राम जानकी लक्ष्मण की तपोभूमि चित्रकूट धाम को सीमाओं से मुक्त करे सरकार : नितिन उपाध्याय

शब्दवाणी समाचार, सोमवार 9 सितम्बर 2024, सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844, नई दिल्ली। भगवान राम की सबसे प्रिय नगरी अयोध्या धाम है, परंतु चित्रकूट धाम का कण-कण उनकी समृतियों से भरा हुआ है। जी हां, भगवान राम को जब 14 वर्ष का वनवास मिला था। तब उन्होंने 11 वर्ष अपनी अर्धांगनी सीता जी और भाई लक्ष्मण के साथ चित्रकूट में बिताया था। उनके वनवास का सबसे लंबा समय चित्रकूट में बीता। रामायण के अनुसार भगवान राम को चित्रकूट बहुत भाया था। जिस तरह अयोध्या के कण-कण में श्री राम बसते हैं उसी तरह चित्रकूट के कण-कण में रघुनाथ की समृतियां बसती हैं। चित्रकूट धाम में भगवान राम से जुड़े कई आलौकिक स्थान है जिनका इतिहास त्रेतायुग के रामायणकाल के समय से विद्यमान है। यहां प्रत्येक वर्ष लाखों राम भक्त दर्शन करने आते हैं, यदि आप भी इस दिव्य धाम के दर्शन करने आते हैं तो इन जगहों पर अवश्य जाएं तभी आपकी चित्रकूट की तीर्थयात्रा पूर्ण मानी जाएगी। यहां के दर्शन मात्र से जीवन के समस्त कष्ट और पाप मिट जाते हैं। 

ऐसी दिव्य स्थली के सम्पूर्ण विकास न होने पर चिंतित जय बजरंग सेना के राष्ट्रिय अध्यक्ष नितिन उपाध्याय ने सरकार से मांग की है कि चिटकुट धाम को सीमाओं से मुक्त किया जाना चाहिए जिससे धाम का संपूर्ण विकास हो सके । इस प्रकरण पर पत्रकारों से बात करते हुए अर्चना उपाध्याय कहती है। सरकार हमारी मांग को संज्ञान में रखते हुए । इस पर शीघ्र अतिशीघ्र कार्य करे। जैसे पिछले क्रम में उन्होंने उनकी संस्था द्वारा किए गए मांग रामचरितमानस को वैश्विक ग्रंथ बनाने की मांग की  ओर उस पर सफलता प्राप्त की वैसे ही वह इस मुद्दे पर भी बहुत जल्द जागरूकता अभियान चलाने वाली है । राष्ट्रीय प्रभारी जय बजरंग सेना अर्चना उपाध्याय कहती है।चित्रकूट में रामघाट के तट पर बने तोता मुखी हनुमान मंदिर में गोस्वामी तुलसीदास का वो पत्थर आज भी मौजूद है जिस पर वह चंदन घिसते थे. इस पत्थर को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं और इस पर घिसे गए चंदन को प्रसाद के रूप में पाते हैं.। जिस कारण लाखो लोगो की भीड़ उमरती है। जनहित में यह  संज्ञान में रखते हुए। चित्रकूट धाम को सीमाओं से मुक्त करना अत्यंत आवश्यक है।

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