डॉ. रेयान ने वाउंड क्‍लोजर मैनेजमेंट पर प्रशिक्षण और ज्ञानवर्धक चर्चा कार्यक्रम की शुरुआत 

शब्दवाणी समाचार शुक्रवार 01 नवंबर 2019 नई दिल्ली।  सेंट लुइस के वाशिंगटन विश्वविद्यालय ऑर्थोपीडिक्‍स में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रेयान एम नुनली द्वारा नई दिल्ली में एक तीन दिवसीय प्रशिक्षण और ज्ञानवर्धक चर्चा कार्यक्रम की शुरुआत की गई। यह कार्यक्रम वाउंड क्‍लोजर मैनेजमेंट के क्षेत्र में हुई नवीनतम तकनीकी प्रगति के संबंध में सर्जनों को प्रशिक्षित करने और उन्‍हें इस तकनीक से लैस करने के उद्देश्‍य से आयोजित किया गया था। चूंकि दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में भारत में सर्जरी की जगहों पर संक्रमण की संभावना अपेक्षाकृत अधिक होती है, ऐसे में इस 3-दिवसीय कार्यक्रम ने वाउंड क्‍लोजर, विशेष रूप से जॉइंट रिप्‍लेसमेंट सर्जरी के क्षेत्र में नवीनतम प्रगति के लाभों को सामने लाने में मदद की। यह प्रशिक्षण और नॉलेज शेयरिंग कार्यक्रम भारत के तीन शहरों - नई दिल्ली, हैदराबाद और पुणे में अग्रणी सर्जनों के साथ सॉफ्ट टिश्‍यू मैनेजमेंट के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्‍य से आयोजित किया गया था।



इस कार्यक्रम में 3 शहरों के 50 से अधिक ऑर्थोपेडिक सर्जनों ने भाग लिया, जहां उन्‍हें उपचार प्रक्रिया को बेहतर बनाने के क्षेत्र में हुई नवीनतम तकनीकी प्रगति के संबंध में प्रशिक्षित किया गया।  जिससे रोगी तेजी से चलने फिरने, न्यूनतम निशान, कम संक्रमण, अपनी आसान देखभाल और गुणवत्तापूर्ण जीवन का लाभ प्राप्‍त कर सकें। ये उन्नत प्रणालियाँ मिनिमम इनवेसिव स्किन क्लोजर तकनीकें भी प्रदान करेंगी, जिससे रोगियों को अधिक संतुष्टि और बेहतर त्‍वचा प्राप्‍त होगी।
इस शैक्षिक पहल का मुख्‍य उद्देश्य सुरक्षित और कुशलतापूर्वक वाउंड क्‍लोजर के प्रभावी उपयोग को सामने लाना था, क्योंकि सर्जिकल साइट इन्फेक्शंस (एसएसआई) के जोखिम से बचने के लिए यह बेहद जरूरी है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि इससे मरीज को दोबारा एडमिट करना पड़ सकता है और अंततः इससे इलाज का खर्च काफी बढ़ सकता है। अकेले एशिया पैसिफिक में, मरीजों को एसएसआई के साथ स्वास्थ्य संबंधी संक्रमण से संक्रमित होने की संभावना 20 गुना अधिक होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कम और मध्यम आय वाले देशों में 10 में से 1 रोगियों को सर्जिकल साइट संक्रमण होता है। वैश्विक दिशानिर्देशों की निगरानी और कार्यान्वयन में कमी के चलते एशिया प्रशांत क्षेत्र में एसएसआई रोकथाम की प्रगति में बाधा आई है, जिसकी वजह से एशिया प्रशांत देशों में मृत्यु दर 46% तक बढ़ गई है।
इसके अलावा, आर्थोपेडिक सर्जिकल प्रक्रिया से संबंधित एसएसआई संक्रमण रोगी के अस्पताल में भर्ती होने के समय को दो सप्ताह तक बढ़ा सकता है और यह इलाज के खर्च में 300% से अधिक की वृद्धि कर सकता है। आर्थोपेडिक सर्जरी में एसएसआई रोगियों, सर्जनों और अस्पताल संस्थानों के लिए एक बड़ी और भयावह समस्‍या भी पेश करता है। टोटल नी रिप्‍लेसमेंट (टीकेआर) में एसएसआई की दर निम्न से उच्च तक 1.74% से 12.5% के बीच है।
इस बारे में बात करते हुए डॉ. नुनली ने कहा, “दुनिया भर में जॉइंट रिप्‍लेसमेंट सर्जरी के साथ सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक संक्रमण है। यह एक ऐसी चीज है जिसे हम खत्म नहीं कर पाए हैं। इसलिए, आर्थोपेडिक सर्जरी के सभी पहलुओं, विशेष रूप से टोटल नी और टोटल हिप ऑर्थ्रोप्लास्टी में ऐसी तकनीकों को अपनाना एक प्रमुख लक्ष्‍य है जो कि संक्रमण के जोखिम को कम करती हैं। जॉइंट रिप्‍लेसमेंट सर्जरी में वाउंड क्‍लोजर मैनेजमेंट के क्षेत्र में नवीनतम प्रगति के साथ, हम बदलती ग्राहक मांगों को पूरा कर सकते हैं और रोगियों को बेहतर उपचार प्रदान कर सकते हैं। भारत में पिछले 3 दिनों ने हमें सर्जनों को जानकारी से लैस करने और आर्थोपेडिक सर्जरी में वाउंड क्‍लोजर की प्रणालियों के साथ अपने अनुभव साझा करने का मौका दिया, जो कम घाव करती हैं, जल निकासी / हेमटोमा / एसएसआई की घटनाओं को कम करती हैं, वाटरटाइट क्लोजर तकनीक प्रदान करती हैं, अपने घर पर स्वयं मरीजों द्वारा आसानी से हटाने (क्लिनिक में कम बार वापस आना, क्‍योंकि यह रोगी और परिवार के सदस्यों के लिए महंगा और समय खर्च करने वाला हो सकता है), स्टेपल (त्वचा क्लिप) की तुलना में काफी कम दर्द के साथ ड्रेसिंग और बेहतर त्‍वचा प्रदान करते हैं।”
आर्थोपेडिक सर्जरी के दौरान, सॉफ्ट टिश्‍यू के मैनेजमेंट पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है क्योंकि अनुचित प्रबंधन से दर्द, पानी निकलने, हेमटॉमस, संक्रमण, दोबारा भर्ती होने या अन्य समस्‍याएं सामने आ सकती हैं, जो रोगी और परिवारों के लिए मुश्किल भरी हो सकती हैं। सर्जरी के समय घाव बंद करने की प्रणाली पर ध्यान देने से सर्जन की सटीकता बढ़ जाती है और यह रोगी की ठीक होने, जीवन की गुणवत्ता और रोगी की संतुष्टि पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। यह हेल्‍थ सर्विस सिस्‍टम और अस्पताल में दोबारा भर्ती होने से जुड़े आर्थिक बोझ को कम करेगा।
सर्जरी के दौरान और उसके बाद सर्जन और साथ ही रोगियों द्वारा घाव पर ध्‍यान देने से सर्जरी के स्‍थान पर संक्रमण के जोखिम को कम किया जा सकता है। किसी भी चिकित्सा प्रक्रिया के लिए, रोगी की तबियत में सुधार और रोगी की संतुष्टि प्रमुख लक्ष्य होता है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि आर्थोपेडिक सर्जरी के मामले में, रोगी को प्रभावित करने वाली चुनौतियों में स्टेपल या टांके हटवाने के लिए बार-बार क्‍लीनिक आना, सतही संक्रमण, फोड़ा बनना, घाव होना, लंबे समय तक घाव का बने रहना, अस्‍पताल में दोबारा भर्ती होना और और फिर से ऑपरेशन शामिल हैं। वाउंड क्‍लोजर प्रणाली का उपयोग जो कि घाव भरने की जटिलताओं को कम करता है। इसे चिकित्सक या हेल्‍थ सर्विस प्रोवाइडर द्वारा मैन्युअल हटाने की आवश्यकता नहीं होती है,  क्योंकि समाधान से रोगी की संतुष्टि और तबियत में काफी सुधार होगा, साथ ही साथ हेल्‍थ केयर प्रणाली की लागत भी कम होगी।



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