अर्थव्यवस्था में तेज सुधार की उम्मीदों के कारण सोने की कीमतों में गिरावट : प्रथमेश माल्या


शब्दवाणी समाचार, बुधवार 10 जून 2020, नई दिल्ली। लोगों की सेहत की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मैन्युफैक्चरिंग और उत्पादन यूनिट को फिर से शुरू कैसे किया जाए, यह अब भी विश्वभर की सरकारों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। विश्व की आबादी को बचाने के लिए टीका बनाने की होड़ के बीच कई देशों में कोरोवायरस की अगली लहर का डर बना हुआ है।
गोल्ड
लॉकडाउन संबंधी नियमों में ढील और विश्वभर के कई इंडस्ट्री के दोबोरा शुरू होने के कारण निवेशकों द्वारा जोखिम भरा निवेश किया गया है, जिसके चलते पिछले सप्ताह स्पॉट गोल्ड की कीमत में प्रति आउंस 2.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव के कारण अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीदें पर काले बादल छाए हुए हैं, जिसके कारण सोने की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है।



कई व्यापारिक गतिविधियां शुरू होने के कारण अमेरिका में बेरोजगार लोगों की संख्या में कमी देखने को मिली है।  हालांकि, अप्रैल 2020 में अमेरिका के व्यापारिक घाटे में बढ़ोतरी देखने को मिली है, जो कोरोना वायरस के बड़े प्रभाव का संकेत दे रहा है और यह बाजार के लिए भारी पड़ सकता है। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के निर्यात में कमी इशारा कर रही है कि अर्थव्यवस्था की हालत सुधरने में अपेक्षा से ज्यादा समय लग सकता है। इसके कारण सोने की कीमतों में और गिरावट की आशंका सीमित हो गई है।
सिल्वर
गुरुवार को स्पॉट सिल्वर 2.63 फीसदी गिरकर प्रति आउंस 17.4 डॉलर के करीब बंद हुआ। एमसीएक्स की कीमत में करीब 5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह 47,351 रुपए प्रति किलोग्राम के भाव पर बंद हुआ।
क्रूड ऑयल
वैश्विक मांग बढ़ने की उम्मीदों के चलते बाजार में तेजी देखने को मिली, जिसके कारण पिछले सप्ताह डब्ल्यूटीआई क्रूड की कीमतों में 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी देखने को मिली है। एनर्जी इनफॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अमेरिका में क्रूड ऑयल के भंडार में 21 लाख बैरल की कमी आई है, जिसके कारण क्रूड ऑयल की कीमत में इजाफा देखने को मिला है।
ओपेक और रूस द्वारा कच्चे तेल के अत्यधिक उत्पादन में जुलाई 2020 तक रोक लगाने की सहमति बनने के कारण भी क्रूड ऑयल की कीमतों को बल मिला है। सऊदी अरब ने भी इस समझौते के बाद क्रूड ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी की है।
बेस मेटल
चीन की सर्विस इंडस्ट्री में तेजी के कारण इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में मांग बढ़ी है, जिसके चलते पिछले सप्ताह लंदन मेटल एक्सचेंज में बेस मेटल के भाव तेजी के साथ बंद हुए।
यूरोपियन सेंट्रल बैंक और जर्मनी की सरकार द्वारा पेश की गई सुधारवादी व प्रोत्साहन भरी योजना और अमेरिकी डॉलर में गिरावट के कारण भी बेस मेटल की कीमतों को बल मिला है। हालांकि हेज फंड अब भी इंडस्ट्रियल मेटल में बड़ी पोजिशन बनाने के इच्छुक नहीं हैं। इसके कारण बाजार में आगे बढ़ोतरी की संभावनाएं सीमित हैं।
कॉपर
यूरोपियन सेंट्रल बैंक द्वारा पेश की गई सुधार योजना और चीन में व्यापारिक गतिविधि तेज होने की उम्मीदों के कारण पिछले सप्ताह लंदन मेटल एक्सचेंज और एमसीएक्स में कॉपर की कीमतों में 5 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी देखने को मिली थी। हालांकि, यह देखना बाकी है कि दुनियाभर की सरकारें कितने प्रभावी रूप से बेरोजगारी और गरीबी की समस्या का सामना करती हैं। उम्मीद है कि लॉकडाउन के नियमों में ढील के बाद दुनिया फिर से सामान्य जीवन की ओर लौटेगी।



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