गुरुद्वारा कमेटी चुनाव में लोकतंत्र की हत्या, विपक्ष को कुचला : परमजीत सिंह
◆ भाजपा ने मिलकर पुलिस के बल पर किया खेला
◆ आधी रात को विपक्ष को हाउस से निकालकर सत्तापक्ष को सौंप दी कमेटी
◆ इतिहास में पहली बार अकाली दल ने चिटठी लिखकर पुलिस बुलाई
◆ सरकारी बंदूक की नोक पर विपक्ष की आवाज दबाई : सरना
◆ हम गुप्त वोटिंग करवाना चाहते थे, अकाली हाथ उठवाकर : सरना
◆ हम चुप नहीं बैठेंगे, अदालत जाएंगे : परमजीत सरना
◆ एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी का अकाली दल ने ही किया विरोध
◆ धामी को अकालियों ने नहीं बनने दिया अस्थायी सभापति
शब्दवाणी समाचार, सोमवार 24 जनवरी 2022, नई दिल्ली। शिरोमणि अकाली दल दिल्ली के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने दावा किया दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के आतंरिक चुनाव में शनिवार को अकाली दल बादल एवं भाजपा ने मिलकर भारी पुलिस बल की मौजूदगी में लोकतंत्र का कत्ल किया। गुरु साहिब की मौजूदगी में अकाली दल ने चिटठी लिखकर गुरु घर में पुलिस बुलाई जबकि इतिहास में आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ। सरना ने कहा कि सत्तापक्ष ने पुलिस की बंदूक की नोक पर विपक्ष का गला घोंट दिया और हाउस से संपूर्ण विपक्ष को बाहर निकाल दिया। यह सरासर अन्याय और लोकतंत्र का मजाक है। सरना ने कहा कि जब पुलिस विपक्ष को बाहर निकाल रही थी तब अकाली दल के नेता दिल्ली पुलिस जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे।आखिरकार आधी रात को वही हुआ, जिसे अकाली दल एंव भाजपा के तथाकथित नेता चाह रहे थे। विपक्ष को बाहर निकालकर रिजल्ट घोषित कर दिया।
सरना ने कहा कि विवाद की असली जड अस्थायी सभापति गुरदेव सिंह हैं, जिनकी बदौलत बवाल खडा हुआ और दिनभर स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। मीटिंग की शुरुआत के बाद जब अस्थायी सभापति के चुनाव का समय आया तो संयुक्त विपक्ष की तरफ से एसजीपीसी के अध्यक्ष एवं शिरोमणि कमेटी के प्रतिनिधि हरजिंदर सिंह धामी का नाम आगे बढाया गया, जिसका अकाली दल बादल के लोगों ने विरोध किया। जवाब में उन्होंने गुरदेव सिंह का नाम आगे बढ़ा दिया। धामी ने अपनी ही पार्टी के लोगों का विरोध सामने देखकर अस्थायी सभापति बनने की अपनी सहमति नहीं दी । जिस वजह से गुरदेव सिंह अस्थायी सभापति बन गए। सभापति बनते ही गुरदेव सिंह ने ऐलान किया कि अध्यक्ष का चुनाव हाथ खड़े करवा कर होगा।
इसका पूर्व कमेटी अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके सहित उनकी पार्टी ने तीखा विरोध किया। साथ ही गुरुद्वारा चुनाव निदेशक नरिंदर सिंह को चुनाव नियम गुरदेव सिंह को पढ़वाने की अपील की। इसके बाद निदेशक ने गुरदेव सिंह को चुनाव कराने की पूरे नियम बताए। साथ ही यह भी बताया कि मतदान की प्रक्रिया गुप्त मतदान के जरिये होती है। इसके बाद गुरदेव सिंह ने अध्यक्ष पद के लिए कमेटी सदस्यों से नाम मांगा। सत्तापक्ष की तरफ से हरमीत सिंह कालका के नाम का प्रस्ताव आया। जबकि संयुक्त विपक्ष की तरफ से परमजीत सिंह सरना का नाम सामने आया।
दोनों उम्मीदवारों के चुनाव लडऩे की सहमति देने के बाद मतदान प्रकिया शुरू हुई। लेकिन इस बीच कमेटी सदस्य सुखबीर सिंह कालरा ने अपने हाथ में ली हुई पर्ची को साथ के सदस्य को दिखा दिया, वो किसको वोट डालने जा रहे हैं। इसी पर उन्होंने आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि कालरा का वोट अवैध घोषित किया जाए। यहीं से विवाद शुरू हो गया। इसी बहसबाजी के बीच एक और सदस्य ने वोट डाल दिया। 51 में से 3 वोट डलने के बाद चुनाव प्रक्रिया रुक गई। कई घंटे तक चले गतिरोध के बाद भी नतीजा नहीं निकला। उनकी मांग रही कि कालरा का वोट रदद करके मतदान करवाया जाए लेकिन अस्थायी सभापति गुरदेव सिंह का कहना है कि वे हाथ खड़े करवाकर ही मतदान करवाएंगे। इसकी वीडियों भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई।
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