अब कंप्यूटर से नेविगेट ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी : डा संजय अग्रवाला
शब्दवाणी समाचार मंगलवार 21 अप्रैल 2020 नई दिल्ली। शरीर के जोड़ों में आथ्र्राइटिस या सूजन की स्थिति व्यक्ति को बहुत दुर्बलता पूर्ण हो सकती है।गंभीर विकृति को विकलंाग व जीवन को बहुत बुरा बना देती है।आथ्र्राइटिस के बहुत से कारण हैं:-उम्र से संबंधित वीयर एंड टीयर (ओसटियोआथ्र्राइटिस),इंफलैम्मेटरी आथ्राईटिस(रूमैटॉइड),यूरिक-एसिड से संबंधित आथ्र्राइटिस (गाउट),एंकाइलोसिंग स्पोंडिलाइटिस और पोस्ट-टरोमैटिक आथ्र्राइटिस।यह सभी क्रियाओं व गतिविधियों की कमी के साथ ज्वाइंट में बहुत प्रमुख रूप से विकृति पहुंचा सकते हैं।
उचित खान-पान,स्वस्थ जीवन और शारीरिक क्रियाओं के लिए निवारण केंद्र है।प्रारंभिक स्तर पर,आथ्र्राइटिस का साधारणत: दवाओं व व्यायामों के साथ उपचार किया जाता है और कभी-कभी एक छोटी-सी सर्जरी (आर्थोस्कोपी)भी की जाती है, ज्यादा गंभीर रूप से नष्टï हुए ज्वाइंट्ïस के लिए ज्वांइट रिप्लेंसमेंट सर्जरी करनी पड़ती है ताकि व्यक्ति एक बेहतर जीवन जी सके। मुंबई स्थित पी डी हिंदुजा हास्पिटल के वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन डा।संजय अग्रवाला के अनुसारआथ्र्राइटिस के साथ व्यक्ति पहले से ही इस स्थिति के साथ असंतुष्टï होते हैं।ऐसे में वह एक सही सर्जन व अस्पताल को चुनने में कठिनाई महसूस करता है।ज्वांइट रिप्लेसमेंट सर्जरी के साथ संबंधित विभिन्न डर व मंनगठंत कहानियां जैसे यह कार्य नहीं करता,नष्टï होने का जोखिम ,इंफैक् शन का डर ,निरंतर दर्द,विकृति का अपूर्ण इलाज आदि जिसके कारण मरीज को तनाव व दु:ख होते हैं।
हिप व घुटनों की रिप्लेसमेंट सर्जरी के दौरान सुधार में शल्य गलती होना हिप व धुटनों की रिप्लेसमेंट सर्जरी के सफल होने का सबसे सामान्य कारण है।अंगों के अनुचित गहराई की प्लेसमेंट,अपर्याप्त स्नायु संंतुलन,और हड्डिïयों का अपूर्ण विनाश प्रारम्भिक व मध्यावधि में नष्टï तथा अंगों का शिथिलन हो सकता है।
अब इस नए युग के कंप्यूटर नेविगंटिड हिप व नी रिप्लेसमेंट द्वारा इस त्रुटि से निवारण मिल गया है।सूक्ष्मता कंप्यूटर के साथ सर्मथ होकर एक डिग्री व 0।1 मिली मी के सामंजस्य से न्यूनतम सूक्ष्म गणना करता है।कंप्यूटर नेविगेडिट आर्थोपेडिक सर्जरी की धारणा में हड्डिïयों का आकार व रेखागणित के वास्तविक मूल्यांकन सम्मिलित हैं,और विभिन्न हड्डिïयों की तात्कालिक एडज्सटमेंट सभी अंगों के पूर्ण उपयुक्त लाभ के लिए काटने की जरूरत होती है।सर्जरी के दौरान हर समय तीन विमितीय प्रतिमाएं उपलब्ध होती हैं जो सही स्थिति को पुन:स्थापित करने तथा सही कट लगाने में ओपरेटिंग टीम का निर्देशन करते हैं।
इसके अतिरिक्त कंप्यूटर द्वारा व्यक्ति में परिवर्तन जैसे नाप,आकार ,संरेखण सतह आदि पहचानी जाती है और उपयुक्त संशोधन का सुझाव दिया जाता है।वास्तविक शल्य चिकित्सक सर्जन स्वयं होता है,लेकिन कंप्यूटर इमेज संरेखण व मिनट करेक् शन उपलब्ध करता है, इसके फलस्वरूप ,प्रत्यारोपण लंबे समय तक ,कठिन केसों में शल्य क्रिया का समय कम होना,चीरे का नाप छोटा होना और मानव त्रुटि का न्यूनतम होना।अतिरिक्त रूप से,यह सिस्टम हड्डिïयों के मिडलरी केनाल के प्रारंभ से बचना ,डीप वेन थ्रोमबोसिस की संभावना कम होना और घातक पलमोनरी एंबोलिज्म को भी न्यूनतम कर देता है।
कंप्यूटर विभिन्न डिजाइनों, विभिन्न प्रत्यारोपण पद्घतियां और विभिन्न शल्य क्रिया की प्रक्रियाओं के एडजस्ट कर सकता है।यह प्रक्रिया देश भर में पिछले चार सालों से ज्वाइंट रिप्लसमेंट सर्जरी(आंशिक,कुल और पुन: सतह पर ),न्यूरो सर्जरी ,स्पाइन सर्जरी और यहां तक कि फै्रक्चर का स्थायीकरण त्रूटि रहित उपलब्ध कराई जा रही हैं।
आमतौर पर आथ्र्राइटिस के बारे में कई गलत धारणाएं प्रचलित हैं। आमतौर पर लोग पूरी जानकारी न होने के कारण शरीर में हड्डिïयों या मांसपेशियों में हर दर्द को आथ्र्राइटिस मान लेते हैं। जोड़ों में होने वाले शोध या जलन को आथ्र्राइटिस कहा जाता है और इससे शरीर के केवल जोड़ ही नहीं बल्कि कई अंग भी प्रभावित होते हैं। इससे शरीर के विभिन्न जोड़ों पर प्रभाव पड़ता है।
यदि आथ्र्राइटिस के कारण घुटना एकदम बेकार हो जाए और व्यक्ति चलने-फिरने में असमर्थ हो जाए तो घुटना बदलना ही सर्वोत्तम उपाय है। इस ऑपरेशन की सफलता दर काफी अच्छी है। ऑपरेशन के बाद न दर्द सताता है और न चलने-फिरने के लिए किसी का मोहताज नहीं बनना पड़ता है। कृत्रिम जोड़ ऐसे प्राकृतिक पदार्थों के बनाए जाते हैं जिसे शरीर आसानी से ग्रहण कर लेता है। इसका कोई विपरीत प्रभाव या इससे एलर्जी नहीं होती है। यह कृत्रिम टाइटेनियम और हाइग्रेड स्टेनलेस स्टील व पॉलीइथाइलीन के मिश्रण से तैयार किए जाते हैं। यह जोड़ 15-20 वर्ष बाद थोड़े ढीले पड़ जाते हैं। इस समस्या को दोबारा ऑपरेशन करके दूर किया जा सकता है।
घुटनों और कुल्हे की परेशानी बड़ी उम्र के व्यक्तियों में बहुत आम तौर से देखी जाती है। ये दोनों परेशानियां हैं तो आम परन्तु साधारण नहीं है। यदि किसी को ये दोनों परेशानियां लग जाएं तो वह लगभग असक्षम जैसा हो जाता है। किसी भी तरह का कार्य करना उसके लिए मुश्किल होता है। कभी-कभी तो व्यक्ति के जमीन पर घिसटने की नौबत आ जाती है। परन्तु घुटने और कुल्हे बदलवाने के पश्चात व्यक्ति ऑप्रेशन के एक सप्ताह बाद ही अपने घर जा सकता है। सिर्फ उसे ऑप्रेशन के बाद कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ता है। ऑप्रेशन के बाद डॉक्टरों द्वारा बताए गए कुछ व्यायामों को नियमित ओर सही रूप से करने से आप अगले 15 वर्षों के लिए निश्चित हो सकते हैं। हालांकि बड़ी उम्र में सर्जरी के कारण व्यायामों के समय सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। खास तौर से कूल्हे बदलवाने की सर्जरी के बाद के व्यायाम बहुत ही धीरे और प्रशिक्षक की नागाहों के सामने होना चाहिए।
बूढ़े हो रहे व्यक्तियेां में यह धारणा होती है कि यह जोड़ बदलवाने के लिए उनकी उम्र निकल चुकी है। 60 वर्ष की उम्र पार कर चुके अधिकांश व्यकित यह यही सोचते हैं कि इस बुढ़ापे में इतनी महंगी शल्य क्रिया उन्हें शोभा नहीं देती। परंतु यह गलत सोच है। प्रथम तो यह कि इस प्रकार की शल्य क्रिया के लिए उम्र किसी प्रकार भी बाधक नहीं है। और दूसरी बात यह है कि खराब हो चुके जोड़ों को बदलवाने के पश्चात्ï जीवन स्तर में सुधार होता है। डा। अग्रवाला सुझाव देते हैं कि यह ठीक है कि अब कृत्रिम जोड़ों का प्रत्यारोपण संभव हो गया है। लेकिन यदि आप प्रौढ़ावस्था में हड्डिïयों के रोगों से बचना चाहते हैं तो अपनी जीवन चर्या में थोड़ा सुधार कर लें। घी, चीनी, चिकनाई कम खाएं, संतुलित आहार लें। खाने में कैल्शियम की मात्रा पर्याप्त रखें, साग-सब्जी अवश्य खाएं और थोड़ा बहुत व्यायाम करें तो सेहत के लिए फायदेमंद होगा। महिलाओं के लिए चिकित्सों की सलाह है कि मोटापे से बची रहें और उठने-बैठने की आदत में सुधार करें ताकि घुटनों पर ज्यादा जोर न पड़े।
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