कीटनाशक प्रबंधन विधेयक 2020 में किसान संघ के सुझावों को शामिल करने की अपील


शब्दवाणी समाचार, बुधवार 23 सितम्बर 2020, नई दिल्ली। बजट सत्र के दौरान राज्य सभा में प्रस्तुत किया गया कीटनाशक प्रबन्धन विधेयक 2020 (पीएमबी– Pesticides Management Bill 2020) सरकार के लिए ऐसा अवसर है, जिसके द्वारा कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। सरकार को इसके लिए नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चर साइन्सेज (एनएएएस) और ट्रस्ट फॉर एडवान्स्मेन्ट ऑफ एग्रीकल्चर साइन्सेज़ (टीएएएस) के विशेषज्ञों की सलाह लेनी चाहिए, कृषि समुदाय सहित सभी हितधारकों की सलाह से इस विधेयक के तैयार किया गया कीटनाशक प्रबन्धन विधेयक 2020 (पीएमबी– Pesticides Management Bill 2020 ) 2008 से लंबित है। यह पुराने कीटनाशक अधिनियम, 1968 को प्रतिस्थापित करेगा। आधुनिक कीटप्रबंधन विज्ञान में हुई प्रगति तथा हमारे भोजन, पोषण सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर सिंथेटिक कीटनाशकों के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए कीटनाशक प्रबन्धन विधेयक 2020 (पीएमबी– Pesticides Management Bill 2020) भारत के कीटनाशक क्षेत्र को नए विश्वस्तरीय नियमों तथा सशक्त विनियामक प्रणाली के अनुरूप बनाएगा।
डॉ आर.बी. सिंह, पूर्व अध्यक्ष, नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चर साइन्सेज (एनएएएस) ने कहा, “मौजूदा रूप में पीएमबी वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित नहीं है और किसानों की समस्याओं को हल नहीं करता है। ऐसे में वैज्ञानिक एवं विशेषज्ञ इस विधेयक को इसी प्रारूप में स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। इसे संसद की स्थायी समिति के समक्ष समीक्षा के लिए प्रस्तुत किया जाना चाहिए और इसे अंतिम रूप देने से पहले विभिन्न हितधारकों के सुझावों पर विचार करना चाहिए। माननीय प्रधानमंत्री जी के दृष्टिकोण के अनुरूप 2025 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था तथा 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य तय किया गया है। जो सिर्फ तभी संभव है अगर पुराने नियमों के बजाए आधुनिक वैज्ञानिक प्रमाणों को ध्यान में रखते हुए कानून बनाए जाएं। हमारे पूर्व माननीय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई ने 2002 में नई दिल्ली के आईएआरआई में आयोजित नेशनल साइन्स कॉन्ग्रेस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री ला के जय जवान, जय किसान के नारे में जय विज्ञान का नया नारा भी शामिल किया। इसके बाद हमारे मौजूदा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इसे जय अनुसंधान के साथ विस्तारित किया, कितु दुर्भाग्य से पीएमबी 2020 में विज्ञान और अनुसंधान का कोई प्रावधान नहीं है, जिसके बिना देश अपने लक्ष्यों को हासिल नहीं कर सकता।



श्री भुपिन्दर सिंह मान, राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय किसान समन्वयन समिति और राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय किसान संघ ने कहा, “पीएमबी 2020 पुराने कीटनाशक अधिनियम को प्रतिस्थापित करने का उत्कृष्ट अवसर है, किंतु दुर्भाग्य से इसने फिर से किसानों के हितों को पीछे छोड़ दिया है। यह कृषि क्षेत्र की कुछ लंबित मांगों को पूरा करने का वादा करता है। ऐसे में यह जरूरी है कि यह विधेयक मौजूदा विनियामक प्रणाली में उचित फेरबदल कर किसानों को गुणवत्तापूर्ण तरीकों से फसल सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीके अपनाने का अधिकार दे। कीटनाशकों के लिए नई तकनीकों, डेटा सुरक्षा, बायो-सीड के उपयोग, आधुनिक तकनीकों के अपग्रेडेशन द्वारा कृषि क्षेत्र में अनुकूल बदलाव लाए जा सकते हैं।
उन्होनें अपनी बातको जारी रखते हुए कहा, “पीएमबी 2020 बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कीटनाशकों और उनकी हैण्डलिंग से जुड़े कई मुद्दों को हल करता है, उन्हें कीटनाशकों, इनसे संबंधित जोखिम एवं विकल्पों के बारे में हर जरूरी जानकारी देता है। दुनिया भर में उपलब्ध कुल 1125 में से सिर्फ 292 कीटनाशक ही पंजीकृत हैं, जबकि हमारे पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान और वियतनाम में 500 से अधिक कीटनाशक हैं, ऐसे में हमारे किसानों के पास सीमित विकल्प रह जाते हैं।




 


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