द जर्मन वेज़ एण्ड द वेज़ विद जर्मन का आयोजन किया

◆ गेटे-इंस्टीट्यूट ने पहला वर्चुअल पीएएससीएच प्रिंसिपल्स कॉन्फरेंस साउथ एशिया नाॅर्थ 2021

◆ पीएएससीएच ‘स्कूल: भविष्य के लिए भागीदार’ का प्रतीक है

◆ गेटे-इंस्टीट्यूट से समर्थित उत्तर दक्षिण एशियाई क्षेत्र के पीएएससीएच स्कूलों के प्रधानाचार्यों को एकजुट करने का लक्ष्य

◆ उत्तर दक्षिण एशिया के पीएएससीएच स्कूलों के 40 से अधिक प्रिंसिपलों की भागीदारी

शब्दवाणी समाचार, मंगलवार 2 फरवरी  2021, नई दिल्ली। गेटे-इंस्टीट्यूट ने स्कूलों के प्रिंसिपलों को छिपे अवसरों की सूझबूझ देने और विद्यार्थियों को बेहतर भविष्य प्रदान करने के मकसद से 22.01.2021 से 24.01.2021 तक पहला वर्चुअल पीएएससीएच प्रिंसिपल्स कॉन्फरेंस साउथ एशिया नाॅर्थ 2021 ‘द जर्मन वेज़ एण्ड द वेज़ विद जर्मन’ का आयोजन किया। सम्मेलन का उद्देश्य गेटे-इंस्टीट्यूट समर्थित उत्तर दक्षिण एशियाई क्षेत्र के पीएससीएच स्कूलों के प्रधानाचार्यों को एकजुट करना है। तीन दिवसीय सम्मेलन में पीएएससीएच की पहल और इसके लक्ष्यों और इनके परिणामस्वरूप दक्षिण एशियाई विद्यार्थियों  और उनके स्कूल के प्रिंसिपलों के लिए सही नजरिये पर विस्तृत विमर्श किया गया।

इस अवसर पर दक्षिण एशिया की पीएएससीएच प्रमुख सुश्री वेरोनिका तारान्जिन्स्काजा ने कहा, ‘‘सम्मेलन में शैक्षिक मुद्दों को आपस में जोड़ने पर विचार और विमर्श किया गया। सम्मेलन के डिजिटल होने से वास्तविक सवंाद नहीं हुआ लेकिन हम भारत, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान और ईरान के स्कूलों के प्रिंसिपलोें और उनके प्रतिनिधियों के बीच अंतरंग संवाद का आयोजन कर पाए। सम्मेलन के पहले दिन अतिथियों का स्वागत क्षेत्रीय संस्थान नई दिल्ली के निदेशक और दक्षिण एशिया क्षेत्र के प्रमुख डॉ. बर्थोल्ड फ्रेंक और इसके बाद गेटे-इंस्टीट्यूट म्यूनिख के भाषा विभाग प्रमुख डॉ. क्रिस्टोफ वल्डह्यूस ने किया। नई दिल्ली स्थित जर्मन दूतावास के सांस्कृतिक और वीजा विभाग ने सम्मेलन के लिए सहयोग देने के साथ दक्षिण एशिया में पीएएससीएच-नेटवर्क की भूमिका पर आरंभिक विचार रखे और साथ ही, जर्मनी के लिए वीजा के आवेदन संबंधी महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

इस अवसर पर पीएएससीएच पहल के मुख्य उद्देश्य बताए गए जैसे जर्मनी के प्रति अभिरुचि और उत्साह जगाना, युवाओं को जर्मन सीखने के लिए प्रेरित करना, विद्यार्थियों के बीच परस्पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान का मंच बनाकर अंतराष्ट्रीय समझ पैदा करना।

सुश्री वेरोनिका तारान्जिस्कजा ने 2020/2021 में पीएएससीएच के प्रोजेक्टों पर एक प्रस्तुति दी। स्कूल के प्रधानाचार्यों को डीएएडी से जर्मनी में रहने, पढ़ने और काम करने की जानकारी मिली। एएचके के प्रतिनिधियों ने प्रो प्रो रिकग्नीशन प्रोजेक्ट के साथ यह दिखाया कि दक्षिण एशिया के ग्रैजुएट किस पेशे में संभावना तलाश सकते हैं, खास कर एपरेंटिशपि के लिए और उनकी योग्यता की मान्यता में प्रो रिकग्नीशन से क्या ठोस सहायता मिल सकती है। पीएएससीएच स्कूलों में प्रोफेशनल ओरियंटेशन का एक मॉडल भी प्रस्तुत किया गया। इसमें कई स्कूलों के प्रिंसिपलों ने रुचि दिखाई।

सम्मेलन के दूसरे दिन बारकैंप में स्कूल के प्राचार्यों ने दैनिक स्कूली जीवन से जुड़े वर्तमान शैक्षिक मुद्दों को सामने रखा। ‘पूर्ववर्ती विद्यार्थी नेटवर्क निर्माण’, ‘नए युग में ज्ञान अर्जन’ और ‘ऑनलाइन पढ़ाई में कक्षा प्रबंधन’ के विषय पर प्रेरक योगदान दिए जाने के परिणास्वरूप पूरा विमर्श बहुत संरचनात्मक रहा। डॉ. स्टीनमेट्ज, जीएफएल लेसंस में एसटीईएम शब्दावली के विशेषज्ञ और ‘जर्मन फॉर इंजीनियर्स’, 2018 के सह-लेखक ने बताया कि कैसे पीएएससीएच स्कूलों के अंदर एसटीईएम क्लबों में तकनीकी भाषा को बढ़ावा दिया जा सकता है। दक्षिण एशिया के उच्च विद्यालय के ग्रैजुएट के लिए यह विषय बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि उनमें अधिकांश पढ़ने के लिए पहले जर्मनी को चुनते हैं और एसटीईएम से संबद्ध विषय पढ़ना चाहते हैं। श्रीमती पुनीत कौर की कार्यशाला ‘दीज़ स्ट्रेंज जर्मन वेज़’ में पर्याप्त विविधता और प्रफुल्लता थी। वे 1000 स्कूलों में जर्मन भाषा प्रमुख हैं। इस अवसर पर प्रिंसिपल भी ‘लर्न जर्मन 1’ कोर्स के जरिये जर्मन भाषा से जुड़े।


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