शिवलिंग उत्पत्ति की कथा एवं महिमा का किया वर्णन

शब्दवाणी समाचार, वीरवार 12 अगस्त 2021, गौतम बुध नगर। सेक्टर 135 नगली बाजिदपुर गांव स्थित प्राचीन शिव मंदिर में महंत राजू गिरी महाराज के सानिध्य में आयोजित शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन कथा व्यास अतुल प्रेम जी महाराज ने शिवलिंग उत्पत्ति की कथा सुनाते हुए कहा कि एक बार भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठता का विवाद हो गया। जब उनका विवाद बहुत अधिक बढ़ गया, तब अग्नि की ज्वालाओं के लिपटा हुआ लिंग भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच आकर स्थापित हुआ था, दोनों उस लिंग का रहस्य नहीं समझ पाए। इस रहस्य के बारे में विष्णु भगवान और ब्रह्मदेव ने हजार वर्षों तक खोज की फिर भी उन्हें उस लिंग का स्त्रोत नहीं मिला। निराश होकर दोनों देव फिर से वहीं आ गए जहां उन्होंने लिंग को देखा था। वहां आने पर उन्हें ओम की ध्वनि सुनाई दी, जिसको सुनकर उन्हें अनुभव हुआ कि कि यह कोई शक्ति है और उस ओम के स्वर की आराधना करने लगे। भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु की आराधना से प्रसन्न होकर उस लिंग से भगवान शिव प्रकट हुए और सदबुद्धि का वरदान दिया। देवों को वरदान देकर भगवान शिव चले गए  और  शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए। यही भगवान शिव का पहला शिवलिंग माना गया। सबसे पहले भगवान ब्रह्मा और विष्णु ने शिव के उस लिंग की पूजा-अर्चना की थी। तब से भगवान शिव की लिंग के रूप में पूजा करने की परम्परा की शुरुआत मानी जाती है।

आयोजन समिति के प्रवक्ता राघवेंद्र दुबे ने बताया कि शिव महापुराण की कथा नित्य 11 बजे से 3 बजे तक हो रही है। सभी शिव भक्तजन पवित्र श्रावण मास में शिव महापुराण की कथा श्रवण कर पुण्य लाभ अर्जित करें। इस अवसर पर पंडित महेश पाठक शास्त्री,पंडित लक्ष्मी नारायण शास्त्री, महंत सोमवार गिरी, राजू , राम अवतार , शिवव्रत तिवारी, सोनपाल चौहान, हीरालाल नेता जी, चौधरी श्याम सुंदर, पंडित संजय शर्मा, राजा मिश्रा, मोनू, शुभम, मोहन सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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