फिल्म समीक्षा : सेल्फी

 

शब्दवाणी समाचार शनिवार 25 फरवरी 2023, (फिल्म समीक्षक : रेहाना परवीन) सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844, नई दिल्ली। फिल्म सेल्फी मलयालम फिल्म ड्राइविंग लाइसेंस की रीमेक है जो सिनेमा घरों में 24 फरवरी 2023 को प्रदर्शित हुई है। फिल्म सेल्फी में अक्षय कुमार और इमरान हाशमी ने अच्छा प्रदर्शन किया है। फिल्म की कहानी किसी कलाकार के फैन पर आधारित है। इमरान हाशमी (भोपाल आरटीओ में इंस्पेक्टर) और उसका बेटा फिल्म कलाकार विजय कुमार (अक्षय कुमार) का बड़ा फैन होते हैं। जब भोपाल में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान विजय कुमार आते हैं तब उसकी शूटिंग को देखने इमरान हाशमी और उसका बेटा अन्य फैन की भाँति यह भी पहुँचते हैं। जब विजय कुमार को अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की जरुरत पड़ती है तब इमरान हाशमी के आरटीओ कार्यालय में मिलना होता है पर गलत फहमी के कारण दोनों में ठन जाती है जो पूरी फिल्म में ठनी रहती है। फिल्म में दो सन्देश है पहली जब तक आपके पास पूरा सबूत ना हो तब तक किसी पर शक नहीं करना चाहिए। दूसरा सरकारी कार्यालय में आज भी आम आदमी और ख़ास आदमी के लिए नियम अलग-अलग है कियोंकि जब विजय कुमार की ड्राइविंग लाइसेंस बगैर कानूनी प्रकिया के बन जाता है। वहीं आम आदमी प्रकिया पूरी करने के वगैर नहीं बनता। खैर छोड़ें फिल्म अच्छी है। परिवार व् दोस्तों के साथ सिनेमा घरों में जाकर बडे पर्दे पर देखा जा सकता हैशब्दवाणी समाचार शनिवार 25 फरवरी 2023, (फिल्म समीक्षक : रेहाना परवीन) सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844, नई दिल्ली। फिल्म सेल्फी मलयालम फिल्म ड्राइविंग लाइसेंस की रीमेक है जो सिनेमा घरों में 24 फरवरी 2023 को प्रदर्शित हुई है। फिल्म सेल्फी में अक्षय कुमार और इमरान हाशमी ने अच्छा प्रदर्शन किया है। फिल्म की कहानी किसी कलाकार के फैन पर आधारित है। इमरान हाशमी (भोपाल आरटीओ में इंस्पेक्टर) और उसका बेटा फिल्म कलाकार विजय कुमार (अक्षय कुमार) का बड़ा फैन होते हैं। जब भोपाल में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान विजय कुमार आते हैं तब उसकी शूटिंग को देखने इमरान हाशमी और उसका बेटा अन्य फैन की भाँति यह भी पहुँचते हैं। जब विजय कुमार को अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की जरुरत पड़ती है तब इमरान हाशमी के आरटीओ कार्यालय में मिलना होता है पर गलत फहमी के कारण दोनों में ठन जाती है जो पूरी फिल्म में ठनी रहती है। फिल्म में दो सन्देश है पहली जब तक आपके पास पूरा सबूत ना हो तब तक किसी पर शक नहीं करना चाहिए। दूसरा सरकारी कार्यालय में आज भी आम आदमी और ख़ास आदमी के लिए नियम अलग-अलग है कियोंकि जब विजय कुमार की ड्राइविंग लाइसेंस बगैर कानूनी प्रकिया के बन जाता है। वहीं आम आदमी प्रकिया पूरी करने के वगैर नहीं बनता। खैर छोड़ें फिल्म अच्छी है। परिवार व् दोस्तों के साथ सिनेमा घरों में जाकर बडे पर्दे पर देखा जा सकता है में फिल्म को पांच में चार नंबर देती हूँ। मैं फिल्म को पांच में चार नंबर देती हूँ। 

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