तकरीबन आधे ट्रक चालक वाहन चलाते समय थकान महसूस करते हैं : सेव लाईफ फाउन्डेशन

शब्दवाणी समाचार रविवार 01 मार्च 2020 नई दिल्ली। सेव लाईफ फाउन्डेशन ने आज भारत मां ट्रक ड्राइवरों के काम करने और उनकी सुरक्षा की स्थिति पर एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में ट्रक ड्राइवरों और सड़क के अन्य उपयोगकर्ताओं को प्रभावित करने वाले कारकों पर भी रोशनी डाली गई। अध्ययन का संचालन महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा के साथ साझेदारी में किया गया था, जिसमें 1200 से अधिक ट्रक ड्राइवरों और 100 फ्लीट ओनर्स ने हिस्सा लिया। इसका संचालन भारत के 10 परिवहन केन्द्रों- दिल्ली एनसीआर, मुंबई, चुन्नई, कोलकाता, बैंगलोर, जयपुर, अहमदाबाद, गुवाहाटी, कानपुर और विजयवाड़ा में किया गया।
रिपोर्ट के परिणामों के अनुसार, उत्तरदाता दिन में तकरीबन 12 घण्टे वाहन चलाते हैं, जिसमें से लगभग 50 फीसदी ड्राइवर लगातार वाहन चलाते हैं, फिर चाहे वे थक जाएं या उन्हें नींद आ रही हो। कुल मिलाकर, पांच में से एक उत्तरदाता ने माना कि  वे वाहन चलाने के दौरान ड्रग्स का सेवन करते हैं। कोलकाता में इस तरह के ड्राइवरों की संख्या सबसे अधिक थी, इसके बाद कानपुर और दिल्ली-एनसीआर में सबसे अधिक वाहन चालक पाए गए, जो ड्रग्स का सेवन कर गाड़ी चलाते हैं। इन तीनों शहरों में आधे चालकों ने पुश्टि की है कि वे ड्रग्स लेकर वालन चलाते हैं।



अध्ययन में पाया गया कि 53 फीसदी वाहन चाहक अपने पेशे से संतुश्ट नहीं हैं जिसके कई कारण हैं जैसे अनियमित आय, अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न तथा काम करने के अनियमित घण्टे। स्वास्थ्य  समस्याएं जैसे पीठ में दर्द, जोड़ों/ मांसपेशियों/ गर्दन में दर्द, पेट की परेशानियों और सामाजिक सुरक्षा भी उनके असंतोश के कारण हैं।
रिपोर्ट के लॉन्च पर श्री विजय नायर, वीपी-एडमिन एवं सीएसआर, महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लिमिटेड ने कहा, ‘‘भारत में ट्रक चालकों की सुरक्षा और जागरुकता को बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए गए हैं, किंतु यह अध्ययन कई कमियों को दर्शाता है, जिन पर सुधार करने की ज़रूरत है। ट्रक चालक भारत के सड़क परिवहन की लाईफलाईन हें और उनकी समस्याओं को हल करना बेहद महत्वपूर्ण है। इस अध्ययन एवं सेव लाईफ फाउन्डेशन के साथ साझेदारी के माध्यम से हम इस मुद्दे की ओर लोगों का ध्यान आकर्शित करना चाहते हैं। हमें उम्मीद है कि इसका सकारात्मक असर होगा।
ज्यादातर ट्रक चालकों ने बताया कि वे सड़क पर असुरक्षित महसूस करते हैं, इनमें से बहुत कम ने कहा कि वे खुद असुरक्षित ड्राइविंग करते हैं। नियमों का उल्लंघन करने पर, उन्होंने कहा कि वे रिश्वत देकर बाहर निकल जाते हैं। तकरीबन 49 फीसदी उत्तरदाताओं ने स्वीकार किया कि लोड संबंधी नियमों का पालन न करने की स्थिति में उन्होंने रिश्वत दी है।
अध्ययन के परिणाम सड़कों की बुरी स्थिति तथा भ्रश्टाचार के कारण ट्रक चालन को चुनौतीपूूर्ण पेशे के रूप में प्रस्तुत करते हैं। अध्ययन में पाया गया है कि एक अनुमान के अनुसार इस पेशे में वर्तमान में रु 47852.28 करोड़ सालाना की रिश्वत दी जाती है।
श्री पीयूश तिवारी, सीईओ, सेवलाईफ फाउन्डेशन ने कहा, ‘‘अगर हम सड़कों पर ट्रकों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं की बात करें तो स्थिति भयावह है। ट्रक और लॉरियां सड़क दुर्घटनाओं की दृश्टि से तीसरे स्थान पर हैं; जिनके कारण 23000 से अधिक लोगों की जान चली जाती है; सड़क उपयोगकर्ताओं की अन्य श्रेणियों की बात करें तो भी ट्रक और लॉरियां तीसरी स्थान पर हैं, जिनकी दुर्घटनाएं सालाना 15000 से अधिक ड्राइवरों की जान लेती हैं। इस अध्ययन के माध्यम से हम ट्रक चालनों के द्वारा असुरक्षित वाहन चालन के कारणों का पता लगाना चाहते हैं और ऐसे कारणों को जानना चाहते हैं, जिनकी वजह से सड़क के अन्य उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती है।’’
दिल्ली में तकरीबन 58 फीसदी उत्तरदाताओं ने बताया कि पिछले 10 सालों में उनके जीवन की गुणवत्ता गिरी है, दिल्ली में 73 फीसदी उत्तरदाताओं ने कहा कि उनके काम की स्थिति बुरी है। स्वास्थ्य संबधी परेशानियों के बारे में 96 फीसदी ने कहा कि वे पीठ दर्द से परेशान हैं जबकि 64 फीसदी सिर दर्द/ चक्कर आना जैसी परेशानियों में हैं। दिल्ली में आधे से अधिक उत्तरदाताओं ने कहा  िकवे वाहन चलाते समय ड्रग्स का सेवन करते हैं। दिल्ली एनसीआर में 84 फीसदी उत्तरदाताओं ने यातायाता पुलिस अधिकारियों को रिश्वत देने की बात की, जबकि देश में यह आंकड़ा 67 फीसदी है।



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