विमान यात्रा में बढ़ेगी सुरक्षा, कोताही बरतने पर एक करोड़ का जुर्माना

शब्दवाणी समाचार वीरवार 12 दिसम्बर 2019 नई दिल्ली। अब विमान यात्रा करते समय आपको पहले से ज्यादा सुरक्षा का अहसास होगा, क्योंकि देश में विमान सेवा संचालन के लिए 85 साल से चले आ रहे एयरक्राफ्ट एक्ट, 1934 में संशोधन की राह साफ हो गई है। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को इस कानून में संशोधन कर उसे अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) के मानकों के अनुरूप करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। अब हवाई सेवा संचालन के नियमों के उल्लंघन पर अधिकतम 10 लाख रुपये के बजाय एक करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा।



सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी की तरफ से मंजूर किए गए संशोधन के बाद मौजूदा कानून में हवाई सेवा संचालन के सभी पहलुओं के नियमन में मदद मिलेगी। इस संशोधन से तीनों नियामक संस्थाओं नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए), नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) और विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) भी ज्यादा प्रभावी साबित होंगे। इससे देश में विमानों के संचालन में बचाव और सुरक्षा के स्तर को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली केंद्रीय कैबिनेट ने भारत और ब्राजील के बीच सामाजिक सुरक्षा से जुड़े समझौते को भी मंजूरी दे दी। इस फैसले से ब्राजील में काम कर रहे भारतीयों और यहां काम कर रहे ब्राजील निवासियों को लाभ मिलेगा। इस समझौते के बाद अब दोनों देशों के नागरिकों को एक-दूसरे के यहां काम करने के दौरान दोनों जगह सामाजिक सुरक्षा अंशदान में हिस्सेदारी नहीं करनी होगी। यह समझौता उस कवायद के तहत किया गया है, जिसमें भारत अपने देश के पेशेवरों, कुशल कामगारों के हितों को विदेश में संरक्षित करने के लिए कई देशों की सरकारों के साथ द्विपक्षीय समझौते कर रहा है।
केंद्रीय कैबिनेट ने भारत और सऊदी अरब के बीच चिकित्सा उत्पादों के नियमन को लेकर किए गए करार को भी हरी झंडी दिखा दी। यह करार भारत की केंद्रीय औषण मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) और सऊदी खाद्य व औषण प्राधिकरण के बीच किया गया है। एक अधिकारिक बयान में बताया गया कि इस करार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सऊदी अरब दौरे में 29 अक्तूबर को हस्ताक्षर किए गए थे। इससे भारतीय चिकित्सा उत्पादों का सऊदी अरब में निर्यात बढ़ने में मदद मिलने की उम्मीद है।
गैर-ओपेक देशों से ज्यादा आपूर्ति बरकरार रहने और वैश्विक मांग कमजोर रहने के कारण 2020 में तेल की कीमतें अपेक्षाकृत कम रह सकती हैं। विमानन कंपनियों के अंतरराष्ट्रीय संगठन इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) के मुख्य अर्थशास्त्री ब्रायन पियर्स ने बुधवार को कहा कि भारतीय विमानन कंपनियों पर तेल की कीमतों का व्यापक प्रभाव है। 
गैर-ओपेक देशों से आपूर्ति बने रहने के कारण तेल की कीमतें अगले 12 महीनों तक अपेक्षाकृत नरम रह सकती हैं। वहीं, विश्लेषकों का कहना है कि अगले साल की शुरुआत में तेल का भंडारण बढ़ने का अनुमान है। इस कारण कीमतों में उतार-चढ़ाव की संभावना नहीं है और 202 में ब्रेंट क्रूड की औसत कीमत 63 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान है।



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