15 अगस्त को नारीवादी पूछे, "क्या हम सच में 'आज़ाद' हैं?


शब्दवाणी समाचार, रविवार 16 अगस्त 2020, नई दिल्ली। 15 अगस्त, 2020: भारत के 74वें स्वतंत्रता दिवस पर, हम राष्ट्र में 'स्वतंत्रता' की स्थिति पर व्यथित हैं। लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध नारीवादियों के तौर पर हम प्रश्न करते हैं कि, "वास्तविक स्वतंत्रता कहाँ है? नागरिकों के सोचने, बोलने, लिखने, शिक्षत होने, संगठित होने, असहमति व्यक्त करने, आंदोलन, विरोध, या सवाल करने की वास्तविक स्वतंत्रता कहाँ है?
2019 के अंत से लेकर, 2020 की शुरुआत तक, भारत और विश्व भर ने 100 से अधिक दिनों तक एक जीवंत, शांतिपूर्ण, नारीवादी, व्यापक नागरिकों का आंदोलन देखा, जो कि भारत सरकार की अत्यंत भेदभावपूर्ण CAA - NRC - NPR परियोजना के खिलाफ एक विविध, समतावादी और न्यायपूर्ण भारत की कल्पना का प्रदर्शन था। इस के लिए राज्य द्वारा देश के तमाम हिस्सों में क्रूर कार्रवाई की गई, खासकर दिल्ली में, जिसने मुख्य रूप से मुस्लिम आबादी को ल क्षत करते 40 सालों में सबसे ख़राब 'दंगों' का दंश झेला।



आज दिल्ली सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों, विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों, वकीलों, मीडियाकर्मियों आदि के ख़िलाफ़ पूछताछ, गिरफ्तारी, उत्पीड़न द्वारा व्यवस्थित हमले का भी केंद्र बन गया है। इसका उद्देश्य केवल विरोध के स्वरों को दबाना नहीं है, बल्कि उन सभी समुदायों/लोगों में भय पैदा करना है जिन्होंने हमेशा से लोकतांत्रिक अधिकारों, संवैधानिक मूल्यों, समानता, विविधता, बहुलवाद, न्याय और शांति के लिए आवाज़ उठाने की जुर्रत की है। ये हमले राज्य, दिल्ली पुलिस और मीडिया के निहित स्वार्थ द्वारा भ्रामक सूचनाएं फैलाते अभियानों से समर्थन पाते हैं।
तथ्यों को झूठे आख्यानों में बदल दिया जाता है, शांतिवादी हिंसा के दोषी ठहरा दिये जाते हैं, जबकि हिंसा भड़काने और उसे अंजाम देने वाले बिना किसी कार्यवाही खुले घूम रहे हैं। यह अनगिनत उदाहरणों द्वारा दर्शाया जा सकता है जिसमें से केवल तीन का हम यहाँ हवाला दे रहे हैं 
(1) 8 जुलाई 2020 : स्पेशल सीपी (क्राइम एंड इकनोमिक ऑफेन्सेस विंग) प्रवीर रंजन, "खुफिया जानकारी" का हवाला देते हैं कि पूर्वोत्तर दिल्ली में दंगा प्रभावित क्षेत्रों के "कुछ हिंदू युवाओं" की गिरफ्तारी के कारण "हिंदू समुदाय के बीच नाराजगी का माहौल है" और गिरफ्तारियाँ करते समय "सावधानी बरती जानी चाहिए", और जांच अधिकारियों को "उपयुक्त" रूप से निर्देशित होना चाहिए।
(2) 8 अगस्त, 2020 : भजनपुरा पुलिस स्टेशन में तीन महिला निवासियों को पीटा गया और उनमें से 17 साल की एक लड़की के साथ पुलिस ने यौन उत्पीड़न किया। उन्होंने 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर के 'भूमि पूजन' समारोह के दौरान पड़ोसियों द्वारा दी गयी सांप्रदायिक गालियों और नारों के बारे में शिकायत दर्ज की थी। वे इस मामले में FIR दर्ज करने की गुहार लेकर दोबारा थाने पहुंचे थे, जब उन पर यह हमला हुआ।
(3) 11 अगस्त 2020 : उत्तर पूर्वी दिल्ली में पुलिस की मौजूदगी के बीच पत्रकारों की एक टीम को हिन्दुओं की एक भीड़ ने घेर लिया, और बदसलूकी व मार-पिटाई की। उन्हें उस फुटेज को डिलीट करने के लिए मजबूर किया गया, जो उन्होंने 5 अगस्त को इलाके में हुई सांप्रदायिक हिंसा की एक कहानी दिखाते हए शूट किया था। टीम की महिला कर्मचारी पर समूह द्वारा शारीरिक और यौन हमला किया गया।



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