मिराकल्स मेडीक्लिनिक ने महिला के अंदर से 1.5 किग्रा फ़ाइब्रोइड को निकाला

•  महिला के होम टाउन के डाक्टरों ने उसे ओपन सर्जरी के लिए रिकमेंड किया था और उसे ह्य्स्तेरेक्टोमी (यूटेरस को हटाने) के लिए काउंसल किया था

•  महिला और बच्चे पैदा करना चाहती थी इसलिए उसके युटेरस को बचाना महत्वपूर्ण था। महिला अब एक साल बाद गर्भवती हो सकती है

•  फ़ाइब्रोइड होने की घटना शहरों और आसपास के क्षेत्रों में बढ़ रही है डॉ अमिता शाह के मुताबिक ख़राब लाइफस्टाइल, शादी देर से होने और बहुत देर में गर्भधारण करना इस समस्या की जड़ है

शब्दवाणी समाचार, वीरवार 24 दिसंबर  2020गुरुग्राम। ओपन सर्जरी के विरुद्ध कार्यवाई करते हुए गायनेलॉजिकल सर्जन डॉ अमिता शाह ने मिराकल्स मेडीक्लिनिक एंड अपोलो क्रेडल हॉस्पिटल, गुरुग्राम में सफलतापूर्वक फुटबाल के आकर का फ़ाइब्रोइड निकाला। इसका वजन लगभग 1.5 किग्रा था। इसे लैप्रोस्कोपी से बैंगलोर की एक 37 वर्षीय महिला के अंदर से निकाला गया। इसे हटाने की प्रक्रिया को म्योमेक्टोमी के नाम से जाना जाता है जिसे पिछले महीने किया गया। इस सर्जरी को करने के बाद महिला अब बच्चे पैदा करने की अपनी इच्छा को एक साल बाद पूरा कर सकती है। 



मिराकल्स मेडीक्लिनिक एंड अपोलो क्रेडल हॉस्पिटल, गुरुग्राम के ऑब्सटेरिक्स और मिनिमली इनवेसिव गायनेकोलजी हेड और मेडिकल डायरेक्टर डॉ अमिता शाह ने कहा, "महिला पिछले कुछ महीनों से पेट के नीचे भारीपन से पीड़ित थी और पीरियड के दौरान काफी खून बहता था। अल्ट्रासाउंड के बाद वह यूटेरस में फ़ाइब्रोइड से डायग्नोज्ड की गयी। महिला के होम टाउन (बैंगलोर) के डाक्टरों ने उन्हें ओपन सर्जरी के लिए रिकमेंड किया था और उसे ह्य्स्तेरेक्टोमी (यूटेरस को हटाने) के लिए काउंसल किया था। वह गुरुग्राम में अपने एक रिश्तेदार के घर आयी थी और उसके रिश्तेदारों उसे मुझसे मिलने को कहा।  2 घंटे लम्बी चली इस सर्जरी को पेट में 3 से 4 कट में पूरा किया गया। सर्जरी के अगले दिन ही उसे डिस्चार्ज किया गया और वह अपने होमटाउन 3 से 4 दिनों में चली गयी। महिला और बच्चे पैदा करना चाहती थी इसलिए उनके युटेरस को  बचाना महत्वपूर्ण था। हमने महिला को बताया  कि अब वह एक साल बाद गर्भवती हो सकती है।

यूटेरस को बचाना डॉ शाह का मोटो(लक्ष्य) रहा है क्योंकि यूटेरस महिला का आंतरिक हिस्सा होता है। मिनिमली इनवेसिव सर्जरी कई कई गायनेकोलोजिकल समस्याओं को हल कर सकती है। इसमें ओवेरियन क्रस्ट्स, एंडोमेट्रीओसिस, यूटेरस का प्रोलैप होना, युटरीन और ओवेरियन कैंसर, हिस्टेरेक्टॉमी और एक्टोपिक प्रेग्नेंसी जैसी अन्य समस्याएं। 

डॉ शाह ने आगे कहा, " फ़ाइब्रोइड होने की घटना शहरों और आसपास के क्षेत्रों में बढ़ रही है। ख़राब लाइफस्टाइल, शादी देर से होने और बहुत देर में गर्भधारण करना इस समस्या की जड़ है। फ़ाइब्रोइड  का इलाज करने के लिए कई नॉनसर्जिकल मेथड्स हैं जैसे कि युटरीन आर्टरी एम्बोलिसेशन।  यह मेथड उन महिलाओं को ऑफर किया जाता है जो बाद में बच्चे नहीं पैदा करना चाहती है। इसके अलावा  मायोमेक्टॉमी की तुलना में गैर-सर्जिकल ट्रीटमेंट में फ़ाइब्रोइड  की पुनरावृत्ति की संभावना अधिक होती है। लैप्रोस्कोपिक मायोमेक्टॉमी कम से कम एक इनवेसिव तकनीक द्वारा फाइब्रॉएड को हटाने के लिए की जाती है जो कई कारणों से ओपन सर्जरी से बेहतर विकल्प होता है: इसमें ओपन सर्जरी की तुलना में  बहुत ही कम चीर फाड़ की जरुरत होती है। जिसके कारण बाद में दर्द कम होता है, साथ ही तेजी से रिकवरी और कम से कम निशान और खून की कमी होती है। आज के समय में, लेप्रोस्कोपिक सर्जरी काफी हद तक सफल साबित होती है क्योंकि यह मैग्निफिकेशन के तहत किया जाता है।



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