घुटने की सर्जरी से बचने के लिए पीआरपी

शब्दवाणी समाचार सोमवार 30 सितम्बर 2019 नई दिल्ली। सत्तर वर्षीया श्रीमती शैला दवे को दोनों घुटनों और दाएं पैर में दर्द रहता था। उनका वजन भी थोड़ा ज्यादा था और घुटनों तथा पैर में ऑस्‍टियोअर्थराइटिस था। लिहाजा इस बुजुर्ग महिला के लिए सहारे के बगैर चलना असंभव हो गया था। उन्हें कम दूरी तक चलने के लिए भी वॉकिंग स्टिक का सहारा लेना पड़ रहा था।



नी कैप, पेनकिलर्स और कई सारे फिजियोथेरैपी व्यायाम सहित विभिन्न प्रकार की चिकित्सा सहायता एवं इलाज कराने की कोशिश के बाद श्रीमती दवे किसी वैकल्पिक इलाज के लिए डॉक्‍टरों के पास गईं क्योंकि वह नी रिप्लेसमेंट सर्जरी नहीं कराना चाहती थीं। उनकी स्थिति को देखते हुए और उनकी चिंता को ध्यान में रखते हुए 'मुंबई नी फुट एंकल क्लिनिक  के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. प्रदीप मूनोट ने उन्हें पीआरपी (प्लानेट रिच प्लाज्मा) इंजेक्शन लेने की सलाह दी। छह महीन तक इंजेक्शन लगवाने के बाद श्रीमती दवे को बहुत आराम मिला, दर्द भी काफी कम हो गया। उन्हें इतना आराम मिलने लगा था कि वह वॉकिंग ऐड या किसी सहारे के बिना ही चलने लगी थीं। दर्दनिवारक दवाओं पर उनकी निर्भरता और विश्वास धीरे-धीरे कम होने लगा।
क्‍या है पीआरपी थेरैपी
पीआरपी एक थेरैपी है जिसे प्‍लैटलेट्स-रिच प्‍लाज्‍़मा थेरैपी के नाम से जाना जाता है इस प्रक्रिया में जिस व्‍यक्‍ति का उपचार किया जा रहा है उसी का रक्‍त लिया जाता है।  इस रक्‍त का अपकेन्‍द्रन किया जाता है ताकि प्‍लैटलेट्स के साथ प्‍लाज्‍़मा ट्यूब में एकत्र हो जाये। यह प्‍लाज्‍़मा जिसमें प्‍लैटलेट्स और ग्रोथ फैक्‍टर्स की मात्रा अधिक होती है उतकों के पुनर्निर्माण और क्षतिग्रस्‍त उतकों को ठीक करने में काफी उपयोगी होता है। पीआरपी में सामान्‍य रक्‍त की तुलना में 5 गुना अधिक प्‍लाज्‍़मा होता है इसके अलावा इसमें प्‍लैटलेट्स और ग्रोथ फैक्‍टर भी काफी मात्रा में होता है।
इस थेरैपी का आधार यह है कि प्‍लैटलेट्स घावों के भरने में मुख्‍य भूमिका निभाते हैं। एक बार में 20 मिलि लीटर रक्‍त लिया जाता है। इससे प्‍लैटलेट्स को अलग करने के बाद इसमें एक्‍टिवेटर मिलाये जाते हैं जो प्‍लैटलेट्स को एक्‍टिवेट कर देते हैं ताकि जहां क्षति हुई है वहां यह बेहतर तरीके से कार्य कर सके।
कैसे कार्य करती है
सबसे पहले प्रभावित क्षेत्र को सुन्‍न करने के लिये सामान्‍य एनेसथीसिया दिया जाता है फिर विशेष माइक्रो नीडिल की सहायता से पीआरपी को घुटने में प्रवेश कराया जाता है। इससे रक्त संचार की सक्रियता बढ़ जाती है और इसके स्टेम सेल्स उतकों की मरम्मत करते हैं, सूजन कम करते हैं और इस प्रकार ऑस्‍टियोअर्थराइटिस के लक्षण कम करते हैं। इस संपूर्ण प्रक्रिया में 2-3 घंटे से ज्यादा समय नहीं लगता है और न ही अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है। पीआरपी इलाज से दर्द, अकड़न और कार्यप्रणाली में बहुत सुधार आता है। चूंकि यह सिंथेटिक नहीं जैविक इंजेक्शन है, इसलिए मरीजों पर इसका प्रभाव अलग-अलग होता है। कई अध्ययन बताते हैं कि लगभग 73 प्रतिशत मामलों में कई क्लिनिकल और फंक्शनल फायदे देखे गए हैं और एक साल तक अर्थराइटिस की शिकायत नहीं होती है। 
कितनी कारगर है पीआरपी थेरैपी   
पीआरपी इंजेक्शन के साथ एक ही बात होती है कि इसके परिणाम धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं और 4-6 हफ्ते बाद ही इसका असर दिखता है इसलिए मरीज को इस इंजेक्शन के तत्काल परिणाम की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। आर्थिक दृष्टि से यह इंजेक्शन बहुत किफायती है क्योंकि इस पर होने वाला खर्च नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के खर्च का दसवां हिस्सा होता है। यह इलाज किसी भी आयु वर्ग के मरीजों के लिए लाभकारी है क्योंकि इसका कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होता। हालांकि पीआरपी इंजेक्शन लेने के लिए उम्र सीमा या सावधानी बरतने कि कोई जरूरत नहीं रहती लेकिन अर्थराइटिस के शुरुआती चरण में जितनी जल्दी हो सके यह इलाज कराना ही बेहतर होता है ताकि अधिकतम और लंबी अवधि तक इसका लाभ मिल सके।
कहां-कहां उपयोगी है पीआरपी थेरैपी
किसी भी टेंडन या लिगामेंट इंजरी का सफलतापूर्वक पीआरपी थेरैपी के द्वारा उपचार संभव है लेकिन पूरी तरह टूट चुके टेंडन या लिगामेंट्स का इसके द्वारा उपचार संभव नहीं है।
स्‍पोर्ट्स पर्सन के लिए भी यह थेरैपी बहुत कारगर है जिनके घुटनों की मांसपेशियों में खिंचाव आ जाता है। इस प्रकार की समस्‍याओं को आमतौर पर दवाईयों, फिजियोथेरैपी या सर्जरी के द्वारा ठीक किया जाता है। कईं एथलीट्स के अनुसार पीआरपी थेरैपी उनकी समस्‍याओं को तुरंत और अधिक बेहतर तरीके से उपचार करती है।
पीआरपी का उपयोग सर्जरी के पश्‍चात हीलिंग में भी किया जाता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी व्‍यक्‍ति के एड़ी के कार्ड टूट गए हैं टेंडन के उपचार के लिए सर्जरी की आवश्‍यकता होती है। टूटे हुए टेंडन को हील करने का कार्य बेहतर होता है चोटग्रस्‍त स्‍थान का पीआरपी के साथ उपचार करने के द्वारा सर्जरी के दौरान। कईं अध्‍ययनों में यह सामने आया है कि पीआरपी अर्थराइटिक नी के उपचार में बहुत उपयोगी है और प्रभावकारी है। इससे जुड़े हुए रिस्‍क भी बहुत कम हैं। जो लोग अर्थराइटिस से पीड़ित होते हैं उनमें जोड़ों की गति बहुत प्रभावित होती है लेकिन पीआरपी के द्वारा जोड़ों का लचीलापन बढ़ता है और उनकी मूवमेंट्स में सुधार आता है। जोड़ों की सूजन भी कम होती है। कईं रोगी जिनमें नी अर्थराइटिस की समस्‍या अधिक गंभीर नहीं होती उनमें पीआरपी के इंजेक्शन समस्‍या का काफी हद तक उपचार कर देते हैं, जिनकी समस्‍या गंभीर होती है उनके लक्षणों में काफी सुधार आ जाता है और उनके जीवन की गुणवत्‍ता सुधरती है।



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