2027 में भारत की US$ 5 ट्रिलियन की वित्तीय योजना के लिए एक आशा की किरण बनकर उभरा

शब्दवाणी समाचार, बुधवार 15 सितम्बर  2021, नई दिल्ली। COVID-19 के बावजूद भारत में विदेशी मुद्रा निवेश का जारी रहना वित्त वर्ष 2027 में भारत की US$ 5 ट्रिलियन की वित्तीय योजना के लिए एक आशा की किरण बनकर उभरा है. वित्त वर्ष 2020-2021 में विदेशी मुद्रा निवेश (FDI) (इक्विटी पुनर्निवेशित अर्जन तथा पूंजी सहित) US$ 81.72 बिलियन के रिकॉर्ड मार्क पर रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 10% अधिक था।1 यद्यपि हमने विदेशी मुद्रा निवेश का निरंतर आगमन देखा है (चीन के 4% की तुलना में 13% की YoY वृद्धि) जो प्रमुखतः सेवा क्षेत्र के कारण रहा, इसने आनुपातिक रूप से पूंजी निर्माण अथवा निर्यात में अपना योगदान नहीं दिया। वित्त वर्ष 2015 से वित्त वर्ष 2021 तक उत्पादन के क्षेत्र में विदेशी मुद्रा का निवेश US$8.6 बिलियन रहा, जो सेवा क्षेत्र में US$ 23 बिलियन की तुलना में थोड़ा अधिक था। डेलॉइट का विश्लेषण यह दर्शाता है कि भारत को वित्त वर्ष 2027 में US$ 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने में आगामी 6 वर्षों में  US$ 8 ट्रिलियन के सकल पूंजी निर्माण की आवश्यकता पड़ेगी। पिछले रुझानों के आधार पर, देश को उक्त 8 ट्रिलियन में से US$ 250 बिलियन FDI  की आवश्यकता होगी, जिसका अर्थ यह हुआ कि आगामी 6 वर्षों में भारत को कम से कम US$ 400 बिलियन के FDI की आवश्यकता पड़ेगी। 

पूंजी-प्रधान क्षेत्रों में FDI का निवेश, राष्ट्र के सकल पूंजी निर्माण तथा भारत को वैश्विक व्यापार में एक साझीदार के रूप में स्थापित करने की कुंजी है। भारत में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम निवेशकों के दृष्टिकोण को समझें और इस प्रयोजन के लिए डेलॉइट ने US, जापान, UK, तथा सिंगापुर जैसे चार देशों के 1200 बहुराष्ट्रीय व्यावसायिक लीडरों का सर्वेक्षण किया। इस अध्ययन के माध्यम से हम अर्थव्यवस्था में FDI की भूमिका के महत्व को बल देने के लिए एक संवाद की शुरुआत कर सकते हैं, जो भारत को US$5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने के मार्ग में सहायक होगा। उक्त सर्वेक्षण से प्रकाश में आईं कुछ प्रमुख बातें निम्नानुसार हैं:

निष्कर्ष 1: निवेश के लिए भारत एक आशाजनक गंतव्य है  

भारत निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बना हुआ है। अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और सिंगापुर में आयोजित सर्वेक्षण में शामिल 44% लोगों ने कहा कि भारत में अतिरिक्त या पहली बार निवेश करने की उनकी योजना हैं। उल्लेखनीय है कि पहली बार निवेश करने वालों में से, लगभग दो-तिहाई अगले दो वर्षों के भीतर भारत में निवेश की योजना बना रहे हैं।

निष्कर्ष 2: भारत का घरेलू  बाजार एक प्रमुख आकर्षण केंद्र है       

भारत का घरेलू  बाजार देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि में प्रचुर अवसर उपलब्ध कराता है। यह बड़ी ही रोचक बात है कि हमारे सर्वेक्षण से यह पता चला है कि वैश्विक व्यावसायिक लीडरों ने भी भारत की इस क्षमता को स्वीकारा है और वे भारत में न केवल एक निर्यात केंद्र के रूप में, बल्कि एक सशक्त घरेलू बाजार से लाभार्जन हेतु भी निवेश करना चाहते हैं, जब कि निर्यात एक महत्वपूर्ण घटक बना हुआ है। उदाहरण के लिए, भारत में जापान का अधिकांश निवेश भारत के घरेलू बाजार में उसकी दिलचस्पी से प्रेरित है।

निष्कर्ष 3: किसी देश में निवेश के लिए निवेशक विकास, स्थायित्व, तथा कौशल को उत्प्रेरक के रूप में देखता है   

जब यह निर्णय लेने की बात आती है कि किस देश में निवेश करना चाहिए, तब बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लीडर आर्थिक विकास, स्थायित्व, और कौशलयुक्त श्रमशक्ति की उपलब्धता पर जोर देते हैं। हमारा सर्वेक्षण इस बात की ओर संकेत करता है कि अधिकांश व्यावसायिक लीडर भारत को स्थायित्व की तुलना में आर्थिक विकास तथा कुशल श्रमशक्ति के संदर्भ में ऊंचे पायदान पर रखते हैं। वे भारत को राजनीतिक तथा आर्थिक रूप से मजबूत पाते हैं। हालांकि, वे हमारे संस्थागत पक्षों जैसे पूर्वकथनीय कराधान, विनियामक स्पष्टता, एवं कार्यकुशल न्याय प्रणाली जैसे क्षेत्रों में सुधार की अपेक्षा भी करते हैं। अपर्याप्त बुनियादी ढांचा भी एक महत्त्वपूर्ण नकाराकत्मक तथ्य है। कर प्रावधानों तथा तत्संबंधी कानून में पूर्व प्रभाव से (retrospective tax provision) संशोधन करने संबंधी भारत सरकार का निर्णय एक सकारात्मक कदम है, जो निवेशकों की कुछ प्रमुख चिंताओं का निवारण करेगा।

निष्कर्ष 4: व्यापार को सुगमतापूर्वक करने संबंधी सरकार के सुधार प्रावधानों के विषय में जानकारी का अभाव 

भारत में निवेश करने में निवेशकों की रुचि एवं भारत के निवेश तथा व्यावसायिक प्रोत्साहनों के प्रति उनकी जागरूकता में एक स्पष्ट संबंध देखा जा सकता है। सरकार के कार्यक्रमों, प्रोत्साहनों, तथा सुधार की जानकारी मिलने के पश्चात 75% व्यावसायिक लीडर भारत में निवेश करने के लिए उत्सुक थे- चीन और वियतनाम की तुलना में वे इस समय भारत में व्यवसाय करने के लिए एक चुनौतीपूर्ण वातावरण देखते हैं, जिसका कारण है भारत के विभिन्न आर्थिक कार्यक्रमों के प्रति उनकी जानकारी में कमी।

निष्कर्ष 5: पूर्वी देशों की तुलना में पश्चिमी देशों का भारत के प्रति बेहतर नजरिया 

चीन, ब्राज़ील, मैक्सिको, तथा वियतनाम की तुलना में अमेरिका में भारत की  मजबूत छवि   है, जो तुलनात्मक रूप से UK और जापान में दूसरे स्थान पर है। भारत के साथ अमेरिका और UK के ऐतिहासिक मजबूत संबंधों को देखते हुए अमेरिका और UK के व्यावसायिक लीडरों ने भारत के संस्थागत स्थायित्व में अपनी निष्ठा व्यक्त की है। तथापि, जापान और सिंगापुर के प्रतिनिधि वियतनाम को अपना चुनिंदा निवेश गंतव्य मानते हैं।

विदेशी निवेश का निर्माण राष्ट्र के सकल पूंजी निर्माण की कुंजी है और जो भारत को वैश्विक व्यापार में साझीदार के रूप में स्थापित करती है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भारत स्वयं को विश्व के समक्ष एक आकर्षक उत्पादनकर्ता गंतव्य के रूप में प्रस्तुत करता है। चूंकि बहुराष्ट्रीय कंपनियां निर्माण के लिए वैकल्पिक गंतव्यों की तलाश करती हैं, ऐसी स्थिति में भारत उन्हें अपने पक्ष में करने के लिए सक्षम है, जिसके चलते भारत विश्व व्यापार में अपनी मौजूदा हिस्सेदारी को 1.5% से बढाकर 5% कर सकता है। भारत कपड़ा एवं वस्त्र, खाद्य पदार्थ, संसाधन उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक सामान, दवाई कंपनियां, वाहन एवं उसके कलपुर्ज़े, रसायन तथा API, और कैपिटल गुड्स जैसे 7 पूंजी-प्रधान क्षेत्रों में वृहत्तर विदेशी मुद्रा निवेश को आकर्षित कर सकता है, जिन्होनें वित्त वर्ष 2021 में US$ 181 बिलियन की  व्यापारिक सामग्री के निर्यात में भागीदारी की है। डेलॉइट के सर्वेक्षण के अनुसार इन निवेशों से ऐसे क्षेत्रों के निर्यात में वित्त वर्ष 2026-27 तक US$ 785 बिलियन (यानी कि 3.7 गुना) की वृद्धि होगी। इन 7 चुनिंदा क्षेत्रों में निर्यात के परिमाण एवं विकास की दिशा में पर्याप्त क्षमता है और वैकल्पिक उत्पादनकर्ता केंद्र बनने की भी क्षमता है जिसकी तलाश बहुराष्ट्रीय कंपनियां रही हैं। इसके अतिरिक्त, मौजूदा निवेश भी हमारी क्षमता को दर्शाते हैं और एक वैश्विक मिसाल भी कायम करते हैं। इन क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराने तथा अर्धकुशल या निम्नकुशल श्रमिकों को भी मुहैय्या कराने की क्षमता है, जो टियर 1 के बाहर के शहरों (टियर 2 और 3 शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के साथ) में केंद्रित हैं।  

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