कोविड-19 के दौरान ट्रेल किस तरह ग्रामीण भारत में ऑनलाइन सामग्री की मांग बढ़ाया 


शब्दवाणी समाचार, शनिवार 30 मई 2020, नई दिल्ली। हाल के वर्षों में ऑनलाइन सामग्री की मांग में उछाल देखा गया है, खासकर वीडियो के रूप में। 2019 तक भारत में 574 मिलियन से अधिक सक्रिय इंटरनेट यूजर थे और 2020 के अंत तक यह 639 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है। इसके बावजूद बहुत से लोग अभी भी अपनी भाषा में सार्थक सामग्री का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। इसकी वजह है वर्तमान में भारतीय की ओपिनियन लीडर्स (केओएल) का एक बहुत ही छोटा खंड (4%) भाषाई उपभोक्ताओं (लगभग 80%) के एक विशाल हिस्से की खपत की जरूरतों को पूरा कर रहा है। यह असमानता स्थानीय रचनाकारों में सामग्री बनाने बनाने और साझा करने के लिए जागरूकता के साथ-साथ संसाधनों की कमी की वजह से है।
लेकिन अब, प्रसिद्ध गायक-गीतकार बॉब डिलन के शब्दों में, वक्त बदल रहा है।



ग्रामीण सामग्री खपत चक्र में बदलाव
महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के बीच ऑनलाइन सामग्री की खपत में वृद्धि हुई है, विशेषकर भारत के ग्रामीण हिस्सों में। अधिकांश के लिए, यह बदलाव नए युग के विजुअल कंटेंट जनरेशन और शेयरिंग प्लेटफार्मों के सामने आने से हुआ है। ऐसा ही एक उदाहरण है -ट्रेल। यह एक प्रमुख समुदाय-आधारित मंच है जो क्षेत्रीय भारतीय भाषाओं में यूजर-जनरेटेड ओरिजिनल कंटेंट के माध्यम से जीवनशैली खोज को सक्षम बनाता है।
अपनी स्थापना के बाद से यह प्लेटफार्म देशभर में स्थानीय उपभोक्ताओं के मनोरंजन की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। आइए देखें कि ग्रामीण संदर्भ में ट्रेल वीडियो सामग्री उपभोक्ताओं और रचनाकारों की कल्पना को कैसे पकड़ रहा है…
आसान पहुंच
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले साल शहरी इलाकों में 205 मिलियन सक्रिय यूजर्स की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में 227 मिलियन सक्रिय इंटरनेट यूजर थे। ऐसे में ट्रेल ने देख लिया था कि इस क्षेत्र में बदलाव को हवा देने के लिए माकूल परिस्थितियां हैं।  नतीजतन, ट्रेल प्लेटफॉर्म अब टियर-2, टियर-3 और टियर-4 शहरों से 78% से अधिक उपभोक्ताओं का दावा करता है।
कंटेंट व्यवस्ता में बड़ा बदलाव
संचार के अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में लोग मुख्य रूप से मनोरंजन प्रयोजनों के लिए इंटरनेट का उपयोग करते हैं। इस वजह से गुणवत्ता वाली ग्रामीण सामग्री की मांग आसमान छू गई है। इसका मतलब यह है कि ऑनलाइन सामग्री पर काम करने वाले सामग्री रचनाकारों और ब्रांड्स को विभिन्न स्वाद और वरीयता का ध्यान रखते हुए अपनी ऑफरिंग्स को बढ़ाने की आवश्यकता है और ट्रेल आवश्यकताओं के अंतर को ठीक कर रहा है।
वीडियो ब्लॉगिंग प्लेटफ़ॉर्म हर आकांक्षी भारतीय को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है, चाहे उनकी भाषाई पृष्ठभूमि कुछ भी हो। वे समान विचारधारा वाले व्यक्तियों के समुदाय के साथ संबंधित सामग्री साझा कर सकते हैं और अपने स्वयं के अधिकारों से "की ओपिनियन लीडर" के रूप में उभर सकते हैं। मोबाइल फोन के तौर पर उनके पास अपनी पसंद का उपकरण है जो उन्हें क्षेत्रीय भाषाओं में आकर्षक वीडिोय सामग्री सामग्री देखने के साथ-साथ बनाने का मौका भी देता है और इस यूजर-बेस ने ट्रेल को कहानी सुनाने के लिए अपने पसंदीदा प्लेटफार्म के तौर पर अपनाया है।
वर्तमान में भारत में इंटरनेट की पैठ 40% है और ग्रामीण सामग्री के लिए डिमांड और सप्लाई का चक्र बहुत बड़ा है। इसलिए, देश में ऑनलाइन सामग्री उद्योग में प्रगति की अपार संभावनाएं हैं। और ट्रेल, अपने इनोवेटिव वैल्यू प्रपोजिशन के सहारे इस बदलाव का लाभ उठाने के लिए प्रतिबद्ध है।



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