वर्क फ्रॉम होम के दौरान बढ़ सकती हैं रीढ़ की समस्याएं : डॉ अरविंद जी कुलकर्णी

शब्दवाणी समाचार वीरवार 9 अप्रैल 2020 नई दिल्ली। कोविड-19 की विश्वव्यापी महामारी और देशभर में लॉकडाउन के कारण अधिकांश कामकाजी लोगों को घर से ही काम करने की सलाह दी गई है। हालांकि, इस स्थिति में सोशल डिस्टेंसिंग बहुत जरूरी है लेकिन लोगों को वर्क फ्रॉम होम के दौरान रीढ़ की समस्याओं को लेकर भी सावधान रहने की आवश्यकता है।
एक हालिया अध्ध्यन के अनुसार, 30-40 साल की आयु वर्ग में हर पांचवा भारतीय किसी न किसी प्रकार की रीढ़ की समस्या से पीड़ित है। पिछले एक दशक में, इस समस्या की चपेट में आई युवा आबादी की संख्या में 60% वृद्धि देखी गई है। रीढ़ की हड्डी की समस्या पहले बुजुर्गों की बीमारी हुआ करती थी लेकिन आज गतिहीन जीवनशैली और गलत मुद्रा में बैठने के कारण युवा भी इस समस्या का शिकार हो रहे हैं, जो एक चिंता का विषय है।



मुंबई स्थित मुंबई स्पाइन स्कोलियोसिस एंड डिस्क रिप्लेसमेंट सेंटर के डॉक्टर अरविंद जी कुलकर्णी ने बताया कि, “गतिहीन जीवनशैली, गलत मुद्रा में बैठना, लेट कर लैपटॉप पर काम करना और उठने-बैठने के गलत तरीकों के कारण घर से काम कर रहे लोगों में रीढ़ की समस्याएं विकसित हो सकती हैं। ये सभी फैक्टर रीढ़ और पीठ की मांसपेशियों पर तेज दबाव बनाते हैं। सभी काम झुककर करने से रीढ़ के लीगामेंट्स में ज्यादा खिचाव आजाता है जिससे पीठ में तेज़ दर्द के साथ अन्य गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं। हालांकि, एक स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली के साथ इन समस्याओं से बचा जा सकता है। ऐसे में रोज़ एक्सरसाइज़ करना, सही तरीके से उठना-बैठना, सही तरीके से झुकना और शरीर को सीधा रखना आदि स्वस्थ रीढ़ के लिए जरूरी है।”
आमतौर पर, जो लोग पीठ के निचले हिस्से के दर्द से परेशान रहते हैं, उनमें से 95% लोगों को लक्षण के पहले महीने में किसी खास टेस्ट की जरूरत नहीं पड़ती है। टूटी रीढ़ जैसी कुछ समस्याएं हैं जो किसी गंभीर समस्या का संकेत देते हैं। ऐसे में पीड़ित के लिए तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी होता है।
डॉक्टर कुलकर्णी ने आगे बताया कि, “वर्क फ्रॉम होम के साथ हमें घर के भी कई काम करने पड़ते हैं। ऐसे में अचानक झटके से उठना, ज्यादा झुकना, गलत तरीके से सामान उठाना, लेटकर लैपटॉप चलाना, लगातार एक ही मुद्रा में काम करना आदि आदतों से दूरी बनाना जरूरी है। काम के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लेते रहें और यदि काम ज्यादा है तो किसी से मदद मांग लें। रोज़ाना एक्सरसाइज़ और वॉक करें, लेकिन इस दौरान बॉडी स्ट्रेच पर ज्यादा ध्यान दें। एक पोषणयुक्त डाइट लें, जिसमें प्रोटीन, सलाद, फल और हरी सब्जियां भरपूर मात्रा में मौजूद हों। शरीर में विटामिन डी की कमी न हो इसलिए रोज़ थोड़ी देर धूप में बैठना जरूरी है। यदि आप पेनकिलर दवाएं ले रहे हैं तो ‘आईब्युप्रोफेन’ वाली दवाइयां बिल्कुल न लें क्योंकि ये हमें कमजोर बनाती हैं जिससे हमारा शरीर घातक कोरोना वायरस से लड़ने की क्षमता नहीं रख पाता है।



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