तनाव ग्रस्त लोगों के लिए कोविड-19 हेल्पलाइन की शुरुआत

शब्दवाणी समाचार शनिवार 18 अप्रैल 2020 नई दिल्ली। विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के चलते पूरा देश लॉकडाउन किया जा चुका है। देश में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जिसके कारण स्थिति सुधरने की बजाय बिगड़ती जा रही है। हालांकि, बहुत से लोगों को वर्क फ्रॉम होम की सलाह दी गई है क्योंकि ऑफिस में काम करना उनके डिप्रेशन और एंजायटी का कारण बन सकता है।



वर्तमान की स्थिति को देखते हुए साइकोलॉजी के कुछ छात्रों ने मेंटडॉक- एक मेंटल हेल्प सेटअप की मदद से भारत में कोविड-19 हेल्पलाइन की शुरुआती की है। अलग-अलग कॉलेज से 35 छात्रों ने मिलकर हर प्रकार के तनाव ग्रस्त लोगों की मदद करने का फैसला किया। जिसके बाद यह हेल्पलाइन 15 मार्च 2020 को शुरू की गई, जो स्थिति से परेशान लोगों को इमोशनली सपोर्ट कर रहा है।
हम यह अच्छे से समझते हैं कि इस वायरस से केवल सोशल डिस्टेंसिंग की मदद से ही छुटकारा पाया जा सकता हैं। ऐसे में तनाव रहित रहने के लिए खुद को अच्छी गतिविधियों में व्यस्त रखना जरूरी है। कोई भी व्यक्ति जो डिप्रेशन, तनाव, चिंता या अकेलापन महसूस कर रहा है, वह हेल्पलाइन नंबर 7707070002 पर कॉल कर या covid19helplineindia@gmail.com इमेल के जरिए सहायता ले सकता है। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति इस स्टार्टअप से जुड़कर लोगों की किसी भी प्रकार से मदद कर सकता है तो उसका स्वागत है। फोन ऑपरेटर या जागरुकता एजेंट की तरह काम करने के लिए बताए गए नंबर पर संपर्क करें।
इस अभियान की वोलंटियर, साइकोलॉजी की छात्रा, रिया गुप्ता ने बताया कि, “हमें अपने काम के अच्छे परिणाम नजर आ रहे हैं। डिजिटल इंफ्लुएंसर्स अपने सोशल मीडिया हैंडल पर हमारे बारे में काफी कुछ पोस्ट कर रहे हैं। वर्तमान में हम इंस्टाग्राम और ट्विटर पर हैं ताकि हम ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी मदद पहुंचा सकें। चूंकि, हम इस बात को अच्छे से समझते हैं कि इस प्रकार के प्लैटफॉर्म फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए हमसे मदद मांगने वाले सभी लोगों को हम यही बताते है कि हम काउंसलिंग सर्विस नहीं बल्कि एक इमोशनल सपोर्ट सर्विस हैं।
अबतक जिन लोगों ने भी हमसे मदद मांगी है उनमें से 85% लोग 21-40 साल के आयुवर्ग में शामिल होते हैं। इस हेल्पलाइन में टैगिंग सिस्टम भी है, जो गंभीर स्थितियों में ( जैसे कोई आत्महत्या की कगार पर है) लोगों को सीधा सुइसाइड हेल्पलाइन से जोड़ता है। जो मामले गंभीर नहीं होते हैं उन्हें साइकोलॉजी के छात्र खुद ही संभाल लेते हैं। कुछ मामलों में छात्रों को विशेषज्ञ की आवश्यकता पड़ती है, तो ऐसे मामलों को खुद एक्सपर्ट साइकोलॉजिस्ट देखता है।
तुलसी हेल्थकेयर के निदेशक व साइकोलॉजिस्ट, डॉक्टर गौरव गुप्ता ने बताया कि, “हमने देखा कि लोग गलत खबरों के कारण ज्यादा परेशान हो रहे थे। सोशल मीडिया पर अकेलेपन के बारे में इतना कुछ बताया जा रहा है, जिससे लोग और अधिक तनाव ले रहे हैं। यह सब देखते हुए हमें लगा कि लोगों तक मदद पहुंचाना जरूरी हो गया है। हम अन्य प्लैटफॉर्म से कुछ अलग करना चाहते थे इसलिए हमने ऐसे लोगों की मदद करने का फैसला किया जिनपर सोशल मीडिया पर बताई गई बातों का बहुत ज्यादा असर हो चुका है।



 


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