हमीरपुर में मनरेगा मजदूरो के बजाय ग्राम प्रधान व् अधिकारियों के लिये अलादीन का चिराग
शब्दवाणी समाचार, बुधवार 27 मई 2020, (आशीष निगम), हमीरपुर। मनरेगा जैसी महत्वकाक्षी योजना ग्रामीण क्षेत्रो से हो रहे मजदूरों के पलायन को रोकने के लिये सरकार द्वारा लायी गयी थी। किन्तु यह योजना मजदूरो के बजाय ग्राम प्रधान सहित सम्बन्धित अधिकारियों के लिये अलादीन का चिराग बन चुकी है।वहीं बिना काम के ही कुछ लाभांश के बदले दर्ज मनरेगा जाब कार्ड धारक ग्राम प्रधान को अपना कार्ड जमानत के तौर पर गिरवी रखे रहते है। जबकि वास्तविक मजदूर ग्रामीण क्षेत्रो सहित शहरी गलियों मे धक्के खाने को मजबूर है।
वैसे तो मनरेगा का काम जेसीबी से कराकर मद का दुरूपयोग पूरे जनपद मे हो रहा है। किन्तु ताजा मामला फिलहाल मौदहा विकास खण्ड के ग्राम फत्तेपुरवा का प्रकाश मे आया है। यहां के सियाराम ने गांव के चकरोड सहित यहां तालाब खुदाई की तस्वीरे सोसल मी सोसल मीडिया मे वायरल करते हुये ग्राम प्रधान पर आरोप लगाये कि गांव मे होने वाले मनरेगा योजना के सभी कार्य जेसीबी से कराये जाते है। खदाई की मिटटी भी बेची जाती है। जबकि बिना काम के ही मनरेगा मे दर्ज चहीते मजदूरो को कुछ लाभांश देकर उक्त मद से निकला पैसा बन्दरबांट होता है। जिसके चलते शिकायत के बावजूद कहीं सुनवाई नही होती।
सियाराम ने बताया कि वह भाजपा मण्डल उपाध्यक्ष है व उक्त मामले ग्राम प्रधान को कई बार मना करते हुये मनरेगा का काम मजदूरो से कराये जाने की नसीहत कर चुका है किन्तु ग्राम प्रधान यह कहते हुये विरोध को अनसुना कर देता है कि कमाई का हिस्सा व अकेले नही रखता। उक्त मामले की शिकायत कई बार दूरभाष पर अधिकारियों से कर चुका है किन्तु यहां पर भी उसकी शिकायत को अनसुना कर दिया गया। ग्रामीण सियाराम का आरोप है कि कई चकरोड की खुदाई सहित गांव के तालाब मे लगातार मनरेगा के काम को जेसीबी से खुदाया जा रहा है। जिससे वास्तविक मनरेगा मजदूर काम के अभाव मे पलायन को मजबूर होकर शहरी गलियों के धक्के खाता है। ग्रामीण सियाराम ने मामले मे जांच उपरान्त दोषियो पर कार्यवाही की मांग की है। वहीं मोबाईल बन्द होने के चलते खण्ड विकास अधिकारी से उनका प़क्ष नही लिया जा सका। जबकि ग्राम विकास अधिकारी भगवान प्रसाद ने बताया कि मनरेगा से सम्बन्धित काम मजदूरो से ही कराये जा रहे है। इस समय मनरेगा को कोई काम नही हो रह।
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