आयुर्वेद और आयुष को रिसर्च और इवोनेशन की जरूरत : पद्श्री डॉ. भारतभूषण

शब्दवाणी समाचार रविवार 01 मार्च 2020 नई दिल्ली। शोभित यूनिवर्सिटी ने स्वास्थ्य सेवा में योग, आयुर्वेद और नेचुरोपैथी को बढ़ावा देने के लिए  शनिवार को दिल्ली के जनपथ स्थित फाइव स्टार होटल ‘ली मेरिडियन’ में दूसरे ‘वेलबीइंग समिट’ की मेजबानी की। सहारनपुर में मोक्ष्याटन इंटरनेशनल योगाश्रम से संबंधित पद्मश्री पुरस्कार विजेता स्वामी भारतभूषण ने उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता की। स्वामी भारतभूषण ने कहा कि योग और आयुर्वेद को मेडिकल फील्ड को जायज हक देने का समय आ गया है। योग और आयुर्वेद में निरंतर नए शोध और आविष्कार होने चाहिए, ताकि चिकित्सा की इन दोनों प्राचीन विधाओं को मेडिकल फील्ड की मुख्यधारा में शामिल किया जा सके और समाज के बीच इसकी स्वीकार्यता को बढ़ाया जा सके।



माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत को ‘फिट और हेल्दी’ बनाने के मिशन और मेडिकल के क्षेत्र में सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘आयुष्मान भारत’ की तर्ज पर वेलनेस समिट के आयोजन का लक्ष्य आम जनता को अपनी सेहत की रक्षा करने के प्रति सजग और जागरूक बनाना और उनमे अच्छे रहन-सहन को बढ़ावा देना था। समिट में विशिष्ठ व्यक्ति, आध्यात्मिक नेता, योगगुरु, शिक्षाविद और मीडियाकर्मी भी शामिल हुए।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को सहारनपुर में मोक्ष्याटन इंटरनेशनल योगाश्रम से संबंधित पद्मश्री पुरस्कार विजेता स्वामी भारतभूषण और गंगोह और मेरठ यूनिवर्सिटी के चांसलर कुंवर शेखर विजेंद्र ने संबोधित किया।
शोभित यूनिवर्सिटी के चांसलर कुंवर शेखर विजेंद्र ने कहा, ‘अच्छा रहन-सहन अपनी अंतरात्मा को जगाने और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने की प्रक्रिया है। यह अपने व्यक्तित्व को निखारने की कला है.है। यह किसी की भी पर्सनैलिटी को पूरी तरह बदलने का समग्र नजरिया पेश करती है। पर्सनैलिटी के विकास की यह पहली सीढ़ी है। यह शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रहन-रहन की स्थिति है। केवल किसी भी तरह की बीमारी से मुक्ति को अच्छा रहन-सहन नहीं माना जाता। इसके लिए अन्य कारक भी जरूरी है। कोई बीमारी न होना अच्छे रहन-सहन का पैमाना पैमाना जरूर हो सकता है।’
वेलबीइंग समिट’ का मूल लक्ष्य चिकित्सा की मुख्य धारा में आयुर्वेद को अहमियत दिलाना और उसकी स्वीकार्यता बढ़ाना था।  समिट का उद्देश्य तेज रफ्तार से भागती जिंदगी के कारण दुनिया भर के लोगों की जिंदगी में आ रहे बदलाव की चुनौतियों का मुकाबला करने में आयुर्वेद और योग के महत्व को स्थापित करना था। समिट के माध्यम से हम आयुर्वेद और एलोपैथ की चिकित्सा प्रणाली की दूरी को भी स्टार्टअप और चिकित्सा क्षेत्र में निवेश के इच्छुक निवेशकों की मदद से पाटना चाहते थे।
चांसलर ने कहा, ‘इस समिट का दूसरा मुख्य उद्देश्य समाज को कुंवर शेखर विजेंद्र आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज में  हो रही महत्वपूर्ण गतिविधियों की जानकारी देना था कि कैसे हम आयुर्वेद, योग और नेचुरोपैथी से जुड़े भारतीय चिकित्सकों का विकास कर सकते हैं। ग्लोबल वेलनेस इकॉनमी 2017 में 4.2 ट्रिलियन डॉलर की थी, जो सालाना 6.4 फीसदी की दर से बढ़ रही है। हमें इसका लाभ उठाना चाहिए और आम जनता को इस अवसर के बारे में बताना चाहिए।
गौरतलब है कि सरकार का लक्ष्य 2022 तक 1.5 लाख हेल्थ और वेलनेस सेंटर खोलना है। ये सेंटर ग्रामीण क्षेत्रों में  बड़े पैमाने पर प्राइमरी हेल्थकेयर यूनिट में खोले जाएंगे। इसमें ग्रामीणों को रोग से बचाव के तरीके तो बताए ही जाएंगे। इसके साथ ही उनकी विभिन्न बीमारियों का इलाज किया जाएगा।
शोभित यूनिवर्सिटी के आयुर्वेदा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सुधीर लाड ने कहा, ‘वेलनेस इंडस्ट्री पूरी भारत में काफी तेज गति से आगे बढ़ रही है। अब यह क्षेत्र केवल विशिष्ट और अमीर लोगों तक ही समीित नहीं रह गया है।  इस क्षेत्र में संभावनाएं काफी बढ़ गई हैं। आयुर्वेद और योग वेलनेस इंडस्ट्री को आगे बढ़ने के लिए समस्त संसाधन मुहैया करा सकते हैं। केंद्रीय आयुष मंत्रालय वाणिज्य, पर्यटन और सूक्ष्म और लघु उद्योग मंत्रालय के साथ मिलकर वेलनेस सेक्टर में उपजे इस अवसर का पूरा लाभ उठाने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है।’
महामंडलेश्वर मार्तण्ड पुरी जी ने विद्यार्थियों को योग को विज्ञान के रूप में उपयोग करने हेतू आह्वान किया। उन्होंने बताया कि योग शरीर को मन को संतुलित करने में योगदान देता है।
सहारनपुर में मोक्षाटन इंटरनेशनल योगाश्रम के पद्मश्री पुरस्कार विजेता डॉ. भारत भूषण ने कहा, ‘मुझे पूरा विश्वास है कि भविष्य में वेलबीइंग प्रॉडक्ट्स  की दुनिया भर में खपत में तिगुनी गति से बढ़ोतरी होगी और यह 2.5 बिलियन डॉलर से जल्द ही 8 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी। उत्तराखंड जैसे स्थान सारी आध्यत्मिक गतिविधियों के केंद्र हैं। हमारी निगाह योग और आयुर्वेद को अगले स्तर तक ले जाने की है। भारत इन दोनों ही क्षेत्रों में अनादि काल से विश्वगुरु रहा है। अब हम अच्छे रहन-सहन को भारतीयों की जीवनशैली का एक अहम हिस्सा बनाना चाहते हैं। यह शोभित यूनिवर्सिटी की एक नेक पहल है।’
आचार्य सोहम, आचार्य सुरक्षित गोस्वामी और आचार्य प्रवीण ने भी इस वार्ता में अपने-अपने क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। विश्वविद्यालय के सह-कुलपति प्रो. रंजीत सिंह ने सभी वक्ताओं को इस वार्ता को सफल बनाने के लिए धन्यवाद दिया।



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