नगर कीर्तन के सफल आयोजन के लिए गुरु की संगत ने SADD को दिया हौसला : सरना

शब्दवाणी समाचार बुधवार 20 नवंबर 2019 नई दिल्ली। शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (SADD)  नेतृत्व  सरहद पार से ऐतिहासिक नगर कीर्तन के सफल आयोजन के बाद स्वदेश लौट आया है. SADD प्रधान परमजीत सिंह सरना के मुताबिक ये सफल आयोजन अकाल पुरख की मेहर से मुमकिन हो पाया. हालांकि सरना ने इस पवित्र कार्यक्रम में हर तरह की रुकावटें खड़ी करने की कोशिशों को लेकर बादल परिवार और उनके दिल्ली स्थित बिचौलियों पर कड़ा प्रहार किया बता दें कि SADD प्रधान सरना को बादल परिवार के उकसावे पर 31 अक्टूबर को अटारी/वाघा बॉर्डर पार करने की इजाज़त नहीं दी गई थी।



सरना ने मीडिया कान्फ्रेंस से अनुभव साझा करते हुए बताया कि किस तरह दिल्ली-ननकाना साहिब नगर कीर्तन के रास्ते में विरोधियों की ओर से कदम-कदम पर रुकावटें खड़ी करने की कोशिशें की गईं. और किस तरह गुरु की संगत ने उन्हें और उनकी पार्टी को ऐसी हर रुकावट से पार पाने का हौसला दिया। SADD प्रमुख ने कहा, “गुरु पंथ ने हमें बड़ी सूझबूझ से काम करने की शक्ति दी. मेरे भाई हरविंदर सिंह सरना और मुझे पूर्वाभास था कि किस तरह बादल, एमएस सिरसा जैसे उनके मक्कार एजेंट और उनके गॉडफादर 90 वर्षीय तरलोचन सिंह पंथक नगर कीर्तन के रास्ते में बाधाएं खड़ी करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे सरदार सरना ने कहा, “दिल्ली सिख गुरद्वारा प्रबंधक कमेटी (DSGMC) के प्रधान सिरसा ने पाकिस्तान से क्लीयरेंस के नाम पर गुरु की संगत पर झूठों की बौछार करने में एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया. ये सब बादलों की ओर से आयोजित नगर कीर्तन के नाम पर किया गया जो असल में कहीं वजूद में ही नहीं था।
SADD प्रधान सरना ने कहा, “ये सबसे ख़राब ढकोसला था जो गुरु नानक साहिब के नाम पर किया गया. सिरसा की ओर से शहर में पालकी के लिए नकदी और सोना भी इकट्ठा किया गया. फिर वो पालकी पाकिस्तान के किसी ऐतिहासिक गुरुद्वारे में नहीं बल्कि दिल्ली के श्री नानक प्याऊ साहिब में स्थापित की गई. ये पालकी उस सोने की पालकी से बहुत छोटी थी जो पहले वहां मौजूद थी।
SADD लीडरशिप ने ध्यान दिलाया कि DSGMC प्रधान ने इकट्ठा की गई नकदी और सोने का हिसाब नहीं देकर श्री अकाल तख्त साहिब की अवहेलना की. ये नकदी और सोना प्रधान और उसके ठगों ने काल्पनिक पालकी के नाम पर गुरु की संगत से एकत्र किया। सरना ने बादलों और उनके सिरसा जैसे गुर्गों की ओर से खड़ी की गई रुकावटों का ज़िक्र किया. सरना ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब को ले जा रही बस का रास्ता रोकने की कोशिशों की कड़े शब्दों में निंदा की.
SADD नेता ने बताया, “ये घिनौना काम पहले श्री बंगला साहिब के गेट्स पर किया गया, फिर यही नापाक हरकत सरहद पर की गई जब केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के इशारे पर सुरक्षाकर्मियों ने अटारी/वाघा बार्डर पर बस से श्री गुरु ग्रंथ साहिब को जबर्दस्ती बाहर निकलवाया।
सरना बंधुओं को श्री करतारपुर साहिब ले जा रही पालकी के रास्ते में ऐसी रुकावटों का पहले से अंदेशा था इसलिए पालकी के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से आवश्यक अनुमति ले ली गई थी. सरना ने कहा, “हम जानते थे कि कि वो श्री करतारपुर साहिब ले जाई जा रही पालकी के रास्ते को रोकने के लिए हर मुमकिन कोशिश करेंगे. हमारी टीमों और गुरु की संगत के सदस्यों ने आवश्यक अनुमति हासिल करने के लिए 24 घंटे काम किया. इसी का नतीजा रहा कि हम पालकी को सरहद पार ले जाने में कामयाब रहे।
SADD नेतृत्व लगातार पंजाब और केंद्र सरकार में वरिष्ठ अधिकारियों के संपर्क में रहा. राज्य और केंद्रीय इंटेलीजेंस में उच्च-स्तरीय अधिकारियों को नगर कीर्तन की प्रगति को लेकर वक्त-वक्त पर जानकारी दी जाती रही. मोदी सरकार में भी वरिष्ठ मंत्रियों को सब कुछ अवगत कराया जाता रहा. सरदार सरना ने मीडिया को बताया कि SADD की ओर से श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह से भी नियमित संपर्क बनाए रखा गया।
SADD प्रमुख के मुताबिक बादल खेमे से जुड़े सूत्रों ने खुलासा किया कि पूर्व सांसद और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NMC) के अध्यक्ष तरलोचन सिंह ने सरहद पार नगर कीर्तन को लेकर बेहद नुकसान पहुंचाने वाली भूमिका निभाई।
सरदार सरना ने कहा, “सिरसा के आका और जीवन के आखिरी पड़ाव में चल रहे तरलोचन सिंह सरकार और शीर्ष सिख धार्मिक संस्थानों को नगर कीर्तन के ख़िलाफ़ भड़काने में सबसे आगे रहे. हालांकि उन्हें मुंह की खानी पड़ी. लेकिन ये शर्म की बात है कि 90 साल की उम्र में इस तथाकथित सिख ने 1984 से गुरु पंथ के खिलाफ जारी अपनी भूल-चूकों के पापों पर पछतावा करने की जगह फिर से पंथक विरोधी रास्ता अपनाया सरना ने ध्यान दिलाया कि तरलोचन सिंह ने किस तरह गुरु नानक साहिब को हिन्दू राष्ट्र का हिमायती बताकर गुरु पंथ की अवमानना की थी. सरना ने कहा, “550 वें प्रकाश पर्व पर DSGMC की ओर से इंडिया गेट, दिल्ली पर आयोजित कार्यक्रम में सिरसा के 90 वर्षीय दलाल और गॉडफादर ने चमचागिरी की निचले स्तर की मिसाल पेश करते हुए गुरु साहिब को ग़लत ढंग से पेश करने की कोशिश की. महज कुछ सरकारी फायदों के लालच में इस वयोवृद्ध को बिल्कुल याद नहीं रहा कि वो किस तरह दरगाह का सामना करेगा, जिसके लिए उसकी उड़ान किसी भी वक्त हो सकती है।
दिल्ली के बाला साहिब अस्पताल के लिए सिरसा की ओर से एक करोड़ रुपए देने के वादे पर सरदार सरना ने कहा कि कितनी भी बड़ी रकम क्यों ना हो वो DSGMC प्रधान की दुष्ट मानसिकता को नहीं धो सकती.
SADD प्रमुख सरना ने कहा, अगर दौलत ही ऐसा कर सकती तो रावण की पूजा की जा रही होती क्योंकि उसका सोने का साम्राज्य था. सिरसा ठगों की 'मलक भागो' बिरादरी से है. वो ज़मीनों पर कब्ज़ा हो या गुरु की गोलक हो, जहां जहां से भी हो सके पैसा लूटता है. उसके दुष्ट छल-कपट कहीं भी ईमानदार मेहनत के दशवंद की किसी भी परीक्षा को पास नहीं कर सकते।



Comments

Popular posts from this blog

सिंधी काउंसिल ऑफ इंडिया, दिल्ली एनसीआर रीजन ने किया लेडीज विंग की घोसणा

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ गोविंद जी द्वारा हार्ट एवं कैंसर हॉस्पिटल का शिलान्यास होगा

झूठ बोलकर न्यायालय को गुमराह करने के मामले में रिपब्लिक चैनल के एंकर सैयद सोहेल के विरुद्ध याचिका दायर