ऑटो कंपोनेंट सेक्टर में छाई मंदी से एक लाख लोग हुए बेरोजगार

शब्दवाणी समाचारवार शनिवार 07 दिसम्बर 2019 नई दिल्ली। देश के ऑटोमोबाइल क्षेत्र में पिछले एक साल से जारी सुस्ती का असर वाहन कलपुर्जा उद्योग और इससे जुड़े रोजगार पर भी पड़ रहा है। यही कारण है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही यानी अप्रैल-सिंतबर अवधि में वाहन कलपुर्जा उद्योग के कारोबार में 10.1 फीसदी की गिरावट आई है और 1.99 लाख करोड़ रुपये से घटकर 1.79 लाख करोड़ रुपये रह गया। वहीं, इस साल जुलाई से लेकर अब तक इस उद्योग से जुड़ी एक लाख अस्थायी नौकरियां गई हैं। ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन (एक्मा) के अध्यक्ष दीपक जैन ने शुक्रवार को कहा कि वाहन क्षेत्र में लंबे समय से मंदी जारी है। इस कारण इस अवधि में निवेश के मामले में दो अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। पिछले एक साल से सभी श्रेणी के वाहनों की बिक्री लगातार घट रही है और इसका रोजगार पर भी असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि कलपुर्जा उद्योग का विकास वाहन उद्योग पर निर्भर है।



वर्तमान में वाहनों के उत्पादन में 15-20 फीसदी की कटौती से वाहन उपकरण उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। नौकरियां जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि पिछले साल अक्तूबर से ही छंटनी का दौर जारी है। इस दौरान सबसे ज्यादा अस्थायी कर्मचारियों को नौकरी गईं।
इससे पहले जुलाई में एक्मा ने जुलाई में सरकार से वाहन उद्योग के लिए जीएसटी की दर एक समान 18 फीसदी करने का अनुरोध किया था ताकि मांग में कमी से मंदी के दौर से गुजर रहे वाहन उद्योग को उबरने और 10 लाख नौकरियों को बचाने में मदद मिले। उन्होंने वाहन कलपुर्जा उद्योग करीब 50 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है। एक्मा का कहना था कि वाहन उद्योग अभूतपूर्व मंदी के दौर से गुजर रहा है और वाहन कलपुर्जा उद्योग पूरी करह वाहन उद्योग पर निर्भर है।
मौजूदा स्थिति में वाहन उत्पादन में 15-20 फीसदी की कटौती से कलपुर्जा उद्योग के सामने संकट की स्थति पैदा हो गई है। अगर ऐसे ही हालात रहे तो करीब 10 लाख लोग बेरोजगार हो सकते हैं। कुछ स्थानों पर छंटनी की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।   
एक्मा का कहना था कि जीएसटी प्रणाली के तहत पहले से ही करीब 70 फीसदी वाहन कलपुर्जों पर 18 फीसदी जीएसटी लग रहा है। बाकी बचे 30 फीसदी पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है। इसके अलावा 28 फीसदी जीएसटी के साथ वाहनों की लंबाई, इंजन के आकार-प्रकार के आधार पर वाहनों पर एक से 15 फीसदी का उपकर भी लग रहा है। उन्होंने कहा कि मांग में कमी, BS4 से BS6 उत्सर्जन मानकों के लिए हाल ही में किए गए निवेश से भविष्य के सभी निवेश रुक गए हैं। 



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