यूजर की डेटा प्राइवेसी से जुड़ी प्रथाओं पर पहली बार बिहेवियरल रिसर्च प्रयोग
प्रयोग के दौरान यूजर्स में निजता संबंधी व्यवहारों को प्रभावित करने वाले विरोधाभासों पर नजर डाली गई, जैसे यूजर्स अपनी निजता को बचाए रखना चाहते हैं पर अपनी एक्शन पर कोई जवाबदेही नहीं चाहते। ग्लोबल साउथ में डेटा प्राइवेसी प्रैक्टिसेस को बेहतर बनाने के लिए बुशरा और सीएसबीसी ने इन परिस्थितियों में यूजर्स के व्यवहार को समझने की आवश्यकता पर जोर दिया।प्रयोग में यूजर्स के निजता संबंधी व्यवहारों को प्रभावित करने के लिए डिज़ाइन किए गए विभिन्न पहलू थे, जैसे निजता नीति को अधिक दृश्यात्मक तरीके से प्रस्तुत करना, यूजर्स को एक निश्चित अवधि के लिए पॉलिसी पेज पर बने रहना और बिजनेस की प्राइवेसी पॉलिसी पर स्टार रेटिंग का उपयोग कर गुणवत्ता को रैंकिंग देना।
अशोका यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सोशल एंड बिहेवियर चेंज की वरिष्ठ सलाहकार पूजा हल्दिया ने इस पहल के बारे में कहा, “हमारे द्वारा किए गए प्रयोगों से प्रथाओं की पहचान करने में आशाजनक परिणाम मिले हैं जो सहमति प्रक्रिया को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। यूजर हमेशा अपने लिए सही विकल्प बनाने में सक्षम नहीं होते हैं और व्यवसायों को निजता को सबसे आगे रखने के लिए हमेशा प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता है। डेटा की निजता के माहौल में सार्थक बदलाव को बेहतर रेगुलेशन और प्लेटफॉर्म की डिजाइन में ही निजता की सुविधाओं को एकीकृत कर लाया जा सकता है। सेवा प्रदाताओं और नीति निर्माताओं के साथ काम करने से इन विरोधाभासों को सामने लाने और वास्तविक बाजार सेटिंग में टेस्टिंग करने से देश में निजता के माहौल को बेहतर बनाने के लिए हमारे काम को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी बिहेवियरल इकोनॉमिक्स के लिए बुशरा सेंटर की एंगेजमेंट डायरेक्टर रिद्धी पोद्दार ने कहा, “ओमिडयार नेटवर्क इंडिया के समर्थन से हमने यूजर्स के ऑनलाइन व्यवहार से जुड़ी समस्याओं के प्रभाव को निर्धारित करने के लिए, सीएसबीसी के साथ मिलकर यह अध्ययन किया। हमने जो प्रमुख सबक सीखा वह यह है कि व्यवसायों के लिए अच्छी निजता प्रथाओं को अपनाने और संकेत देने का एक स्पष्ट लाभ है - हमने पाया कि जब सेवा प्रदाता अधिक भरोसेमंद होते हैं तो यूजर्स अधिक डेटा साझा करते हैं। हमारी आशा सहमति को और अधिक सूचित करने की बातचीत को आगे बढ़ाने की है: उत्पाद अनुभव के साथ निजता और सहमति को एकीकृत करके इसे यूजर एक्सपीरियंग का एक आवश्यक हिस्सा बनाकर ऐसा किया जा सकता है।
ओमिडयार नेटवर्क इंडिया की पार्टनर शिल्पा कुमार ने कहा, “भारत का लक्ष्य हर भारतीय को सशक्त और सुरक्षित महसूस करने में सक्षम बनाना है, जब वह ऑनलाइन हो। ताकि वह तकनीक का लाभ उठाए और अपने जोखिमों को कम करते हुए कम से कम नुकसान उठाए। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हम उन प्रयासों का समर्थन करते हैं जो डेटा और अटेंशन इकोनॉमी के लाभों और जोखिमों को आगे बढ़ाते हैं, साथ ही लोगों को खुद को ऑनलाइन नुकसान से बचाने के लिए कदम उठाने में सक्षम बनाते हैं। वैश्विक नियमों को विकसित करने के साथ-साथ इन्टैक्ट की पहल बताती है कि अन्य तरीकों के बजाय व्यक्तिगत सेवा को सुरक्षित रखने के लिए जवाबदेही होनी ही चाहिए। यह उपभोक्ता हित के अन्य क्षेत्रों जैसे खाद्य सुरक्षा और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अनुरूप लिए निर्धारित प्रक्रिया से मेल खाता है। इससे यह भी सामने आता है कि निजता एक व्यावसायिक मामला है - उपभोक्ता अधिक डेटा साझा करते हैं यदि उन्हें विश्वास है कि सेवा प्रदाता जिम्मेदारी से इसका उपयोग करेगा।
भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए कूल डाउन, डिफॉल्ट सेटिंग्स और स्टार रेटिंग जैसी उम्मीदों से भरी सुविधाओं की लाइव टेस्टिंग और आगे की ट्यूनिंग, बड़े पैमाने पर अपनाने की गुंजाइश को मजबूत कर सकती है। डेटा की निजता में बिहेवियरल साइंस रिसर्च अब तक प्रमुख पश्चिमी देशों तक ही सीमित है। हालांकि, ग्लोबल साउथ में चुनौतियों और वास्तविकताओं का एक अलग सेट है, जिसके लिए इन बाजारों में स्वतंत्र अनुसंधान और प्रयोग की आवश्यकता है जो दक्षिण एशिया और उत्तर-पूर्वी अफ्रीका के सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक पहलुओं के लिए जिम्मेदार हैं। यह पहली बार है कि इस तरह का एक प्रयोग िस क्षेत्र में किया गया। बिहेविलयरल प्रयोगों के निष्कर्ष इंटरनेट यूजर्स को उनके डेटा के बारे में सक्रिय, सूचित विकल्प बनाने में योगदान कर सकते हैं, जो अंततः हमारे तेजी से डिजिटल हो रहे समाज में व्यक्तियों, व्यवसायों और सरकारों के बीच अधिक विश्वास का कारण बनेंगे।
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