वेद ज्ञान सृष्टि की आचार संहिता है : नरेन्द्र आहुजा विवेक

◆ हमारी संस्कृति हमारी धरोहर पर गोष्ठी सम्पन्न

◆ शिक्षाविद दरबारी लाल डी ए वी के शिल्पकार थे

शब्दवाणी समाचार, रविवार 16 जनवरी  2022, गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "हमारी संस्कृति हमारी धरोहर" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया, साथ ही डी ए वी प्रबंधकत्री सभा के अध्यक्ष दरबारी लाल जी के जन्मदिन पर उनको स्मरण किया गया।यह कोरोना काल में 338 वां वेबिनार था। मुख्य वक्ता पूर्व हरियाणा राज्य औषधि नियन्त्रक एवं परिषद के हरियाणा  प्रभारी नरेन्द्र आहूजा विवेक ने  कहा कि अपनी संस्कृति से जुड़े रहेंगे तभी सुरक्षित रख पाएंगे।हमारी वैदिक संस्कृति ही हमें इस भोगवाद की पश्चिमी अंधानुकरण से बचा सकती है।उन्होंने कहा कि हमारी पुरातन सनातन वैदिक संस्कृति की जड़ों से जुड़ने के लिए हमें वेद ज्ञान को प्राप्त करना होगा और वेदों का सुनना सुनाना पढना पढ़ाना हमारा परम धर्म है और वेद सभी सत्य विद्याओं का पुस्तक है।वेद ज्ञान ईश्वर ने सृष्टि निर्माण के समय ही हम सभी के लिए आचार संहिता के रूप में प्रदान किया था।हमे अपनी संस्कृति पर गर्व करते हुए उसकी रक्षा का  संकल्प लेना चाहिए।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने आर्य नेता व डी ए वी कॉलेज मैनेजिंग कमेटी के प्रधान दरबारी लाल जी के जन्मदिन पर स्मरण करते हुए कहा कि वह महान कर्मयोगी व शिक्षाविद थे,आज डी ए वी स्कूलों का जो विस्तार पूरे भारत में दिखाई देता है वह उन्हीं की लग्न व तपस्या का ही प्रताप है। वह मिलनसार,नम्रता व कार्यकर्ताओं के प्रिय नेता थे। उनकी आर्य युवा निर्माण में गहरी रुचि थी उन्होंने ही हर डी ए वी विद्यालय में यज्ञशाला की स्थापना व धर्म शिक्षक की नियुक्ति का अभियान शुरू किया।ऐसे कर्मठ नेतृत्व की आज डी ए वी व आर्य समाज को आवश्यकता है।

मुख्य अतिथि कृष्ण कुमार यादव(प्रधान,आर्य समाज वृंदावन गार्डन,साहिबाबाद) ने वेद को सभी धर्म का मूल बताया और कहा कि जो अपनी जड़ों मूल से कट जाता है वह ठूंठ बन कर गिर पड़ता है। कार्यक्रम अध्यक्ष कर्नल विपिन खेड़ा ने वेद मार्ग पर चलने का आह्वान किया। राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि भारतीय संस्कृति सर्वश्रेष्ठ है यह युवा पीढ़ी को समझाने की आवश्यकता है।विमल चड्डा(केन्या,नैरोबी) ने भी शुभकामनाएं दी।गायिका अंजु आहुजा, मधु खेड़ा,अनिता रेलन,डॉ. धर्मवीर आर्य,ओम सपरा,प्रवीना ठक्कर, दीप्ती सपरा,कुसुम भंडारी ,रेणु घई,कमलेश चांदना,नरेन्द्र आर्य सुमन ,ईश्वर देवी, रविन्द्र गुप्ता, प्रतिभा कटारिया, मर्दुल अग्रवाल, आदि ने भजन प्रस्तुत किए।

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