पिछले पांच वर्षों में स्‍वच्‍छ गंगा मिशन में व्‍यापक सुधार: श्री गजेन्‍द्र सिंह शेखावत

शब्दवाणी समाचारवार शुक्रवार 06 दिसम्बर 2019 नई दिल्ली। केन्‍द्रीय जल शक्‍ति‍ मंत्री श्री गजेन्‍द्र सिंह शेखावत ने कहा है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान स्‍वच्‍छ गंगा मिशन में व्‍यापक सुधार हुआ है। श्री शेखावत आज नई दिल्‍ली में चौथे भारत जल प्रभाव सम्‍मेलन को सम्‍बोधित कर रहे थे। उन्‍होंने कहा कि हाल में 10 अक्‍तूबर 2019 को देव प्रयाग से विशाल नदी राफ्टिंग अभियान 'गंगा अमांतरण अभियान' लॉच किया गया। यह अभियान 34 दिन चला और इसमें गंगा की 2500 किलोमीटर की लम्‍बाई कवर की गई। अभियान पश्चिम बंगाल में गंगा सागर तक चला। उन्‍होंने कहा कि गंगा जल की गुणवत्‍ता में पिछले पांच वर्षों में काफी सुधार हुआ है। उन्‍होंने कहा है कि जल की गुणवत्‍ता में सुधार का सबसे अच्‍छा मानक जलीय जीवजंतु का जीवन है। पांच साल पहले केवल दस गांगेय डॉल्फिन देखे गए थे, लेकिन इस बार 2000 से अधिक डाल्फिन दिखाई दिए। उन्‍होंने कहा कि बहते हुए कचरों में भी कमी देखी गई है।



श्री शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने स्‍वच्‍छ गंगा कोष (सीजीएफ) बनाने की स्‍वीकृति दी है। कोष में उदारतापूर्वक दान देने की अपील करते हुए श्री शेखावत ने कहा कि सीजीएफ का उद्देश्‍य गंगा नदी की स्‍वच्‍छता में सुधार के राष्‍ट्रीय प्रयास में योगदान करना है। देश के निवासी और अनिवासी दोनों से अंशदान प्राप्‍त किया जाएगा। यह कोष नियोजन, धन पोषण तथा मूल्‍यांकन का आधार बनाने के लिए विशेष उद्देश्‍यों को परिभाषित करेगा।
जल शक्ति मंत्री ने कहा कि अविरल धारा सुनिश्चित करने के लिए नमामि गंगे का दृष्टिकोण व्‍यापक है। इसमें पर्यावरण प्रवाह का मूल्‍यांकन और उसकी अधिसूचना, बांध क्षेत्र, वनरोपण, संरक्षण तथा दलदली जमीन का कायाकल्‍प और जल उपयोग सक्षमता में सुधार विशेषकर कृषि क्षेत्र सुधार शामिल हैं। कृषि में जल की खपत सबसे अधिक होती है। विश्‍व में हमारे जल को कम उत्‍पादक जल माना जाता है।
श्री शेखावत ने कहा कि सरकार ने नमामि गंगे मिशन को गंगा और उसकी सहायक नदियों के संरक्षण के लिए एकीकृत मिशन के रूप में लॉंच किया। इसमें व्‍यापक बेसिन आधारित दृष्टिकोण को अपनाया गया है।
श्री शेखावत ने सी-गंगा (गंगा नदी बेसिन प्रबंधन तथा अध्‍ययन केन्‍द्र) के साथ टेक्‍नालॉजी सहयोग समझौते के लिए आईआईटी, एनआईटी, एनईईआरआई, यूरोपीयन यूनियन, जर्मनी, डेनमॉर्क, इस्रायल, जापान तथा कनाडा की भूमिका की सराहना की।
उन्‍होंने बताया कि भारत सरकार ने 9 अक्‍तूबर, 2018 को गंगा नदी में उत्‍तर प्रदेश के उन्‍नाव से न्‍यूनतम पर्यावरण प्रवाह को बनाए रखने की अधिसूचना जारी की। उन्‍होंने बताया कि शहरी नदी प्रबंधन परियोजना विकसित करने के लिए एनआईयूए के साथ पायलट परियोजना शुरू की गई है।
इस अवसरपर जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण विभाग के सचिव श्री यू पी सिंह ने कहा कि जल जीवन मिशन (जेजेएम) स्‍वच्‍छ भारत मिशन की तरह पांच वर्ष की अवधि में 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा।
श्री शेखावत ने 22 अगस्‍त, 2019 को आयोजित एम्‍बेसडरों की बैठक, नदी पुनर्स्‍थापन तथा संरक्षण पर रिपोर्ट और सी-गंगा हब पर निर्देशिका और दस्‍तावेज जारी किए।
इस अवसर पर स्‍वच्‍छ गंगा के लिए राष्‍ट्रीय मिशन के महानिदेशक श्री राजीव रंजन मिश्र, सी-गंगा के प्रमुख प्रोफेसर विनोद तारे, एनएमसीजी के उपमहानिदेशक श्री शिशिर कुमार राठो और भाग लेने वाले देशों के राजदूत तथा उच्‍चायुक्‍त उपस्थित थे।



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