दिल की जटिल सर्जरी से 49 वर्षीया मरीज की जान बचाई

◆ मुरादाबाद की इस मरीज का वजन मात्र 29 किलो था और वह गंभीर हार्ट ब्लॉकेज से जूझ रही थी 

शब्दवाणी समाचार, मंगलवार 12 अक्टूबर  2021, मुरादाबाद। मुरादाबाद की 49 वर्षीया महिला का वजन मात्र 29 किलो था, इसके बावजूद वह गंभीर तिहरे वेसेल आर्टरी रोग से पीड़ित थी। फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में सफलतापूर्वक जटिल बायपास सर्जरी (कोरोनरी आर्टरी बायपास ग्राफ्ट—सीएबीजी) कराने के बाद उसे नई जिंदगी मिल गई।  मरीज के बहुत कम वजन के कारण उसके शरीर का क्षेत्रफल मात्र 1.1 था। उसकी तीनों मुख्य आर्टरी में 90 फीसदी तक ब्लॉकेज होने के कारण भोजन खाने जैसी मामूली गतिविधियों से भी उसे सीने में दर्द होने लगता था। उसकी जैसी स्थिति थी, उसमें स्टेंट लगाना भी ठीक नहीं था और उसकी जिंदगी भी खतरे में पड़ी हुई थी। कई जगहों पर सर्जरी करने से मना करने के बाद मरीज ने आस छोड़ दी थी और एक साल से लगातार कष्ट झेलने के कारण एंजियोग्राफी कराने का फैसला किया। मरीज को फोर्टिस हॉस्पिटल गुरुग्राम लाया गया। 

फोर्टिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम में कार्डियो थोरैसिस एंड वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) के निदेशक डॉ. उदगीत धीर ने कहा, 'मरीज का वजन कम होने के साथ—साथ दोनों हाथ भी सही तरीके से काम नहीं कर रहे थे। ट्यूबरकुलोसिस होने के बाद एक साल तक दवाई खाने के कारण उसका फेफड़ा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। एफईवी1 यदि 1.5 से कम हो तो डॉक्टरों को एनेस्थेसिया देने और वेंटिलेटर से उतारने में बड़ा खतरा रहता है। मरीज का एफईवी1 एक से भी कम था। हमारे लिए सर्जरी शुरू करने का फैसला लेने बहुत चुनौतीपूर्ण था। सर्जरी के दौरान उसे हार्ट अटैक न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए डॉक्टरों की टीम ने बहुत ही सावधानी से खून पतला करने वाली दवा रोक दी और मरीज को कम समय में असर करने वाला ब्लड थिनर इंजेक्शन लगाया गया। आपरेशन के बाद दर्द उभरने की स्थिति में एपिड्यूरल कैथेटर भी रखा गया ताकि सांस लेने में कोई तकलीफ न हो।

कई तरह की परेशानियां उभरने की संभावना के बीच मरीज की गंभीरता से निगरानी की गई और सर्जरी के लिए तैयार किया गया। उसका ब्लड शुगर लेवल 400 से ऊपर था इसलिए इसे सामान्य करने के लिए कुछ दिनों तक उचित निगरानी जरूरी थी। चुनौतीपूर्ण केस होने के कारण मरीज को पूरी टीम ने हौसला दिया और उत्साहवर्धन कराया। सफल सर्जरी के बाद मरीज की जान बचा ली गई। हाल के दिनों में तिहरे वैसेल कोरोनरी आर्टरी रोग से पीड़ित बहुत सारे मरीजों का सफल इलाज किया गया है। गंभीर स्थितियों और दूसरी अन्य बीमारियों के साथ ही इस तरह की गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों के इलाज की सफलता दर ब्रिटेन और अमेरिका जैसे विकसित देशों में भी 15—20 फीसदी होती है।

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