सीके बिरला हॉस्पिटल ने फुटबॉल के आकार का मेसेंटेरिक ट्यूमर निकाला

◆ 32 वर्षीय महिला के पेट से लैप्रोस्कोपिक प्रक्रिया द्वारा फुटबॉल के आकार का दुर्लभ मेसेंटेरिक ट्यूमर

◆ विश्व के एक दुर्लभ ऑपरेशन में सीके बिरला हॉस्पिटल ने विशाल मेसेंटेरिक ट्यूमर के लिए एक 32 वर्षीय महिला का जटिल लैप्रोस्कोपिक सर्जरी द्वारा इलाज किया

शब्दवाणी समाचार, बुधवार 7 सितम्बर 2022, सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844, नई दिल्ली। सीके बिरला हॉस्पिटल, दिल्ली में हुई एक आधुनिक सर्जरी में नेपाल की एक 32 वर्षीय महिला के पेट से लैप्रोस्कोपिक सर्जरी द्वारा एक विशाल मेसेंटेरिक ट्यूमर निकाला गया। मरीज को अत्यधिक बढ़े हुए पेट और पेट में असहनीय दर्द की शिकायत के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परीक्षण करने पर पाया गया कि उसके पेट में 4 किलोग्राम और 40 सेंटीमीटर बड़ा एक विशाल ट्यूमर है। विश्वस्तर की क्लिनिकल उत्कृष्टता प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करते हुए, सीके बिरला हॉस्पिटल, दिल्ली ने इस विशाल ट्यूमर को निकालने के लिए एक दुर्लभ लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की। सीके बिरला हॉस्पिटल में डॉक्टरों की टीम का नेतृत्व डॉ. अमित जावेद, एडवांस्ड सर्जिकल साईंसेज़ एवं ऑन्कोलॉजी सर्जरी विभाग ने किया और उन्होंने आंत को सुरक्षित रखते हुए ट्यूमर को काटकर बाहर निकाल दिया। यह सर्जरी कीहोल लैप्रोस्कोपी तकनीक द्वारा की गई और 4 किलोग्राम का ट्यूमर फैनंस्टील इंसीज़न द्वारा बाहर निकाला गया। इस तरह का चीरा आम तौर से शिशु के जन्म के लिए सीज़ेरियन सेक्शन के दौरान लगाया जाता है। इस प्रक्रिया में पेट पर कोई निशान नहीं पड़ा और दर्द भी कम से कम हुआ।  

डॉ. अमित जावेद ने बताया, ‘‘ट्यूमर के बड़े आकार के कारण यह बहुत जटिल सर्जरी थी। ट्यूमर पेट की पूरी कैविटी में फैल गया था, जिसके कारण हमें लैप्रोस्कोपिक सर्जरी करने के लिए पेट में बहुत कम जगह मिली। इसके अलावा यह ट्यूमर बहुत बड़ा और भारी था, जिसके कारण लैप्रोस्कोपिक विधि से इसे काटना और संभालना बहुत मुश्किल था। इस ट्यूमर को काटकर बाहर निकालना ऐसा ही था, जैसे सीज़ेरियन सेक्शन में बड़े आकार के शिशु का जन्म कराया जा रहा हो। अब मरीज पूरी तरह से ठीक हो चुकी है और सामान्य जीवन व्यतीत कर रही है। मरीज ने बताया जब मुझे अपनी हालत के बारे में पता चला, तब मैं बहुत घबराई हुई थी। ट्यूमर के बड़े आकार के कारण काठमांडू और दिल्ली में सर्वश्रेष्ठ हॉस्पिटल भी सर्जरी करने के लिए तैयार नहीं थे। मैं जल्दी से स्वस्थ होने और अपना रूप बिगड़ने न देने के लिए फिक्रमंद थी और इसीलिए लैप्रोस्कोपिक सर्जरी करवाना चाहती थी। जब मेरी मुलाकात सीके बिरला हॉस्पिटल में डॉक्टर अमित जावेद से हुई, तो उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि ट्यूमर को कम से कम दर्द और निशान के साथ निकाला जा सकता है, जिससे मुझे लैप्रोस्कोपिक सर्जरी कराने का आत्मविश्वास आया।

मेसेंटेरिक ट्यूमर दुर्लभ होते हैं और इसमें विषम समूह में घाव हुआ करते हैं। ये गाँठें किसी भी मेसेंटेरिक घटक, जैसे पेरिटोनियम, लिम्फ़ेटिक टिश्यू, फ़ैट और कनेक्टिव टिश्यू आदि से बन सकती हैं। संक्रमण या उत्तेजक प्रक्रियाओं के कारण कोशिकाएं तेजी से बढ़ सकती हैं। इनका वर्गीकरण ठोस या सिस्टिक, सौम्य या घातक में किया जा सकता है। मेसेंटेरिक ट्यूमर आम तौर से इत्तफ़ाक से या फिर किन्हीं गैर-विशिष्ट लक्षणों की जाँच के दौरान सामने आते हैं। इसके इलाज के विकल्प घाव की प्रकृति के आधार अलग-अलग होते हैं; इन विकल्पों में सामान्य अवलोकन से लेकर चिकित्सा या सर्जरी भी शामिल हैं। इस अवसर पर श्री अक्षत सेठ, चीफ एग्ज़िक्यूटिव ऑफ़िसर, सीके बिरला हैल्थकेयर ने कहा, ‘‘हम अपने मरीजों को आधुनिक मेडिकल इनोवेशन एवं तकनीकों, जैसे मिनिमली इन्वेज़िव लैप्रोस्कोपिक सर्जरी द्वारा विश्वस्तर की चिकित्सा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हर बार की तरह यह मामला भी विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के हमारे बेहतरीन ट्रैक रिकॉर्ड का प्रमाण है। सीके बिरला हॉस्पिटल में चीफ बिज़नेस ऑफिसर, श्री विपुल जैन ने कहा, ‘‘दिल्ली में हमारे हॉस्पिटल का उद्देश्य मरीज पर केंद्रित और क्लिनिकली भरोसेमंद इलाज प्रदान करना है, जो हमारी पहचान है। इस ऑपरेशन की सफलता भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में एक दुर्लभ मामले में हमारी क्लिनिकल उत्कृष्टता का प्रमाण है।

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