गौतम नवलखा की जमानत याचिका पर तत्काल सुनवाई चिन्ता जनक : दारा सेना


शब्दवाणी समाचार, वीरवार 28 मई 2020, नई दिल्ली। धर्मरक्षक श्री दारा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुकेश जैन की अध्यक्षता में सामाजिक दूरी बनाकर की गयी चुनिन्दा हिन्दू संगठनों की बैठक में गौतम नवलखा जैसे खूंखार नक्सली ईसाई आतंकवादी की जमानत याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा तत्काल सुनवाई करना चिन्ता जनक बताया और महामहिम राष्ट्रपति जी से अनुरोध किया कि वें सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को नक्सली ईसाई आतंकवादी गिरोह के रजिस्ट्रार और सैक्रेट्ररी जनरल से तत्काल मुक्त कराने की कृपा करें।



 बैठक में दारा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुकेश जैन ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की हत्या की साजिश और भीमा कोरेगांव मामले में महाराष्ट्र की पुणे पुलिस द्वारा दर्ज मुकदमें में 2 महीने पहले ही गौतम नवलखा और आनन्द तेलतुम्बड़े को गिरफ्तार किया गया था। जिसके द्वारा दर्ज गैर जरूरी जमानत याचिका पर कोरोना काल में भी दिल्ली उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री ने तत्काल सुनवाई करायी जबकि यह मामला महाराष्ट्र का होने के कारण  दिल्ली उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इतना ही नहीं न्यायमूर्ति अनूप जे. भंभानी ने भी इस याचिका पर वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिये सुनवाई करके राष्ट्रीय जांच ऐजेन्सी को नोटिस भी जारी कर दिया जबकि इस तरह के संवेदनशील मसले पर खुली अदालत में ही निर्णय लिया जा सकता हैं। क्योंकि खुली अदालत में लिये गये फैसले में जजों द्वारा उस फिरोती को लेने की सम्भावना कम रह जाती है जिसके बारे में पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री रंजन गोगई ने हाल ही में बताया था।  


वीडियों कान्फ्रेसिंग के जरिये आतंकवादी और देशद्रोही गौतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई करना और उसे राहत देने की कौशिश करने से साफ जाहिर है कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय आज भी दीपक मिश्रा, जगदीश सिंह खेहर, ए पी शाह, एस मुरलीधर, प्रशांत भूषण, दुष्यन्त दवे, कामिनी जायसवाल, इन्दिरा जय सिंह जैसे नक्सली आतंकवादी गिरोह के जजों और वकीलों के चुंगल में फंसा हुआ है जिन्होंने 2 साल तक इन देशद्रोहियों को गिरफ्तारी से बचाये रखा।  हिन्दू संगठनों ने सरकार और महामहिम राष्ट्रपति जी से अनुरोध किया कि वें मुम्बई उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करके दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा गौतम नवलखा की गैर जरूरी जमानत याचिका पर तत्काल सुनवाई करने और करवाने वाले जजों और रजिस्ट्रार को आतंकवादियों की अनुचित तरीके अपनाकर मदद करने के आरोप में गिरफ्तार करके नक्सली आतंकवादियों के गिरोह के एक्टिविस्ट जजों का भंडाफोड करें जिसके बारे में भी पूर्व मुख्य न्यायाधीश और राज्य सभा सांसद श्री रंजन गोगई ने हाल ही में बताया था।


हिन्दू संगठनों ने सरकार को सतर्क किया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी जिन दिशा निर्देशों के अनुसार कानून मंत्रालय व सरकार द्वारा जजों की नियुक्ति की जा रही है उनका कुछ भी कानूनी वजूद नहीं है क्यों कि संविधान के अनुच्छेद 145.1 के तहत इन दिशा निर्देशों को लागू करने के लिये सर्वोच्च न्यायालय ने आज तक महामहिम राष्ट्रपति जी से स्वाकृति प्राप्त नहीं की और इस स्वीकृति के बिना सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी जजों की नियुक्ति के लिये दिये ये दिशा निर्देश कूड़ा ही है।  हिन्दू संगठनों ने जजों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 124क में वर्णित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के जरिये कराने की मांग महामहिम राष्ट्रपति जी, प्रधानमंत्री जी और मुख्य न्यायाधीश से की जो आज भी उसी संविधान का हिस्सा है जिस पर हाथ रखकर इन्होंने शपथ ली ताकि सर्वोच्च और उच्च न्यायालय को फिरौती लेने वाले उन नक्सली आतंकवादी गिरोह के एक्टिविस्ट जजों से मुक्त किया जा सके जो हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहे नक्सली ईसाई आतंकवादियों को लगातार छोड़ रहे हैं।



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