सांसद आदर्श ग्राम खनवाँ में मंत्रालय के सहयोग से एक पायलट सोलर चरखा प्रोजेक्ट प्रारम्भ

शब्दवाणी समाचार शनिवार 09 नवंबर 2019 (गिरिराज सिंह) ग्राम खनवाँ। स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व स्वावलंबन और देश प्रेम का प्रतीक महात्मा गांधी का चरखा आज 70 साल बाद अपने अभीष्ट को प्राप्त नहीं कर पाया। तकनीक और नवाचार की कमी रही। MGIRI, वर्धा द्वारा विकसित सोलर चरखे के मॉडल को अपनाते राज्य मंत्री, सूक्ष्म ,लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने अपने आदर्श ग्राम खनवाँ में मंत्रालय के सहयोग से एक पायलट प्रोजेक्ट प्रारम्भ कराया, जिसके अच्छे परिणाम सामने आए।
आज की तिथि में भारतीय हरित खादी ग्रामोद्योग संस्थान के तहत करीब 30 हजार वर्गफुट क्षेत्र में ट्रेनिंग-कम-प्रोडक्‍शन सेंटर में खादी की Ginning से लेकर RTW के उत्पादन तक सम्पूर्ण value chain की ट्रेनिंग उपलब्ध करायी जा रही है और PMEGP के तहत अब तक स्वीकृत 700 महिला आर्टिजन में से 520 आर्टिजन के घर पर सोलर चरखा कार्यरत हैं।



इस प्रोजेक्ट के impact निम्नलिखित रूप में सामने आये हैं :-
1. वर्तमान सोलर चरखे से ग्रामीण आर्टिजन को 4-5 हजार रुपये प्रति माह की आमदनी हो रही है, जो पूर्व से कार्यरत हस्तचालित NMC मॉडल की तुलना में 3-4 गुना है, जिससे आने वाले दिनों में प्रति आर्टिजन 9-10 हजार रुपये प्रति माह तक आमदनी सुनिश्चित करने की योजना है।
2. सोलर ऊर्जायुक्त उन्नत चरखे के मॉडल से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं/बुनकरों को वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध हुआ है। यार्न उत्पादन से लेकर RTW  के उत्पादन तक करीब 1100 परिवार इस प्रोजेक्ट से जुड़े हुए हैं और आने वाले दिनों में ग्रामीण आय में 10-12 करोड़ प्रति वर्ष तक की वृद्धि संभावित है।
3. सोलर चरखा प्रोजेक्ट के 1 चरखे से पूरी value chain में 10 रोजगार उत्पन्न करने की क्षमता है और इसको देखते हुए खनवाँ में वर्तमान कार्यरत TPC की सहायक यूनिट के रूप में ट्रेनिंग सेंटर हर 10 हजार की जनसंख्या के क्लस्टर में खोला जा रहा है। वर्तमान में 5 ट्रेनिंग सेंटर कार्यरत हैं तथा इस वर्ष के अंत तक 8-10 ट्रेनिंग सेंटर कार्यरत हो जाएंगे।
4. खादी का टेक्सटाइल सेक्टर में वर्तमान योगदान 1 प्रतिशत से भी कम है, वहीं हैण्डलूम का योगदान करीब 11 प्रतिशत है। इस प्रकार सोलर चरखे से उत्पादित यार्न, हैण्डलूम सेक्टर के लिए एक अनुपूरक के रूप में काम कर सकता है।
5. यदि भारत की वर्तमान जनसंख्या वृद्धि दर (प्रति वर्ष 2 करोड़) और प्रति व्यक्ति 25-32 मीटर प्रति वर्ष कपड़े की आवश्‍यकता को दृष्टिगत रखा जाए तो सोलर चरखा/करघा के माध्यम से इस प्रत्यक्ष मांग को सोलर वस्त्र के माध्यम से पूरा किया जा सकता है।
6. आदर्श ग्राम खनवाँ के बाद माननीय प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र के काकरहिया में भी ट्रेनिंग सेंटर प्रारम्भ किये गये हैं। खनवाँ प्रोजेक्ट की impact analysis को देखते हुए 500 संसदीय क्षेत्रों में क्लस्टर आधारित सोलर चरखा प्रोजेक्ट को roll out करने की योजना पर काम चल रहा है और जल्द ही इससे संबंधित प्रस्ताव को कैबिनेट के विचारार्थ रखा जाना है, जिसकी पूरी value chain से ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 5 करोड़ लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा।
7. सोलर चरखे का यह मिशन वस्तुतः परंपरागत चरखे को सोलर के माध्यम से Green energy के साथ युक्त करते हुए विकेन्द्रीकृत यार्न उत्पादन और RTW वस्त्र उत्पादन तक की पूरी value chain की कई विशिष्‍टताओं को समाहित किए हुए है, जिसकी ओर बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी तेजी से आकर्षित हो रही हैं। Raymond और डब्ल्यू ( w) जैसे ब्रांड का इस प्रोजेक्ट से जुड़ना इस बात का परिचायक है।




(लेखक भारत सरकार मैं सूक्ष्म ,लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री हैं।)


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