दिल्ली के 40 प्रतिशत लोगों को हायपरटेंशन के गलत निदान का खतरा – इंडिया हार्ट स्टडी

शब्दवाणी समाचार शनिवार 24 अगस्त 2019 नई दिल्ली। इंडिया हार्ट स्टडी (आई.एच.एस) के एक अध्ययन में पता चला है कि राजधानी दिल्ली में 21.10 प्रतिशत उत्तरदाता व्हाइट कोट हायपरटेंसिव हैं, जबकि 18.90 फीसदी लोग मास्क्ड हायपरटेंशन के शिकार पाए गए और इस प्रकार कुल मिलाकर 40 प्रतिशत लोग हायपरटेंशन के गलत निदान के शिकार हो रहे हैं। इस अध्ययन में दिल्ली के 1228 प्रतिभागी शामिल किए गए, जिनमें 804 पुरुष थे और इनमें महिलाओं की संख्या 424 थी।



मास्क्ड हायपरटेंशन एक ऐसी घटना है, जिसमें डॉक्टर के कार्यालय में किसी व्यक्ति का रक्तचाप सामान्य नजर आता है, लेकिन घर पर उसे हाई ब्लड प्रेशर है। इसी तरह, व्हाइट कोट हायपरटेंशन को एक ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमें केवल एक नैदानिक सेटिंग में सामान्य पर रक्तचाप के स्तर को प्रदर्शित किया जाता है। व्हाइट–कोट हायपरटेन्सिव, जिसका गलत अनुमान लगाया जाता है, ऐसे मामलों में लोगों को अनावश्यक दवाएं लेनी पड़ती हैं। दूसरी ओर, मास्क्ड हायपरटेंशन के ऐसे मामलों में, जिनमें गलत निदान किया गया है, हृदय, गुर्दे और मस्तिष्क की जटिलताओं के जोखिम को बढा सकता है, जिससे समय से पहले मृत्यु भी हो सकती है।


इंडिया हार्ट स्टडी (आई.एच.एस) के अध्ययन के अनुसार पहली बार डॉक्टर के क्लीनिक में कदम रखने वाले 42 फीसदी भारतीय मास्क्ड हायपरटेंशन और व्हाइट कोट हायपरटेंशन के शिकार पाये गए हैं। अध्ययन में यह भी पाया गया कि भारतीयों के दिल की धड़कन की दर 80 बीट प्रति मिनट है, जो कि 72 बीट प्रति मिनट की वांछित दर से अधिक है। अध्ययन की एक और खास बात यह है कि अन्य देशों की तुलना में, भारतीय लोगों में सुबह की तुलना में शाम को उच्च रक्तचाप पाया गया, इसका अर्थ यह हुआ कि डॉक्टरों को उच्च रक्तचाप से ग्रस्त लोगों के लिए दवा की खुराक के समय पर पुनर्विचार करना चाहिए।


आईएचएस के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर, कार्डियोलॉजिस्ट और चेयरमैन बीएचएमआरसी, नई दिल्ली के डीन एकेडमिक्स एंड रिसर्च डॉ उपेंद्र कौल ने कहा, "इंडिया हार्ट स्टडी भारत में उच्च रक्तचाप के बेहतर नैदानिक प्रबंधन की आवश्यकता की ओर इशारा करती है। इस अध्ययन में खास तौर पर भारत से संबंधित आंकडे जुटाए गए हैं, जिनकी सहायता से हम भारतीय लोगों में उच्च रक्तचाप के निदान के लिए बेहतर तरीके से प्रयास कर सकते हैं। यह स्टडी हायपरटेंशन के विभिन्न पहलुओं पर संपूर्ण डेटा प्रस्तुत करती है। स्टडी के बारे में और जानकारी देते हुए की- इन्वेस्टिगेटर और कार्डियोवस्कुलर रिसर्च इंस्टीट्यूट मास्ट्रिच (सीएआरआईएम) डॉ विलियम वर्बर्क, पीएचडी ने कहा, "उच्च रक्तचाप का सही-सही पता लगाने के लिए यह बेहद जरूरी है कि हम इसकी उच्च स्तर की निगरानी करें। हालांकि, विभिन्न रोगियों में मधुमेह जैसे विभिन्न सह-रुग्णताएं हो सकती हैं, इसका अर्थ यह भी है कि हमें घर पर रक्तचाप की निगरानी के लिए बेहतर उपकरणों का उपयोग करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं, किशोरों और किडनी विकारों वाले लोगों के लिए होम ब्लड प्रेशर मॉनिटर अलग से प्रमाणित करने की आवश्यकता है।


एरिस लाइफसाइंसेज के प्रेसीडेंट – मेडिकल डॉ विराज एरिस लाइफसाइंसेज ने इंडिया हार्ट सुवर्ण कहते हैं, “मास्क्ड हायपरटेंशन एक खतरनाक घटना है, जिसका कई बार पता भी नहीं चल पाता। इसलिए स्टडीज की शुरुआत की, जो बत्रा जरूरी है कि निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार क्लिनिक के हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिसर्च सेंटर अलावा घर पर भी लोगों के रक्तचाप की निगरानी करना ___ के तत्वावधान में की गईबेहद महत्वपूर्ण है। उच्च रक्तचाप का सटीक निदान इस बीमारी के खिलाफ हमारी लड़ाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इससे ही स्वास्थ्य परिणामों में सुधार आ सकता है।


सर गंगा राम अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट और आईएचएस के एक को-ऑर्डिनेटर डॉ जे पी एस साहनी कहते हैं, “व्हाइट कोट और मास्क्ड हायपरटेंशन की व्यापकता को उजागर करने के अलावा, इंडियन हार्ट स्टडी भारतीयों में दिल की धडकन की बढ़ी हुई दर की तरफ भी इशारा करती है। इन कारणों से लोग अन्य अनेक जटिलताओं के शिकार भी हो सकते हैं। हम जीवन शैली में मामूली बदलाव करके और अपने रक्तचाप के प्रति सतर्क रहकर इन जोखिमों को कम कर सकते हैं। अध्ययन से एक और महत्वपूर्ण जानकारी यह भी मिलती है कि भारतीयों में शाम के समय उच्च रक्तचाप अधिक पाया जाता है। एचबीपीएम का उपयोग करते हुए सुबह और शाम दोनों वक्त का रक्तचाप जानने से हर रोगी के लिए दवा का समय तय करने में मदद मिलती है।


मेदांता, गुरुग्राम के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ विजय खेर के अनुसार, “अनियंत्रित उच्च रक्तचाप या लगातार उच्च रक्तचाप गुर्दे की विफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण जोखिम कारक है। उच्च रक्तचाप की निगरानी और इसे नियंत्रण में रखना किडनी की सुरक्षा का सबसे अच्छा तरीका है। समय पर निदान और प्रबंधन से हम उच्च रक्तचाप की जटिलताओं जैसे स्ट्रोक, हृदय की विफलता और गर्दे की विफलता से अपा बचाव कर सकते हैं।


स्टडी में 'ड्रग–नेइव' प्रतिभागियों के सेट पर ब्लड प्रेशर की रीडिंग लेने की एक विस्तृत प्रक्रिया का उपयोग करके भी निष्कर्ष दिए गएजांचकर्ताओं ने नौ महीनों की अवधि में 15 राज्यों के 1233 डॉक्टरों के माध्यम से 18,918 प्रतिभागियों (पुरुष और महिला) के रक्तचाप की जांच की। लगातार 7 दिनों तक प्रतिभागियों के रक्तचाप की निगरानी दिन में चार बार घर पर की गई।



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