सेंसेक्स और निफ्टी में क्या अंतर
शब्दवाणी समाचार, शनिवार 13 फरवरी 2021, नई दिल्ली। सेंसेक्स ने अब 51,000 अंक का स्तर पार कर लिया है और समाचार चैनल इस बारे में बात करना बंद ही नहीं कर रहे। खैर, उनके उन्माद के पीछे एक बड़ा कारण भी है। आप इसे ऐसे समझ सकते हैं, आपने 10 साल पहले एक लाख रुपए एफडी में निवेश किए थे, तो आपको लगभग 1.87 लाख रुपए मिलते। पर अगर आप इतनी ही राशि उस समय सेंसेक्स में लगाते तो आपका पैसा आज 2.8 लाख रुपए हो गया होता।लेकिन, क्या हाल ही में बाजार में गिरावट नहीं आई? हां, आई तो थी। लेकिन बाजार मजबूत होने के लिए ही कुछ गिरते हैं (जिसे मार्केट करेक्शन कहा जाता है)। इस वजह से भले ही आपने सेंसेक्स में एक साल पहले निवेश किया हो, या बाजार गिरने से पहले, आपका निवेश अभी भी 25% से अधिक होगा। खैर, यह दिलचस्प लगता है। लेकिन ‘सेंसेक्स’ क्या है? और, 'निफ्टी' कहलाने वाला इसका समकक्ष क्या है? इस बारे में विस्तार से बता रहें हैं फिनोलॉजी के सीईओ श्री प्रांजल कामरा।
सबसे पहले समझते हैं कि सूचकांक क्या हैं :
इंडेक्स (सूचकांक) क्या होता है?: इंडेक्स बाजार के प्रदर्शन को ट्रैक करने का एक मानकीकृत प्रारूप है। इसमें एक विशेष एक्सचेंज (जैसे बीएसई या एनएसई) पर ट्रेडिंग में शामिल शेयर्स का समूह शामिल है जो बाजार की गतिविधि के विशेष क्षेत्र को दोहराता है। इस तरह के सूचकांक या तो ब्रॉड-बेस्ड (व्यापक-आधारित) हो सकते हैं, जैसे कि सेंसेक्स और निफ्टी, या वे अधिक विशिष्ट हो सकते हैं जैसे बैंक निफ्टी या बीएसई ऑटो इंडेक्स। दूसरे शब्दों में, सेंसेक्स बीएसई की बाजार परिस्थितियों को दर्शाता है जबकि निफ्टी एनएसई की बाजार परिस्थितियों को दर्शाता है।
उन्हें ‘सेंसेक्स’ और ‘निफ्टी’ क्यों कहा जाता है और वे कैसे अलग हैं?
बेंचमार्क इंडेक्स होने के नाते सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ब्रॉड-बेस्ड मार्केट डाइनामिक्स को ट्रैक करते हैं। सेंसेक्स ‘बीएसई सेंसिटिव इंडेक्स' का एक छोटा रूप है, जबकि निफ्टी 'एनएसई फिफ्टी' का छोटा रूप है। इसके अलावा, यहां दोनों सूचकांकों के बीच तीन प्रमुख अंतर हैं:
1. स्टॉक्स की संख्याः सेंसेक्स और निफ्टी के बीच सबसे बड़ा ध्यान देने योग्य अंतर उन शेयरों की संख्या है जो उन पर ट्रेडिंग करते हैं। सेंसेक्स एक बेंचमार्क इंडेक्स है जिसमें कुल 30 स्टॉक हैं। निफ्टी 50, जैसा कि इसके नाम से पता चलता है कि यह एक सूचकांक है जिसमें कुल 50 स्टॉक शामिल हैं।
2. गणनाः आपने देखा होगा कि रुपए के संदर्भ में शेयरों की बात करने के बावजूद सूचकांकों को उनके पॉइंट्स के अनुसार संदर्भित किया जाता है। तो, यह पॉइंट सिस्टम क्या है? इस पॉइंट सिस्टम की गणना एक फ्री-फ्लोट, मार्केट-कैपिटलाइजेशन-वेटेड मेथड के आधार पर की जाती है। ऐसा करने का सूत्र है: [मौजूदा मार्केट वैल्यू/बेस मार्केट कैपिटल] x बेस इंडेक्स वैल्यू अंतर यह है कि सेंसेक्स 100 की बेस इंडेक्स वैल्यू का उपयोग करता है जबकि निफ्टी 1000 का उपयोग करता है।
3. गठन की तिथि और बेस ईयरः सेंसेक्स को 1 जनवरी 1986 को 1978-79 के बेस ईयर के साथ लॉन्च किया गया था। शुरुआत में फुल-मार्केट कैपिटलाइजेशन मेथड के साथ निफ्टी 22 अप्रैल 1996 को लॉन्च किया गया था। इसे 26 जून 2009 को फ्री-फ्लोट मेथडोलॉजी के रूप में बदल दिया गया था। इसकी बेस पीरियड 3 नवंबर 1995 है। इन तीन बिंदुओं के अलावा, यह बिना कहे पता चलता है कि सेंसेक्स बीएसई से संचालित होता है और निफ्टी एनएसई से संचालित होता है। लेखन के समय सेंसेक्स 51,329.08 अंक पर था, जबकि निफ्टी 15,109.30 अंक पर था।
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