कोरोनावायरस के समय भी अपोलो होस्पिटल्स ने ब्रेन ट्यूमर का सर्जरी किया
शब्दवाणी समाचार वीरवार 23 अप्रैल 2020 नई दिल्ली। 19 वर्षीय जैवीन सहगल को बार-बार बेहोशी और कब्ज़ की शिकायत थी। दिल्ली के कई अन्य अस्पतालों में कब्ज़ के लिए उसका इलाज किया गया, लेकिन उसकी हालत बिगड़ती चली जा रही थी। एक सप्ताह बाद जब उसे इन्द्रप्रस्थ अपोलो होस्पिटल लाया गया, जब उसमें एक न्यूरोलोजिकल समस्या हाइपोथेलैमिकग्लियोमा (एक दुर्लभ ब्रेन ट्यूमर) का निदान हुआ। यह ट्यूमर आमतौर पर बच्चों या युवा व्यस्कों में पाया जाता है। इसके लक्षण हैं सिरदर्द, चक्कर आना, चिड़चिड़पन, उल्टी, देखने में परेशानी और हाथ-पैरों में सुन्नपन एवं कमज़ोरी।
डॉ सुधीर त्यागी, सीनियर कन्सलटेन्ट, न्यूरोसर्जरी, इन्द्रप्रस्थ अपोलो होस्पिटल्स जो अपनी टीम के साथ इस मुश्किल सर्जरी का नेतृत्व कर रहे थे, उन्होंने बताया, “जब ट्यूमर ब्रेन की ऐसी मुश्किल लोकेशन में हाता है, तो सर्जन को सर्जरी के दौरान बहुत अधिक सावधानी बरतनी पड़ती है। जैवीन के मामले में माइक्रोस्कोप की मदद से बड़ी ही सावधानी से सर्जरी की गई। यह मुश्किल सर्जरी थी, हमें एक साथ दो काम करने थे, अन्य तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना ट्युमर को निकालना और साथ ही यह सुनिश्चित करना कि ब्रेन के अन्य हिस्सों पर भी कोई असर न हो। सर्जरी सफल रही और दो ही दिनों के अंदर जैवीन की हालत में सुधार होने लगा।'
मरीज़ के पिता ने टीम के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, “हम पिछले 7 दिनों में कई डॉक्टरों के पास गए लेकिन कोई भी मेरे बेटे का सही निदान नहीं कर पायामुझे खुशी है कि डॉ सुधीर न केवल बीमारी को पहचाना बल्कि सही इलाज भी किया और सर्जरी के दो ही दिनों के अंदर मेरे बेटे में सुधार हो रहा है।'
हाइपोथेलेमिक ग्लियोमा आमतौर पर बनायन होते हैं, यह धीरे-धीरे बढ़ने वाले ब्रेन ट्यूमर होते हैं। यह ट्यूमर आमतौर पर ब्रेन के नीचे मौजूद होते हैं, इसलिए इनकी सर्जरी बहुत मुश्किल होती है, ये जानलेवा हो सकते हैं। यह हिस्सा बहुत संवेदनशील होता है, हाइपोथैलेमस शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्यों को अंजाम देता है, जैसे हार्मोनों और तापमान पर नियन्त्रण। इन्द्रप्रस्थ अपोलो होस्पिटल्स दिल्ली एनसीआर के कुछ ही न्यूरोसेंटरों में से एक है जो इस तरह की माइक्रोस्कोपिक सर्जरी को विशेषज्ञता और सटीकता के साथ सफलतापूर्वक अंजाम दे सकता है।
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