना के अधिकारियों ने हिस्सा लिया। प्रेस वार्ता में 'विधायी निकायों में ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक पूर्व सैनिकों के प्रतिनिधित्व और आरक्षण' की मांग को पुरज़ोर तरीक़े से उठाया गया। सेवानिवृत्त सैनिकों का आरोप है कि पिछले 70 वर्षों में अलग-अलग सरकारों ने उनकी उपेक्षा की है। राष्ट्र निर्माण में  सैनिकों का योगदान अभूतपूर्व रहा है। लिहाज़ा, वे सेवानिवृत्ति के बाद भी देश के विकास को गति देने के लिए सहयोग करना चाहते हैं। 



एमएफडब्ल्यूएफ के संयोजक मेजर डॉ. टीसी राव ने कहा, "पूर्व सैनिकों का एक बहुत बड़ा तबका आज उपेक्षित महसूस कर रहा है। देश की चुनाव प्रक्रिया में हमारी प्रत्यक्ष भागीदारी तय होनी चाहिए। अनुसूचित जाति व जनजाति की जनसंख्या के तर्ज़ पर पूर्व सैनिकों को भी इस देश और राज्यों की विधायिका, पंचायत से संसद तक, में आरक्षण मिलना चाहिए। इस बाबत हमने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री मोदी, कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी, मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को ज्ञापन सौंपा है।
मेजर टीसी राव के मुताबिक़, "इस देश में लगभग तीन करोड़ परिवार सेना की पृष्ठभूमि से आते हैं, मगर न ही किसी सरकार ने इन करोड़ों मतदाताओं की गुहार सुनी न इन्हें चुनाव निकायों में उचित दर्ज़ा दिया। जब-जब देश पर आँच आयी है, हज़ारों जाँबाज़ सैनिकों ने प्राणों की आहुति देकर अपने लहू से इस देश के सरहदों की रक्षा की है।
सैनिकों को चुनाव के दौरान तैनाती ड्यूटी के कारण व्यक्तिगत वोट डालने का एक भी मौका नहीं मिल पाता है। सैनिकों का आरोप है कि सरकारें नज़रअंदाज़ करती हैं। एक ओर जहाँ अमरीका में 17 पूर्व राष्ट्रपति सेना की पृष्टभूमि से थे, भारत में उन वेटरन्स को दरकिनार कर दिया गया है। 
आँकड़े बताते हैं कि दिल्ली कैंट निर्वाचन क्षेत्र में कुल 50% सेना के मतदाता रहते हैं, जिनमें सेना के विभिन्न कार्यों से जुड़े कई सिविलियन्स भी आते हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से सेना के अधिकारियों से जुड़े रहते हैं।  ग़ौरतलब है कि पूरे देश में कुल 62 कैंटोनमेंट में 30% मत डिफेंस फोर्सेज़ के हैं। शहीद परिवार कल्याण संस्था की माँग है कि विधानसभा की सभी 62 सीटें जिनके अधीन छावनी आती है, उन्हें सैनिकों के लिए आरक्षित किया जाए। 
इनका आरोप है कि सभी राजनीतिक दलों ने उनकी अनदेखी की है। अगर माँगें नहीं मानीं गयीं तो आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टियों को इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है। एमएफडब्ल्यूएफ ने अपने संयुक्त बयान में कैंटोनमेंट बोर्ड में दो पूर्व सैनिक को नामित किये जाने की माँग की और दो पूर्व सैनिकों को एंग्लो इंडियन के स्थान पर लोकसभा भेजे जाने भी मसौदा सौंपा। फाउंडेशन ने प्रधानमंत्री कार्यालय, राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद, गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी पत्र भेजा है।



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