सुशासन के तौर-तरीके अमल में लाने के विषय पर दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन समाप्त
शब्दवाणी समाचार रविवार 17 नवंबर 2019 नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख में केन्द्र के समान सुशासन के बेहतर तौर तरीके अमल में लाने के विषय पर कल जम्मू शुरु हुआ दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन आज संपन्न हो गया। सम्मेलन का उद्घाटन पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डोनर), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन; परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. जितेन्द्र सिंह ने किया था। उद्धाटन सत्र में जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल श्री जी. सी. मुरमु, जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव श्री बी. वी. आर सुब्रह्मण्यम,डीओपीटी तथा डीएआरपीजी सचिव डा.सी चंद्रमौली,डीएआरपीजी के अपर सचिव श्री वी श्रीनिवास और कई अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारी मौजूद थे।
जम्मू में आयोजित समान सत्र में पिछले दो दिनों से जारी गहन विचार विमर्श के बाद एकमत से सुशासन संकल्प का प्रस्ताव पारित किया गया। सम्मेलन में यह संकल्प लिया गया कि भारत सरकार तथा इसमें भाग लेने वाले केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख प्रशासन के स्तर पर निम्न लिखित बातों का ध्यान रखेंगे:
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केन्द्र शासित प्रदेशों को कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के मामलें में डिजिटल प्रौद्योगिकि के उपयोग से प्रशासनिक उत्कृष्टता के मॉडल के रूप में विकसित करना;
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में पारदर्शी,जवाबदेह और जन केन्द्रित प्रशासन व्यवस्था के लिए सतत प्रयास करना
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में डिजिटल गवर्नेंस, जन केन्द्रित प्रशासन,नवाचार तथा क्षमता निर्माण के माध्यम से सरकार और नागरिकों के बीच संपर्क को और बेहतर करना
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में शासन और सार्वजनिक नीति के सर्वोत्तम परिणामों को हासिल करने के लिए सफल स्थानीय शासन की पहल को परिष्कृत और समेकित करना।
आवाज ए आम और सीपीजीआरएएमएस के बीच बेहतर समन्वय के माध्यम से जन शिकायत निवारण प्रणाली को और सक्षम बनाना ;
जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख में ई आफिस को प्रोस्ताहित करना तथा सचिवालय में दैनिक काम काज के लिए कागज के इस्तेमाल को खत्म करने की दिशा में चलना
जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों में क्षमता निर्माण तथा कार्मिक प्रशासन के गुणों को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यकता के अनुरूप मध्यावधि प्रशिक्षण कार्यक्रम की व्यवस्था करना
डिजिटल प्रशासन, जन केंद्रित शिकायत निवारण और आकांक्षी जिलों सहित राष्ट्रीय स्तरपर अमल में लाए गए नवाचारों और सर्वोत्तम प्रथाओं को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के संघ शासित प्रदेशों में लागू करना ताकि वहां स्वच्छ और पारदर्शी शासन व्यवस्था कायम की जा सके।
उपराज्यपाल के सलाहकार श्री के. के. शर्मा, डीएआरपीजी के अपर सचिव श्री वी . श्रीनिवास एआर तथा जम्मू कश्मीर के प्रधान सचिव श्री रोहित कंसाल, जीएडी के सचिव श्री फारूख अहमद लोन, डीएआरपीजी की संयुक्त सचिव सुश्री जया दूबे तथा कई अन्य अधिकरी सम्मेलन के समापन सत्र में मौजूद थे।
दो दिवसीय सम्मेलन में डिजिटल गवर्नेंस से लेकर क्षमता निर्माण तथा कार्मिक प्रशासन जैसे विषयों पर कई सत्र आयोजित किए गए।
सम्मेलन के उद्धाटन सत्र में लोक नीति और शासन विषय पर एक सत्र आयोजित किया गया। सत्र की अध्यक्षता करते हुए जम्मू कश्मीर के वित्त विभाग के आयुक्त श्री अरुण कुमार ने कहा कि सुशासन का सही अर्थ ऐसी शासन व्यवस्था से है जिसमें आम जनता और खास तौर से गरीब लोगों की बेहतरी सुनिश्चित की जा सके।
ई – विधान पर संसदीय कार्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव डा. सत्यप्रकाश ने ई विधान एप की खूबियां और लाभों पर प्रकाश डाला।
लोक निति पर डीएआरपीजी की संयुक्त सचिव जया दूबे ने कहा तकनीक में उन्नयन के लिए कानूनों में कुछ बदलाव जरूरी हैं।
डिजिटल गवर्नेंस पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता नगालैंड के प्रधान सचिव (आईटी) श्री के. डी. वीजो ने की।
अगले सत्र का आयोजन जन केन्द्रित शासन पर किया गया जिसकी अध्यक्षता जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल के प्रधान सचिव श्री बिपुल पाठक ने की। इसमें जन शिकायत निवारण प्रणाली को सशक्त बनाने पर कई प्रस्तुतियां दी गईं। आकांक्षी जिलों पर आधारित सत्र मे स्वास्थ्य और जल प्रबंधन जैसे विषयों पर गहन विचार विमर्श किया गया।
सम्मेलन के दूसरे दिन आज चयनित नवाचारों पर प्रस्तुतियां दी गईं। साथ ही क्षमता निर्माण और लोक प्रशासन जैसे विषयों पर विचार विमर्श किया गया
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