स्‍टडी ग्रुप ने अमेरिका में भारतीय स्‍टूडेंट्स को गुणवत्‍तापूर्ण शिक्षा प्रदान करेगा

मोदी और बाइडेन के बीच मुलाकात का लक्ष्‍य था सहयोग के विभिन्‍न क्षेत्रों जैसे शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और पर्यावरण को मजबूती देना

यह इवेंट फुलब्राइट-नेहरू एज्‍युकेशन प्रोग्राम की 75वीं सालगिरह को भी याद करने वाला रहा

शब्दवाणी समाचार, वीरवार 18 नवम्बर  2021, नई दिल्ली। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने हाल ही में अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन के साथ एक द्विपक्षीय मुलाकात के लिये अमेरिका का दौरा किया था। एक घंटे चली उस मुलाकात के कई निष्‍कर्ष निकले और भारत तथा अमेरिका के बीच सम्‍बंधों को बेहतर बनाने की नई आशा मिली। उस दौरान सबसे महत्‍वपूर्ण भागीदारियों में से एक, यूएस-इंडिया गांधी-किंग डेवलपमेंट फाउंडेशन को लॉन्‍च किया गया, जिसका उद्देश्‍य है शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और पर्यावरण पर सहयोग बढ़ाना। यह चर्चा खासतौर से शिक्षा पर केन्द्रित थी, पर इस दौरान कई महत्‍वपूर्ण पहलों पर भी बात हुई।

इसके अलावा, दुनियाभर में फुलब्राइट प्रोग्राम की 75वीं वर्षगांठ के उत्‍सव में दोनों नेताओं ने भारतीयों और अमेरिकियों को पहले से ज्‍यादा करीब लाने का कार्यक्रम और गहन करने का फैसला किया। साल 2008 में अमेरिका ने इन फेलोशिप्‍स को फंड करने के भारत के फैसले का स्‍वागत किया था और संयुक्‍त रूप से फुलब्राइट-नेहरू फेलोशिप प्रोग्राम के रूप में नया नाम दिया। आदान-प्रदान के इस कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक 20000 से ज्‍यादा फेलोशिप्‍स और अनुदान दिये जा चुके हैं और जल्‍द ही और अनुदान का भी वितरण होगा।

प्रधानमंत्री मोदी और राष्‍ट्रपति बाइडेन ने नोट किया कि उनके देशों के बीच बेहद कुशल पेशेवरों, स्‍टूडेंट्स, निवेशकों और व्‍यावसायिक यात्रियों के मूवमेंट से उनकी आर्थिक और तकनीकी भागीदारी मजबूत होती है। इन नेताओं ने दोनों देशों के बीच लचीली और सुरक्षित आपूर्ति श्रृंखलाओं के महत्‍व पर भी रोशनी डाली।

इन नेताओं ने महत्‍वपूर्ण ढंग से यह फैस‍ला किया कि अमेरिका और भारत को नये डोमेन और महत्‍वपूर्ण तथा उभरती टेक्‍नोलॉजी के क्षेत्रों जैसे अंतरिक्ष, साइबर, स्‍वास्‍थ्‍य सुरक्षा, सेमीकंडक्‍टर्स, एआई, 5जी, 6जी और भविष्‍य की पीढ़ी की दूरसंचार टेक्‍नोलॉजी और ब्‍लॉकचेन में अपनी भागीदारी बढ़ाना जारी रखना चाहिये। इससे अगली शताब्‍दी के आर्थिक और सुरक्षा परिदृश्‍य और नवाचार की प्रक्रियाएं परिभाषित होंगी।

दोनों देश नवाचार को वास्‍तविकता की ओर ले जाने के लिये अंतर-सांस्‍कृतिक शिक्षा पर सहमत हुए, जिससे भारतीय शिक्षा क्षेत्र के लिये दरवाजे खुलेंगे और दोनों देश वैश्विक भागीदारों के रूप में दिखेंगे। अग्रणी वैश्विक अंतर्राष्‍ट्रीय शिक्षा प्रदाता स्‍टडी ग्रुप इसे भारतीय स्‍टूडेंट्स के लिये अमेरिका में व्‍यापक मौकों और तकनीकी विकास के साथ वैश्विक मान्‍यता प्राप्‍त विश्‍व-स्‍तरीय शिक्षा प्राप्‍त करने का एक बेहतरीन अवसर मानता है।

इस ऐतिहासिक इवेंट पर गहन जानकारी देते हुए, स्‍टडी ग्रुप के रीजनल डायरेक्‍टर करण ललित ने कहा, “हम अमेरिका में पढ़ने और अमेरिकन ड्रीम पूरा करने में भारतीय स्‍टूडेंट्स की मदद करने की अपनी प्रतिबद्धता पर हमेशा से दृढ़ रहे हैं। यह जानकर सशक्‍त होने का एहसास होता है कि अमेरिका ने केवल साल 2021 में ही भारतीय स्‍टूडेंट्स को 62,000 वीजा जारी किये हैं। अमेरिका में लगभग 200,000 भारतीय स्‍टूडेंट्स अमेरिका की अर्थव्‍यवस्‍था में हर साल 7.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का बेहतरीन योगदान दे रहे हैं और यह देखने से बड़ा इनाम हमारे लिये कुछ और नहीं हो सकता कि हमारे स्‍टूडेंट्स अपने-अपने क्षेत्रों में बहुत अच्‍छा प्रदर्शन कर रहे हैं। अंत में, मैं भारत और अमेरिका के बीच सम्‍बंधों को बेहतर बनाने के लिये और अनगिनत भारतीय स्‍टूडेंट्स के लिये शिक्षा के उम्‍मीद से भरे अवसरों को पोषित करने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को उनके अटल समर्पण और ध्‍यान के लिये धन्‍यवाद देता हूँ। अमेरिका की कंपनी माइक्रोसॉफ्ट भारत में साइबरसिक्‍योरिटी और डाटा प्राइवेसी पर 5000 मास्‍टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षित करने के लिये एक फैकल्‍टी डेवलपमेंट प्रोग्राम लॉन्‍च करने की तैयारी कर रही है। इस प्रकार भारत के 200,000 युवाओं को साइबरसिक्‍योरिटी में कॅरियर बनाने के लिये प्रशिक्षित किया जाएगा।

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