निसा ने की रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से स्कूलों को न्यूनतम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराने की मांग

शब्दवाणी समाचार, रविवार 6 जून  2021, नई दिल्ली। निसा ( नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स अलाइंस) द्वारा कोविड-19  के कारण प्राइवेट स्कूल्स के सामने आ रही आर्थिक समस्याओं को ध्यान में रखकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर श्री शक्तिकांत दास से प्रार्थना की गई है कि वह कोरोना के चलते लगभग दो साल से लौकडाउन के दंश से गुजर रहे प्राइवेट स्कूल्स को देश की समस्त बैंकों के माध्यम से निम्नतम ब्याज दर पर बारह महीने का ऋण उपलब्ध कराने का निर्देश जारी करें, जिससे विद्यालय अपने समस्त आवश्यक खर्चों का सुचारू रूप से वहन कर सकें। पत्र में निसा के रीजनल कन्वेनर ( उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड) एवं नेशनल कन्वेनर ( निसार एजूकेशन फंड) डॉ. सुशील गुप्ता ने दूसरी लहर के कारण कोरोना वायरस के प्रसार की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए सभी क्षेत्र के बैंकिंग कर्मचारियों को इस महामारी की समय किए गए उनके कार्य की सराहना भी की है। 

आगे उन्होंने बताया कि लगभग 95 प्रतिशत प्राइवेट स्कूल्स किराए के भवनों में चल रहे हैं। इस वक्त विद्यालयों के लिए भवन का किराया, पूर्व में लिए गए ऋण की क़िस्त ( ई. एम. आई.), विद्यालय वाहनों के इन्श्योरेन्स आदि के खर्चों को वहन करने में असमर्थ है। कोरोना के कारण प्राइवेट स्कूल्स की आय का एकमात्र साधन शिक्षण शुल्क अनियमित हो गया है, अभिभावकों की भी कोविड के चलते बहुत सी परेशानियाँ एवं परिस्थितियाँ हैं।उन्होंने कहा कि  इस समय अभिभावकों द्वारा समय पर विद्यालयों को शुल्क नहीं दिया जा रहा है । वर्ष 2019 से अब तक फीस का एक बड़ा हिस्सा बकाया है सत्र 2019-20 में 25 %, 2020-21 में 75%, एवं 2021- 22 मे लगभग 90% फीस विद्यालयों को प्राप्त नहीं हुई है ।

इस समय पाँच लाख से अधिक प्राइवेट स्कूल्स में दो करोड़ से अधिक शैक्षणिक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारी कार्यरत हैं। विद्यालयों के प्रबंध तंत्र के सामने इस समय सबसे बड़ी समस्या विद्यालय  वाहनों के लिए पूर्व मे लिए ऋण की राशि की किश्तों के भुगतान की है । एक आँकड़े के अनुसार लगभग 5 लाख से अधिक  निजी विद्यालयों द्वारा लगभग 472000000000(छियालीस हजार दोसो सौ करोड़) रुपये पूर्व के ऋण की किश्तो के रूप में बैंकों को देय है देश के 60 प्रतिशत छात्रों को शिक्षा देने वाले प्राइवेट स्कूल्स बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। इस समय न्यूनतम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराना इनके लिए संजीवनी के समान होगा।निसा ने प्रार्थना की है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के नुकसान को बचाने के लिए रिजर्व बैंक सभी बैंकों को निर्देश दे कि विद्यालयों के प्रबंधन को न्यूनतम ब्याज दर पर 12 महीने के लिए ऋण प्रदान किया जाए, जिससे शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हुए लग भग दो करोड़ शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को उनका नियमित  वेतन दिया जा सके। 

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