विदेशी नागरिकों के साथ धार्मिक आधार पर भेदभाव करना संवैधानिक : स्वामी ओम जी
शब्दवाणी समाचार वीरवार 12 दिसम्बर 2019 नई दिल्ली। धर्मरक्षक श्री दारा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुकेश जैन की अध्यक्षता में हुई हिन्दू संगठनों की बैठक में नागरिक संशोधन विधेयक को लोकसभा में पारित कराने पर गृहमंत्री श्री अमित शाह जी को बधाई दी। बैठक में दारा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुकेश जैन ने चिन्ता व्यक्त की कि कुछ लोग संविधान की गलत और बेबुनियाद गलत व्याख्या करके गलत फहमी पैदा कर रहे हैं। जो लोग खासतौर पर असदुद्दीन ओवैसी जो फरमाह रहा है कि यह यहां के नागरिकों से धर्म के आधार पर भेद भाव है। भारत के हिन्दुओं और मुसलमानों में धर्म के आधार पर भेदभाव है। संविधान के अनुच्छेद 15.1 में दिये मूलाधिकार राज्य अपने किसी नागरिक के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा, का उल्लंघन है। दरअसल यें लोग न तो खुद ही संविधान को जानते है और इतने जाहिल भी है कि इनके समर्थक जो इन्हे बैरिस्टर मानकर इनकों संविधान के विशेषज्ञ मानकर इन पर विश्वास करते है, को भी जान बूझकर गुमराह कर रहे हैं।
श्री जैन ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि संविधान का अनुच्छेद 15.1 राज्य को भारतीय नागरिकों में धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई भेदभाव न करने की मनाहीं करता है। संविधान के अनुच्छेद 12 और 13 के तहत मूलाधिकार नियम केवल और केवल उन भारतीय नागरिकों के मूलाधिकार की रक्षा करने का आदेश देते हैं जो कि भारत के राज्य क्षेत्र के दायरे में हैं। साफ सी बात है कि राज्य या भारत सरकार दूसरे देश के नागरिकों के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव कर सकती है और संविधान इसकी इजाजत देता है।
बैठक में दारा सेना के महामंत्री स्वामी ओम जी ने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी और उसके सहयोगी सांसद अपना झूठ का पुल्लिंदा खोलकर देश के मुस्लिमों को जो गलत संदेश दे रहे हैं, वो झूठ व भ्रम यें सी आई ए की फंडिंग और सर्वोच्च न्यायालय में बैठे सी आई ए के ऐजेन्ट जजों के बहकावे में आकर फैला रहे हैं।
स्वामी ओम जी ने प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को आगाह किया कि जल्द ही सी आई ए के ऐजेन्ट प्रशान्त भूषण और इन्दिरा जय सिंह की अगुवाई में देशद्रोहियों और हिन्दूद्रोहियों का बड़ा गैंग अपने आका सर्वोच्च न्यायालय के जजों के पास नागरिक संशोधन विधेयक को चुनौती देगा। जबकि सर्वोच्च न्यायालय को संविधान के अनुच्छेद 122 , 131क और 32क के तहत संसद द्वारा पारित नियमों की संवैधानिक वैधता को प्रश्नगत करने या उन पर सुनवाई करने से रोका गया है। किन्तु देशद्रोहियों के गैंग से जुड़़ी सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री और जज संविधान का उल्लंघन करके जैसे 370 पर सुनवाई कर रहे हैं, वैसे ही इस पर भी सुनवाई करेंगे।
दारा सेना और हिन्दू संगठनों ने प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से अनुरोध किया कि वें जजों की भरती राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को पुन बहाल करके उसके अनुसार करें और उसी के साथ जजों को संसदीय कार्यवाहियों को प्रश्नगत करने से भी रोके ताकि लोकतन्त्र और संसद की सार्वभौमिकता जिन्दा रह सके।
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