स्ट्रोक के एडवांस इलाज के बारे में चर्चा के लिए अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस आयोजित

शब्दवाणी समाचार रविवार 01 दिसम्बर 2019 गुरुग्राम। युवा आबादी के बीच स्ट्रोक के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और इसी के साथ इस समस्या की रोकथाम करना एक बड़ी जरूरत बन गई है। स्ट्रोक के लक्षणों और इसकी रोकथाम के तरीकों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के उद्देश्य से स्ट्रोक एंड न्यूरोवस्कुलर इंटरवेंशन फाउंडेशन ने आज एक इंटरैक्टिव सेशन का आयोजन किया। इस अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में भारत के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश, अमेरिका, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और फिनलैंड से लगभग 500 न्यूरोसर्जन, न्यूरोलॉजिस्ट और न्यूरोइंटरवेंशनिस्ट ने भाग लिया। भारत में, इस प्रकार के बहुत ही कम कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो खासकर स्ट्रोक की रोकथाम के लिए नए विकल्पों पर केंद्रित होते हैं। कॉन्फ्रेंस में, युवाओं के बीच स्ट्रोक के बढ़ते मामलों और स्ट्रोक के इलाज के लिए नए विकल्पों पर चर्चा की गई।



डॉक्टर विपुल गुप्ता और उनकी टीम द्वारा लिखी गई किताब 'न्यूरोइंटरवेंशन-टिप्स और ट्रिक्स के 100 दिल्चस्प किस्से' का लॉन्च इस कॉन्फ्रेंस मीटिंग के आकर्षण का केंद्र बना। इस क्षेत्र पर आधारित यह पहली किताब है, जिसका उद्देश्य यह है कि डॉक्टर सही जानकारी पाकर मरीजों की मदद कर सकें। एम्स के न्यूरोसाइंसेस विभाग के पूर्व प्रमुख, प्रोफेसर वी.एस मेहता और एम्स के न्यूरो-रेडियोलॉजी प्रमुख, प्रोफेसर एनके मिश्रा द्वारा इस किताब का लॉन्च किया गया।
डॉक्टर विपुल गुप्ता ने आगे बताया कि, “स्ट्रोक के लक्षणों और शुरुआती निदान के महत्व के बारे में जागरुकता को अधिक से अधिक महत्व देना चाहिए। एडवांस ट्रीटमेंट के साथ, आज के आधुनिक उपकरण न सिर्फ क्लॉट को निकालने में सक्षम हैं बल्कि स्ट्रोक का सफल इलाज करने में भी सक्षम हैं। यही वजह है कि लोगों को इलाज में आई प्रगति के बारे में जागरुक करना आवश्यक है। इलाज में देरी करने से एक-तिहाई मरीज हमेशा के लिए पैरालाइज्ड हो सकते हैं और 25 फीसदी मरीजों की एक साल के अंतराल में मृत्यु हो सकती है।”
इस मीटिंग में कई ट्रेनिंग वर्कशॉप का आयोजन भी किया गया था, जिसमें स्ट्रोक के इलाज के लिए स्ट्रोक का निदान, गंभीर स्ट्रोक में थ्रोम्बोलिसिस, ट्रांस्क्रानियल डॉपलर जैसी खास तकनीकों का उपयोग आदि शामिल था। आर्टमिस अस्पताल से एक लाइव केस भी दिखाया गया, जिसमें एडवांस तकनीक की मदद से कैरोटिड स्टेनोसिस (स्ट्रोक का एक गंभीर कारण) का इलाज किया गया और इसपर चर्चा भी की गई।
हेल्दी लाइफस्टाइल और खान-पान की सही आदतों के साथ स्ट्रोक पर आसानी से काबू पाया जा सकता है। युवाओं को एक हेल्दी डाइट के साथ नियमित एक्सरसाइज पर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा उन्हें धूम्रपान बंद कर देना चाहिए और शराब का कम से कम सेवन करना चाहिए।



Comments

Popular posts from this blog

22 वें ऑल इंडिया होम्योपैथिक कांग्रेस का हुआ आयोजन

आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रमुख राजनीतिक पार्टी सिंधी समाज को भी अपना उम्मीदवार बनाए : अंजलि तुलस्यानी

सेंट पीटर्स कॉन्वेंट विद्यालय ने अपना वार्षिकोत्सव मनाया