बाल योग एवं संस्कार शिविर सम्पन्न

◆ योग को दैनिक दिनचर्या में शामिल करने से होंगे अभूतपूर्व लाभ :सुभाष गर्ग

◆ जन्म दिन को यज्ञ ओर परमार्थ के कार्य कर मनाएं : नवनीत प्रिय दास

शब्दवाणी समाचार, शुक्रवार 1 जुलाई 2022, ग़ाज़ियाबाद। अखिल भारतीय ध्यान योग संस्थान रजि. के तत्वावधान में सिटी पार्क,स्वर्ण जयंती पुरम में आयोजित 7 दिवसीय बाल योग एवं संस्कार शिविर श्री कृष्ण कुमार अरोड़ा जी की अध्यक्षता में  सौल्लास सम्पन्न हुआ।उन्होंने बताया कि शिविर संयोजिका सीमा शर्मा जो कि प्रतिवर्ष  शिविर लगाने को संकल्पित हैं ने इस बार एक सप्ताह पूर्व पतिदेव के निधन के बावजूद भी शिविर को समय से लगाया।

महामंत्री दया नन्द शर्मा जी ने ओ३म् की ध्वनि और गायत्री मंत्र से सत्र को प्रारम्भ किया। योग शिक्षिका श्रीमती रेखा गुलाटी ने सूर्य नमस्कार का अभ्यास कराया और लाभों की चर्चा की। समाज सेवी श्री प्रवीण आर्य ने शिविरार्थियों को योग गीत सुनाकर बच्चों में योग के प्रति आकर्षण पैदा किया।श्री एमके सेठ (संचार रत्न अल्ट सेन्टर) ने वज्रासन,शशांकासन, नौकासन का अभ्यास कराया।योग शिक्षक श्री चरत कुमार जी ने योग मुद्रा का अभ्यास कराया।संस्थान के उपाध्यक्ष श्री मनमोहन वोहरा जी ने बच्चों को दीर्घ श्वसन,भ्रामरी, अनुलोम विलोम,कपाल शोधन प्राणायाम करवाया।

समारोह के मुख्य अतिथि श्री सुभाष गर्ग ने अपने उद्बोधन में कहा कि जो कुछ इन छः दिनों में आपने सीखा है उसे दैनिक जीवन की दिनचर्या में उतारने से अभूतपूर्व लाभ होंगे। योग शिविर में छः दिन सीखने के पश्चात अनुशासन,गुड हैबिट बेड हैबिट के प्रति सजग बच्चों की योगासन की प्रस्तुति आकर्षण का केन्द्र रही उनमें से सुन्दर प्रस्तुति पर क्रमशः कु जीविशा प्रथम, आर्यन द्वितीय एवं दिशा शर्मा ने तृतीय पुरुस्कार प्राप्त किए।

संस्कार उपवन के अध्यक्ष एवं समापन समारोह के मुख्य वक्ता श्री नवनीत प्रिय दास जी ने कहा कि संस्कारों का बीज कच्ची मिट्टी में बोया जाता है,संस्कार बुढ़ापे तक साथ निभाते हैं।उन्होंने रिसोर्सेस का पूर्ण सदुपयोग करने का संदेश दिया।जन्म दिन के उत्सव में यदि संभव हो,तो अपने घर में यज्ञ/हवन करके भारतीय सनातन पद्धति से अपना जन्म दिन मनायें।यदि यज्ञ/हवन न भी कर पायें,तो भी उस दिन कोई एक गुण अवश्य धारण करें और कोई एक दोष अवश्य छोड़ें,तभी जन्म दिन मनाना सार्थक होगा । आप उस दिन मोमबत्तियाँ बुझाने के स्थान पर दीप प्रज्वलित करें। आप भारतीय हैं,तो जितने वर्ष पूरे हो गये,उतने दीपक जलाएँ।खुशी के अवसर पर ज्योति जलाई जाती है,बुझाई नहीं जाती।उन्होंने कहा केक काटने के स्थान पर लड्डू बांटे जो जुडाव का प्रतीक है। इस अवसर पर गिफ्ट मिलने मिलाने से राग द्वेष पनपता है,अतः परमार्थ के कार्य गौ सेवा करें,अनाथालय / झुग्गी झोपड़ी में अन्न,फल आदि बांटे,हमारी संस्कृति सर्वे भवन्तु सुखिनः की है।

शिविरार्थी मिहिर अरोड़ा ने एक गीत हम होंगे कामयाब एक दिन सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रथम पुरुस्कार विजेता कु. जीविशा और एक अभिभाविका ने सप्त दिवसीय योग शिविर से प्राप्त लाभों के अनुभव साझा किए,जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा। इस अवसर पर मुख्य रूप से सर्वश्री सुन्दर सिंह, त्रिलोक शास्त्री, अशील कुमार,डा ममता त्यागी, महेन्द्र कुमार आदि मौजूद रहे। श्री ओमवीर सिंह जी ने सभी शिविरार्थियों एवं आगंतुकों का धन्यवाद किया। श्रीमती शिल्पा गर्ग,वीना वोहरा एवं रेखा गुलाटी ने शांति पाठ व प्रसाद वितरण के साथ सत्र को सम्पन्न किया।

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