हिन्दी अकादमी,दिल्ली के बारे में

शब्दवाणी समाचार सोमवार 25 नवंबर 2019 नई दिल्ली। हिन्दी अकादमी, दिल्ली में स्थित एक हिन्दी सेवी संस्था है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के संवर्द्धन, प्रचार-प्रसार और विकास के उद्‌देश्य से 1981 में तत्कालीन दिल्ली प्रशासन ने 'स्वायत्तशासी संस्था' के रूप में 'हिन्दी अकादमी' की स्थापना की। हिन्दी अकादमी की स्थापना दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति एवं भाषा विभाग के निर्देशन में हुई। मुख्यमंत्री, दिल्ली दो वर्ष की अवधि के लिए हिन्दी अकादमी की संचालन-समिति गठित करते हैं। अकादमी की संचालन-समिति के सदस्यों के रूप में 25 जाने-माने साहित्यकार, लेखक, विशेषज्ञ, पत्रकार आदि नामांकित किए जाते हैं। यह समिति सभी योजनाओं, प्रस्तावों और बजट का अनुमोदन करती है। इसके अतिरिक्त अकादमी में समय-समय पर विभिन्न कार्यों के निष्पादन और निर्णय के लिए अलग-अलग समितियां बनायी जाती हैं, जो यह सुनिश्चित करती हैं कि योजनाओं के अंतर्गत लाभ उठाने वालों के चयन में निष्पक्षता रहे।



उद्देश्य एवं लक्ष्य :-
हिन्दी अकादमी की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य हिन्दी भाषा और साहित्य के विकास से संबंधित कार्यक्रमों को कार्यरूप में लाना है। इसके अन्तर्गत जहाँ दिल्ली के प्राचीन तथा वर्तमान उत्कृष्ट साहित्य का संकलन, परिरक्षण तथा उसके सृजन के लिए प्रोत्साहन का कार्य सम्मिलित है। वहीं राजभाषा के रूप में हिन्दी के नये स्वरूप से संबंधित शोध कार्य भी उसमें सम्मिलित हैं, जिससे कि दिल्ली के साहित्यकारों को उत्कृष्ट साहित्य के सृजन के लिए प्रोत्साहन मिले, पुराना और दुर्लभ साहित्य सुरक्षित किया जा सके और नये साहित्यकारों के लिए योजनाओं और दिशाओं की खोज की जा सके। अकादमी के उद्देश्य एवं लक्ष्य निम्न प्रकार हैं
= दिल्ली के साहित्यिक और सांस्कृतिक विकास के संदर्भ में हिन्दी भाषा और साहित्य का संवर्धन तथा परिरक्षण करना।
= दिल्ली के वयोवृद उच्च कोटि के हिन्दी साहित्यकारों और प्रतिष्ठित विद्वानों का सम्मान।
= हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ कृतियों और बाल साहित्य के लिए प्रतिवर्ष सम्मान एवं पुरस्कार ।
= साहित्यिक पत्रिका का प्रकाशन।
= हिन्दी भाषा और साहित्य के विकास के लिए यथासमय भाषा सम्मेलन तथा विचार-गोष्ठी आयोजित करना।
    उत्कृष्ट कृतियों के प्रकाशन के लिए ऐसे साहित्यकारों को वित्तीय सहायता देना जो स्वयं प्रकाशन व्यवस्था न कर सकते हों।
= ऐसे पुस्तकालयों की स्थापना करना जिसमें साहित्य की मूल कृतियाँ, संदर्भ ग्रंथ, शब्दकोष तथा हिन्दी साहित्य की आलोचनात्मक पुस्तकें उपलब्ध हों।
= हिन्दी के प्रचार-प्रसार में कार्य कर रही ऐसी स्वैच्छिक संस्थाओं को, कार्यक्रमों, लघु समाचार पत्र पत्रिकाओं को विज्ञापनों के माध्यम से सहायता अनुदान देना जिनका कार्य वास्तव में हिन्दी के विकास तथा हिन्दी साहित्य की वृद्धि की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।


= रोज़गारोन्मुखी कार्यक्रमों का संचालन जिनमें कंप्यूटर, हिन्दी आशुलिपि, टंकण, प्रशिक्षण आदि मुख्य हैं।
= महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी साहित्यिक तथा शैक्षिक महत्त्व की पुस्तकों का अन्य भाषाओं से हिन्दी में अनुवाद करना। इसके अन्तर्गत उन कृतियों को सम्मिलित किया जाता है जो सांस्कृतिक समन्वय तथा राष्ट्रीय भावनात्मक एकता की दृष्टि से श्रेष्ठ साहित्य की कोटि में आती हो।
= समय-समय पर विभिन्न साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन।
= राष्ट्रीय एकता एवं भाषायी सौहार्द के उद्देश्य से देश के अन्य राज्यों में अंर्तभाषायी सम्मेलनों एवं यात्रा शिविरों का आयोजन।



 


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