क्रूड ऑयल ट्रेडिंग से मुनाफा कमाने के 5 तरीके

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गुलाबी आंदोलन भीख मांगने के विरुद्ध जन-जन को जागृत करने वाला राष्ट्रीय अभियान है इसलिए किसी अनजान भीख मांगने वाले को भीख दें ऐसा करने से फिर वो भीख नही ज्ञान मांगेगा

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शब्दवाणी समाचार,
रविवार 20 दिसंबर  2020, नई दिल्लीदुनियाभर में क्रूड को अक्सर काला सोना भी कहा जाता है और कुछ हद तक यह सही भी है। कीमती धातुएं, एग्री कमोडिटी, बेस मेटल्स जैसे सभी कमोडिटी में कच्चा तेल रोजमर्रा के व्यापार के लिए सबसे अधिक अस्थिर और परिणामी होता है। वैश्विक अर्थव्यवस्था इसके वितरण पर बहुत अधिक निर्भर करती है, खासकर प्रतिस्पर्धी तेल उत्पादक देशों के इकोसिस्टम के साथ-साथ जो देश पूरी तरह से इसके आयात पर निर्भर हैं, वहां की गतिविधियां इसकी कीमतों पर असर डालती हैं।

शेयर बाजार के मोर्चे पर कीमतों में अस्थिरता, एक कमोडिटी के रूप में कच्चे तेल की तरलता और विभिन्न अन्य कारक उतार-चढ़ाव में योगदान करते हैं, और यह सब मिलकर कच्चे तेल की कीमत पर असर डालते हैं। कच्चे तेल जैसे कमोडिटी के व्यापार से क्या उम्मीद की जाती है, यह जानने और इससे मुनाफा कमाने के लिए इन कारकों को समझना आवश्यक है। क्रूड की ट्रेडिंग से मौद्रिक लाभ प्राप्त करने के कुछ तरीकों के बारे में बता रहें हैं एंजल ब्रोकिंग लिमिटेड के नॉन एग्री कमोडिटी एंड करेंसी रिसर्च एवीपी श्री प्रथमेश माल्या। 

1. गेम को समझना बेहद आवश्यकः यदि निवेशक क्रूड में सबसे ज्यादा निवेश करने के इच्छुक हैं, तो उन्हें आपूर्ति और मांग के पक्ष को समझना बेहद जरूरी है। क्रूड फेसिलिटी में उत्पादन और कमोडिटी की मांग वैश्विक आर्थिक उत्पादन, और देशों द्वारा उच्च मात्रा में खरीद करने की क्षमता पर बहुत अधिक निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, यदि ओवरसप्लाई हो जाती है तो आमतौर पर मांग गिरती है, जिसकी वजह से प्रोडक्शन फेसिलिटी बंद करनी पड़ती हैं, और बहुत ऑयल बैरल्स की बिक्री कम कीमत पर होती है। दूसरी ओर स्थिर प्रोडक्शन ट्रेंड हायर प्राइज पर बोली लगाने की अनुमति देता है। निवेशकों को चौबीसों घंटे इन घटनाओं पर नज़र रखना आवश्यक है, और उन्हें गेम को पूरी तरह समझना आवश्यक है।

2. ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी बनाने की आवश्यकता: इक्विटी मार्केट या म्यूचुअल फंड की ही तरह एनर्जी फ्यूचर्स जैसे क्रूड ऑयल में निवेश के भी हजारों विशेषज्ञ हैं, जिनका काम इस कमोडिटी मार्केट को अन्य स्पेकुलेटिव मार्केट्स के मुकाबले हेज के रूप में इस्तेमाल करना है। ये वे लोग हैं जिन्होंने हर दिन दुनिया में हो रहे भू-राजनीतिक परिदृश्यों को पढ़ने में विशेषज्ञता हासिल की है, जो कच्चे तेल की कीमतों और उनके व्यापार पर अपना प्रभाव डाल रहे हैं। इस वजह से रिटेल निवेशकों के लिए यह आवश्यक है कि स्टॉक में निवेश के मामले में केवल इमोशन से फैसले लेने के बजाय स्ट्रैटेजी बनाकर काम करें। पोर्टफोलियो मैनेजर्स और मार्केट एडवायजर्स सहायता लेना बुरा विकल्प नहीं है, क्योंकि वे एनर्जी इकोसिस्टम को समझने में आपकी मदद करेंगे। इसके अलावा वैश्विक सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक रुझानों के परिणामों को समझने में निवेशकों को प्रयास करने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, यदि मध्य पूर्व में युद्ध जैसी स्थिति उभरती है, या तेल उत्पादक देश उद्योग पर आधिपत्य जमाने की कोशिश करते हैं तो यह कीमतों पर बड़े पैमाने पर वृद्धि या तेल बैरल की अत्यधिक आपूर्ति का कारण बन सकता है।

3. विभिन्न प्रकार के क्रूड के बीच अंतर करना: ब्रेंट और वेस्ट टेक्सास इंस्ट्रूमेंट (डब्ल्यूटीआई) क्रूड के ट्रेडों में अंतर जानना महत्वपूर्ण है। एक ऑफशोर प्रोड्यूस्ड ऑयल है, जबकि बाद वाला अमेरिका में इनलैंड प्रोडक्शन के माध्यम से होता है। भारत ब्रेंट क्रूड का इम्पोर्ट करता है, और अन्य लोग हैं जो डब्ल्यूटीआई क्रूड का उपयोग करते हैं। मूल्य के संदर्भ में ब्रेंट और डब्ल्यूटीआई के बीच पहले से स्थापित कंवर्जेंस पिछले दशक के बाद शुरू हुआ है, जिसकी वजह ऑफशोर ब्रेंट की तुलना में डब्ल्यूटीआई प्रोडक्शन और आउटपुट बढ़ना है। एक निवेशक के रूप में, यदि आप दोनों विकल्पों पर अपना दांव लगाने के इच्छुक हैं, तो उनके व्यक्तिगत प्रदर्शन को जानना आवश्यक है।

4. चीन और भारत की आर्थिक स्थितियों को सही तरीके से पढ़ना: भारत और चीन दुनिया में कच्चे तेल के सबसे बड़े आयातक और उपभोक्ता हैं। उनकी आंतरिक आर्थिक स्थितियों का दुनियाभर पर प्रभाव पड़ता है। घरेलू अर्थव्यवस्था में मंदी के चलते मांग में गिरावट और अतिरिक्त आपूर्ति के कारण क्रूड की कीमत प्रभावित हो सकती है। इसी तरह, आर्थिक समृद्धि हायर खपत को बढ़ावा देती है, जो हायर ऑटोमोबाइल बिक्री, कच्चे तेल के औद्योगिक इस्तेमाल और लॉजिस्टिक और सप्लाई चेन उद्योगों को प्रभावित करती है। इस वजह से यह आवश्यक है कि निवेशक क्रूड को आयात करने वाले देशों के घरेलू विकास पर नज़र रखें, यह समझने के लिए कि ग्लोबल एनर्जी मार्केट कैसे प्रभावित होंगे।

5. संस्थागत निवेशकों के रुझान पर भरोसा: बात भारत की हो या अन्य जगहों की, संस्थागत निवेशक, राष्ट्रीयकृत ऑयल कॉर्पोरेशन, विमानन कंपनियां आदि कच्चे तेल का सैकड़ों बैरल की भारी मात्रा में ट्रेड करते हैं। मूल्य में उतार-चढ़ाव या भविष्य में वृद्धि के खिलाफ हेजिंग स्ट्रैटेजी के रूप में इसका उपयोग करना आवश्यक है। बड़े-टिकट निवेशकों के लिए लाभ यह है कि उन्हें बड़ी मात्रा में क्रूड को अपने गोदामों पर संग्रहीत नहीं करना होगा। यह एक रसीद की तरह काम करता है, जहां मूल्य वृद्धि होने पर तेल कंपनियां निर्भर आबादी की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा कर सकती हैं, वह भी कीमतों में वृद्धि की वजह से अतिरिक्त धन को खर्च किए बिना। हेजिंग स्ट्रैटेजी को देखने से, निवेशक बाजार के रुझानों को भी समझ सकते हैं। इसके अलावा संस्थान अपने देश में और ऑफशोर खोज के लिए भी रिसोर्सेस का पूल बनाते हैं। वैश्विक परिदृश्यों के बारे में सतर्क रहना हमेशा निवेशकों के लिए अच्छा हो सकता है, और यदि विशेषज्ञ की सलाह के साथ इसे जोड़ दिया जाए तो निवेशक एनर्जी मार्केट से बड़ी मात्रा में रिटर्न ले सकेंगे।



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